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सिवाह गांव के नजदीक 25 एकड़ में लग सकता कॉमन बॉयलर प्रोजेक्ट

इंडस्ट्री के लिए कॉमन बॉयलर प्रोजेक्ट सिवाह गांव में चौटाला रोड के आसपास लगाया जा सकता है। इसके लिए गुजरात की कंपनी ने मंगलवार को सर्वे का काम शुरू कर दिया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 09:27 AM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 09:27 AM (IST)
सिवाह गांव के नजदीक 25 एकड़ में लग सकता कॉमन बॉयलर प्रोजेक्ट
सिवाह गांव के नजदीक 25 एकड़ में लग सकता कॉमन बॉयलर प्रोजेक्ट

जागरण संवाददाता, पानीपत : इंडस्ट्री के लिए कॉमन बॉयलर प्रोजेक्ट सिवाह गांव में चौटाला रोड के आसपास लगाया जा सकता है। इसके लिए गुजरात की कंपनी ने मंगलवार को सर्वे का काम शुरू कर दिया है। कंपनी का 20-25 एकड़ में प्रोजेक्ट लगाने का प्रस्ताव है। यह 1300 से 1500 करोड़ का प्रोजेक्ट होगा। इस प्लांट से डाई उद्योगों को पाइप लाइन से स्टीम दी जाएगी। कंपनी का दावा है कि इस तरह से काम करने से प्रदूषण कम होगा और फैक्ट्री मालिकों को भी सुविधा मिलेगी। प्रोजेक्ट से सेक्टर-29-टू की 350 डाई यूनिटों और इसके आसपास की 50 फैक्ट्रियों को जोड़ा जा सकेगा। सीटीपी के इंडस्ट्री को दिए जाने वाले पानी को भी इसमें प्रयोग में किया जा सकता है।

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प्रदूषण के कारण करीब 18 दिन तक शहर की सभी फैक्ट्रियां बंद रही थी। उद्यमी इनको चालू कराने के लिए सड़क पर उतर आए थे। इसके बाद शहर में कॉमन बॉयलर प्रोजेक्ट लगाने की मांग उठी। ट्रीटमेंट स्टोरेज डिस्पोजल फैसिलिटी में काम करने वाली गुजरात की एक कंपनी इसके लिए आगे आई है। यह कंपनी गुजरात और प्रदेश में इंडस्ट्री का कूड़ा डंप करती है। कंपनी 2008 से लगातार वर्किंग कर रही है। कंपनी के अधिकारियों ने शहर के आसपास कई जगह जमीन देखी। कंपनी सूरत में टैक्सटाइल पार्क भी बना चुकी है।

फोटो

ओपन पाइप लाइन से सप्लाई होगी स्टीम

पानीपत डायर्स एसोसिएशन के प्रधान भीम राणा ने बताया कि जमीन मिलने के बाद प्रोजेक्ट डेढ़ साल में शुरू कर दिया जाएगा। कंपनी सभी डाइंग यूनिटों और संबंधित फैक्ट्रियों को स्टीम सप्लाई करेगी। इसके लिए ओपन पाइप लाइन बिछाई जाएगी। फैक्ट्री के बाहर एनर्जी और फ्लो मीटर लगाया जाएगा। इससे स्टीम का हिसाब लगाया जा सकेगा। हवा की स्पीड कम होते ही एक्यूआइ बढ़ने लगा

पश्चिमी हवा की गति एक साथ कम हो गई है। इसके साथ एयर क्वालिटी इंडेक्स बढ़ने लगा है। मंगलवार सुबह पानीपत का एक्यूआइ 248 माइक्रोग्राम रहा। शाम को यह बढ़कर 284 माइक्रोग्राम तक पहुंच गया। इंडस्ट्री यहां उलझी थी

एनजीटी ने दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र की फैक्ट्रियों में पैटकॉक जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। उद्यमियों ने कोयला आधारित बॉयलर तैयार किए। इसके अलावा लकड़ी और अन्य सामग्री प्रयोग की जाने लगी। एनजीटी ने गत दिनों पीएनजी आधारित इंडस्ट्री चलाने का फैसला लिया। उद्यमियों ने केंद्र सरकार तक अपनी मांग पहुंचाई। पर्यावरण मंत्रालय ने इसके बाद उद्यमियों को पीएनजी को लेकर छूट दी थी। इसके बाद स्मॉग के चलते इंडस्ट्री बंद की गई थी। ये फायदे होंगे

नंबर-एक

शहर को प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी

डाइंग यूनिटों को कॉमन बॉयलर प्रोजेक्ट से स्टीम सप्लाई करने पर इंडस्ट्री को अपने स्तर पर बॉयलर नहीं चलाने पड़ेंगे। इसके बाद बॉयलर को चलाने के लिए अलग-अलग ईंधन नहीं जलाना पड़ेगा। इससे पर्यावरण प्रदूषण कम होगा।

नंबर-दो

एक फैक्ट्री का 20 से 30 फीसद हिस्से बॉयलर और ईंधन रखने में लग जाता है। ईंधन के चलते सफाई भी नहीं हो पाती थी। इससे उद्यमियों को तैयार माल दूसरे स्थानों पर रखना पड़ता था।


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