छठ पर्व- नारियल इसलिए महंगा हो गया, बाढ़-ट्रैफिक रूट का भी असर
केरल और तमिलनाडु में पिछले दिनों आई बाढ़ से नारियल की आवक पर प्रभाव पड़ा है। ऐसे में अभी कुछ दिन तक नारियल का पानी पीना महंगा पड़ेगा। असर छठ का व्रत करने वालों पर भ्ाी।
जेएनएन, पानीपत: नारियल के दामों में आए उछाल और आवक में कमी के चलते प्रदेश में अब इसकी किल्लत शुरू हो गई है। ये किल्लत अब कब तक रहेगी, इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। इसका असर छठ पर्व भी पड़ रहा है। जानने के लिए पढि़ए जागरण की ये खबर।
इन दिनों छठ पूजा में भी प्रयोग के लिए नारियल की जरूरत होती है। अर्घ्य में उपयोग किए जाने वाले नारियल के दामों में उछाल आ गया है। छठ करने वाले व्रती दोगुने रेट पर नारियल की खरीदारी कर रहे हैं। 20-25 रुपये में बिकने वाला नारियल बाजार में 50-60 रुपये में मिल रहा है।
एक ये भी वजह
दिल्ली में लोडिड ट्रालों की एंट्री बंद कर देने का नारियल की आवक पर असर पड़ा है। दिवाली पर प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली सहित पूरे एनसीआर जोन में औद्योगिक इकाइयों के चलाने पर 12 नवंबर तक पाबंदी है। प्रदूषण का स्तर बढऩे तक ट्रक और ट्रालो की एंट्री बंद कर दी गई है।
यहां से होती है आपूर्ति
दक्षिण भारत के राज्यों से देशभर में नारियल की आपूर्ति की जाती है। बिहार सहित उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा में इसकी खूब डिमांड होती है। व्रती नारियल से सूर्यदेव को अध्र्य देते हैं। डीजल चालित ट्रक और ट्राले के प्रवेश पर रोक लगा देने से केरल और तमिलनाडु से नारियल लेकर आने वाले भारी वाहन रास्ते में खड़े हैं। बाजार में आपूर्ति कम होने दाम में एकाएक उछाल आ गया है। व्रती छठ पर्व के लिए महंगे नारियल खरीदने से किसी तरह का समझौता नहीं कर रहे हैं।
पानीपत में 500 बोरी खपत
नारियल कारोबारी कौशल चौधरी का कहना है कि छठ पर्व पर दिल्ली में नारियल की आवक कम हो रही है। मांग ज्यादा होने से रेट में एकाएक उछाल आ गया है। एक बोरी नारियल (40) की कीमत 2000-2500 रुपये है। लोक आस्था के इस पर्व पर पानीपत में 500 बोरी नारियल की खपत होती है। हरियाणा में दो से ढाई हजार बोरी नारियल बिक जाता है।
नारियल का रकबा दोगुना
आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2013-14 में प्रति हेक्टेयर नारियल की उत्पादकता 10,122 फलों की थी। वर्ष 2017-18 में बढ़कर 11,516 फलों तक पहुंच गई। वर्ष 2017-18 के दौरान 1602.38 करोड़ रुपये का नारियल निर्यात किया गया। विभन्न प्रांतों में पिछले 4 वर्षों में नारियल खेती का रकबा 62 हजार 403 हेक्टेयर हो गया। वर्ष 2010-14 तक 36 हजार 477 हेक्टेयर था।