शिक्षा के मंदिर में चलाते हैं अपराध की पाठशाला, क्योंकि ये हैं ठगी के महारथी
कर्ज में डूब जाने के बाद पानीपत के संदीप और मनोज ने ठगी के लिए सक्सेस एकेडमी खोल ली। इसके बाद नौकरी का झांसा देकर 60 लोगों से ठगे 1.57 करोड़ रुपये ठगे।
पानीपत, जेएनएन। शिक्षा के मंदिर में नौकरी देने के नाम पर ठगी का खेल चल रहा था। युवाओं नौकरी का सपना दिखाकर ठगे करने वालों ने कोचिंग सेंटर खोल रखी थी। इसके जरिए युवाओं और उनके परिजनों को नौकरी दिलाने के नाम पर फंसाते और उनसे अच्छी खासी रकम ऐंठ लेते। पुलिस का दावा है कि उनके साथ सरकारी विभागों के कर्मचारियों की भी मिलीभगत है। पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।
बिशनस्वरूप कॉलोनी में सक्सेस एकेडमी के नाम पर ठगी का अड्डा बना कर लोगों को सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा देने वाले मुख्य आरोपित संदीप और मनोज को सीआइए वन पुलिस टीम ने गिरफ्तार किया है। पूछताछ में आरोपितों ने 60 से अधिक लोगों से ठगी की वारदात कुबूल की है। कर्ज से उबरने के लिए पिछले डेढ़ साल से ठगी करने की बात कुबूली। लोगों से 1.57 करोड़ रुपये की ठगी करने का दावा किया। पुलिस ने दोनों आरोपितों को शुक्रवार को कोर्ट में पेश कर पांच दिन के पुलिस रिमांड पर लिया है।
ये था मामला
सोनीपत के बुटाना निवासी कृष्ण प्रजापत ने सक्सेस प्वाइंट कोङ्क्षचग सेंटर मालिक संदीप निवासी बराना और छाजपुर निवासी मनोज पर साढ़े 11 लाख रुपये की ठगी करने का आरोप लगाया था। उसने बेटे, बेटे के साले और पुत्रवधू की रेलवे, बैंक व एम्स में नौकरी लगवाने की एवज में ठगी करने का दावा किया था। वहीं आरोपितों ने धोखाधड़ी के मामले से बचने के लिए उसके खिलाफ ही पुलिस में झूठी शिकायत दे दी। पुलिस जांच में मामला उल्टा पड़ गया। जांच में ठगी का राजफाश हो गया। सुबूतों के आधार पर पुलिस ने दोनों आरोपितों के खिलाफ केस दर्ज किया था। सीआइए वन की विशेष टीम आरोपितों की तलाश में लगातार छापेमारी कर रही थी। बृहस्पतिवार देर शाम पुलिस ने दोनों आरोपितों को सेक्टर 18 से गिरफ्तार किया।
घाटे में चली गई थी एकेडमी
जांच में पता चला है कि संदीप ने घर के आर्थिक बजट का एक बड़ा हिस्सा सक्सेस एकेडमी बनाने में निवेश किया था। शुरूआती महीनों में उसकी एकेडमी नहीं चली। घर से ही खर्च चलाता रहा। सालभर बीतने पर भी बात नहीं बनी तो वह कर्ज में फंसने लगा। एकेडमी पर आने वाले विद्यार्थियों के परिजन अक्सर पैसे खर्च कर सरकारी नौकरी हासिल करने की बात कहते थे। इसी बात से उसे सरकारी नौकरी के नाम पर ठगी करने का विचार आया। अपने परिवार का सब कुछ दांव पर लगाने की बजाए ठगी का रास्ता अपना कर वह करोड़पति बनने के लिए निकल पड़ा।
फर्जी लेटर तैयार कराता था मनोज, उप्र और झारखंड में जुड़े हैं तार
एकेडमी और घर खर्च चलाने के लिए संदीप ने धोखाधड़ी शुरू की तो वह ठगों के माध्यम से मनोज के संपर्क में आ गया। संदीप को मिलने से पहले मनोज छोटे स्तर पर लोगों से ठगी करता था। अब संदीप उसके पास ग्राहक लाने लगा तो वह इन सरकारी विभागों के कर्मचारियों से सेटिंग करने लगा। हजारों रुपयों लालच देकर फर्जी सर्टिफिकेट बनवाने का काम शुरू किया। जिसके बाद दोनों ने इसी काम को अपना पेशा बना लिया। बढ़ती कमाई देख दोनों आरोपित अपने रिश्तेदारों के नाम पर कार, ज्वैलरी और प्रॉपर्टी खरीदने लगे।
आरोपितों के गिरोह में कई अन्य लोग भी शामिल हैं। सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारी भी इसमें शामिल हो सकते हैं। निशानदेही के आधार पर जल्द ही गिरोह के अन्य सदस्यों को काबू किया जाएगा।
इंस्पेक्टर संदीप कुमार, सीआइए वन इंचार्ज
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