आठवीं कक्षा की छात्रा के साथ किया था दुष्कर्म, कोर्ट ने सुनाई 20 साल कठोर कारावास की सजा
पानीपत में आठवीं कक्षा की छात्रा से दुष्कर्म के मामले में कोर्ट ने दोषी को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। इसके अलावा 25 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। अगर वह जुर्माना नहीं भरता है तो उसे एक साल की अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी।
पानीपत, जागरण संवाददाता। पानीपत में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश विमल सपरा की कोर्ट ने कक्षा आठ की छात्रा से दुष्कर्म के दोषी को 20 साल की कठोर सजा सुनाई है। दोषी पर 25 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया है। उसके साथी को 354 आइपीसी में दो साल की सजा और 10 हजार रुपये जुर्माना लगाया। मामला चांदनी बाग थाना एरिया का है। जिला न्यायवादी राजेश कुमार चौधरी और सहायक जिला न्यायवादी अरविंद शर्मा ने संयुक्त रूप से यह जानकारी दी है।
पांच जुलाई 2018 को छात्रा की ओर से पुलिस को शिकायत दी गई थी। उसने बताया कि पूर्वाह्न करीब 11 बजे मैं और मेरी सहेली चार्ट पेपर लेने नलवा कालोनी गए थे। रास्ते में मोटरसाइकिल पर सवार रोहित व संदीप उर्फ काला मिले। रोहित ने मेरा हाथ पकड़ लिया, सहेली डरकर भाग गई। मैंने शोर मचाने का प्रयास किया तो उसने मेरा मुंह दबा दिया और पास के खाली मकान में ले गया। वहां उसने दुष्कर्म किया। संदीप ने भी दुष्कर्म का प्रयास किया। इसके बाद आरोपित फरार हो गए। छात्रा की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए पुलिस ने उसका मेडिकल कराने के साथ ही कोर्ट में बयान कराए।
20 गवाह पेश किए
पुलिस ने अगले ही दिन आरोपितों को गिरफ्तार कर पोक्सो एक्ट की धारा-6, 354 आइपीसी सहित एससीएसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज किया गया था। पूछताछ में रोहित और संदीप ने पुलिस के समक्ष अपना जुर्म भी कबूल किया था। केस में पुलिस ने दोनों छात्राओं सहित 20 गवाह पेश किए। शुक्रवार को कोर्ट ने दोनों आरोपितों को दोषी करार देकर, सजा और जुर्माना सुना दिया। रोहित ने जुर्माना की रकम 25 हजार रुपये जमा नहीं कराए हैं। उसे एक साल अतिरिक्त सजा भी भुगतनी पड़ेगी।
कठोर सजा से बचेंगी बेटियां
जिला न्यायवादी राजेश कुमार चौधरी ने कहा कि स्वस्थ समाज बेटियों को शिक्षित बनाकर, उन्हें उच्च पायदान पर देखना चाहता है। छेड़छाड़ और दुष्कर्म जैसी घटनाएं, बेटियों के लिए बाधा बनती रही हैं। कोर्ट ने दोषी को 20 साल की कठोर सजा सुनाकर संदेश दिया है कि अपराधी बच नहीं सकेंगे। विशेष अभियोजना अधिकारी को भी निर्देश है कि बेटियों से दुष्कर्म-छेडख़ानी के केसों को गंभीरता से लें। पीडि़ता व अन्य गवाहों की गवाही समय से होनी चाहिए।