Lok Sabha 2019: करनाल लोकसभा सीट के लिए सोशल मीडिया पर दावेदारी, अब तक बाहरी प्रत्याशी रहे हावी
लोकसभा चुनाव 2019 के लिए करनाल लोकसभा सीट के लिए एक बार फिर से जंग छिड़ चुकी है। इस सीट में 13 बार बाहर के प्रत्याशियों को टिकट मिला।
पानीपत, जेएनएन। लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले प्रत्याशी सोशल मीडिया पर उम्मीदवार का दावा करने लगे हैं। पैराशूट उम्मीदवारों के लिए चर्चित करनाल की सीट पर चार बार स्थानीय प्रत्याशी जीते। बाहरी प्रत्याशियों ने 13 बार चुनावी मोर्चा फतह किया। पैराशूट प्रत्याशियों के लिए 2019 का लोकसभा चुनाव जीतना इस बार आसान नहीं होगा।
जीटी रोड बेल्ट में करनाल लोकसभा के चर्चित सीट पर 1952 से लेकर 2014 तक 16 बार चुनाव कराए गए। छठे लोकसभा के गठन के दौरान 1977 में रोहतक से पंडित भगवत दयाल शर्मा जनता पार्टी की टिकट से चुनाव जीते थे। उसके बाद उन्हें उड़ीसा का राज्यपाल बनाया गया। रिजाइन करने से सीट रिक्त हो गया। 1979 में दोबारा उपचुनाव कराया गया। चौधरी महेंद्र सिंह लाठर जनता पार्टी से करनाल के सांसद बनें। छठे लोकसभा के तीन वर्ष के कार्यकाल में करनाल से दो राजनीतिज्ञों को सांसद बनने का अवसर मिला। प्रथम आम चुनाव से लेकर सोलहवें तक का ब्यौरा इस प्रकार है।
चुनाव वर्ष सांसद बने
- प्रथम 1952-57 विरेंद्र कुमार सत्यवादी (कांग्रेस)
- द्वितीय 1957-62 सुभद्रा जोशी, कोलकाता (कांग्रेस)
- तृतीय 1962-67 स्वामी रामेश्वरानंद, घरौंडा (जनसंघ)
- चौथा 1967-71 माधोराम (कांग्रेस)
- पांचवां 1971-77 माधोराम (कांग्रेस)
- छठा 1977-79 पंडित भागवत दयाल, रोहतक (जनता पार्टी)
- उपचुनाव 1979-80 महेंद्र सिंह लाठर, करनाल (जनता पार्टी)
- सातवां 1980-84 पंडित चिरंजीलाल, सोनीपत (कांग्रेस)
- आठवां 1984-89 पंडित चिरंजीलाल
- नौंवां 1989-91 पंडित चिरंजीलाल
- दसवां 1991-96 पंडित चिरंजीलाल
- ग्यारहवां 1996-98 ईश्वरदयाल, अंबाला (भाजपा)
- बारहवां 1998-99 भजनलाल, हिसार (कांग्रेस)
- तेरहवां 1999-2004 ईश्वर दया अंबाला (भाजपा)
- चौदहवां 2004-2009 अरविन्द शर्मा, सोनीपत (कांग्रेस)
- पंद्रहवा 2009-2014 अरविंद शर्मा
- सोलहवां 2014-2018 अश्वनी चोपड़ा, दिल्ली, (भाजपा)
चौबीस घंटे उपलब्ध रहेंगे : गौरव वालिया
मॉडल टाउन निवासी गौरव वालिया का कहना है कि अपने क्षेत्र का लोकसभा प्रत्याशी हर छोटे से छोटे कार्यकर्ता और स्थानीय व्यक्तियों को अच्छी तरह जान सकेगा। छोटे से छोटा व्यक्ति भी उसके समक्ष जाकर अपनी बात रख सकता है। मुद्दों और समस्याओं को जितनी अच्छी तरह से एक स्थानीय प्रत्याशी समझ सकेगा उतना पैराशूट वाले प्रत्याशी नहीं कर सकते हैं। लोकसभा के सत्र को छोड़ कर 24 घंटे हमारे बीच उपलब्ध हो सकत हैं। बाहरी व्यक्ति अफसर की तरह टाइम शेड्यूल बना कर जनता से मिलने आते हैं। जनता को जब उनकी जरूरत होती है तो नदारद हो जाते हैं।
शहर से ज्यादा लगाव होगा : शमशेर
रामशरणम के पास रहने वाले शमशेर सिंह का कहना है कि स्थानीय प्रत्याशी का शहर से ज्यादा लगाव होगा। वोट लेने के बाद जनता के कार्यों को समय पर पूरे करवाने की शर्म होगी। पैराशूट वाले प्रत्याशी जो बाहर से मैदान में आ जाते हैं जरूरी नहीं है कि अगले टर्म में पार्टी उन्हें दोबारा टिकट दे। पानीपत 60 वर्षों से जंक्शन सिटी है। 2019 के लोकसभा के चुनाव में प्रत्याशी पानीपत का होना चाहिए।