हे भगवान : पीएनसी वार्ड में 32 बेड और 70 जच्चा-बच्चा
हे भगवान : पीएनसी वार्ड में 32 बेड और 70 जच्चा-बच्चा।
जागरण संवाददाता, पानीपत : सिविल अस्पताल के एएनसी (प्रसव पूर्व देखभाल) और पीएनसी (प्रसवकालीन देखभाल) कक्ष के हालत शनिवार को बदतर दिखे। एएनसी-पीएनसी में कुल 32 पलंगों पर 70 जच्चा-बच्चा को लेटे हुए देखा गया। गर्मी और उमस के कारण एक बेड पर लेटना मुश्किल हुआ तो जच्चा बारी-बारी से आराम से करवटें बदलती देखीं। कक्ष में तीमारदारों की भीड़ व्यवस्था को चौपट करने पर उतारू दिखी।
गौरतलब है कि सिविल अस्पताल के एएनसी-पीएनसी वार्ड में कुल 32 बेड हैं। । एएनसी वार्ड तो सिर्फ कहने के लिए है, डिलीवरी से पहले गर्भवती महिलाओं को आराम के लिए बेड नसीब नहीं होता। डिलीवरी की बात करें तो रोजाना 30-35 महिलाएं यहां प्रसव के लिए पहुंचती हैं। सामान्य डिलीवरी होने पर जच्चा-बच्चा को कम से कम 48 घंटे अस्पताल में रखने का प्रावधान है। बिस्तर कम होने के कारण 12 से 18 घंटे में जच्चा-बच्चा को डिस्चार्ज कर दिया जाता है। इस दौरान भी एक बिस्तर पर दो जच्चा दो बच्चा आराम करते हुए देखे जा सकते हैं। वार्ड में यूं तो आमतौर पर पुरुषों का प्रवेश इस कक्ष में वर्जित है। पर्याप्त सख्ती नहीं होने के कारण शनिवार को तीमारदार भी जच्चा-बच्चा के पास बैठकर गप्पे हांकते देखे गए। पेयजल संकट भी यहां रहता है। जच्चा-बच्चा के डिस्चार्ज होने के बाद एंबुलेंस की सुविधा भी नहीं मिल पाती। वर्जन
सरकार ने 100 बेड की मैटरनल एंड चाइल्ड हैल्थ (एमसीएच) ¨वग को मंजूरी दी है। आर्किटेक्ट नक्शा तैयार कर रहे हैं। ग्रांट मंजूर होते ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। इससे पहले पुरानी बिल्डिंग के कुछ हिस्से का नवीनीकरण करते हुए एएनसी-पीएनसी वार्ड को बेहतर बनाया जाएगा।
डॉ. संतलाल वर्मा, सिविल सर्जन।
----------- वॉर्मर की संख्या कम
सिक न्यू बोर्न बेबी केयर यूनिट (एसएनसीयू) में अधिकतर प्री-मेच्योर और संक्रमण के शिकार बच्चों को तीन-चार दिन तक रखा जाता है। यहां भी मात्र 14 वॉर्मर हैं। इनमें से एक-दो खराब भी होते रहते हैं। प्री-मेच्योर शिशुओं के जन्म लेने का अनुपात बढ़ रहा है। नतीजा, एक वॉर्मर में दो बच्चे लेटे हुए देखे जा सकते हैं। पिछले दिनों बाल कल्याण समिति, पानीपत के सदस्यों ने सिविल सर्जन से मिलकर आपत्ति भी जताई थी। वेंटिलेटर की संख्या कम :
सिविल अस्पताल का एसएनसीयू वेंटिलेटर की सुविधा के लिए दशकों से तरस रहा है। डिमांड भेजे जाने के बावजूद सरकार सुध नहीं ले रही है। नतीजा, नवजात जैसे ही कुछ गंभीर हुआ उसे खानपुर या रोहतक पीजीआइ रेफर कर दिया जाता है। जर्जर बिल्डिंग, पुरानी वाय¨रग :
दरअसल, फिलहाल मदर एंड चाइल्ड हेल्थ केयर ¨वग अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग में है। यह इमारत तकरीबन 50 साल पुरानी है। मीटर रूम में पुराने उपकरण लगे हैं। ट्रांसफार्मर 40 किलोवॉट का है, जबकि लोड दोगुना। नतीजा, बिल्डिंग का पलस्तर टूट कर गिरता रहता है। वाय¨रग में आए फॉल्ट के कारण एक सप्ताह पूर्व एसएनसीयू के तीनों एसी जवाब दे गए थे। बच्चों को बाहर कूलर की हवा में लिटाना पड़ा था। इस दौरान रेफर हुए पांच बच्चों में से एक की मौत भी हो गई थी।