महिलाओं का खतना करना क्रूर अत्याचार, सम्मान को भी ठेस
एडवोकेट गर्ग ने कहा कि समुदाय विशेष की एक बोहरा जाति में महिलाओं का खतना कुप्रथा चलन में है। यह महिलाओं के साथ एक क्रूर अत्याचार तो है साथ में उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने वाला भी है।
जागरण संवाददाता, पानीपत : महिला जननांग विकृति के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय शून्य असहिष्णुता दिवस पर सिविल अस्पताल के ओपीडी ब्लाक में शनिवार को जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण (डीएलएसए) के पैनल एडवोकेट दिनेश गर्ग ने कानूनी अधिकारों की जानकारी दी।
एडवोकेट गर्ग ने कहा कि समुदाय विशेष की एक बोहरा जाति में महिलाओं का खतना कुप्रथा चलन में है। यह महिलाओं के साथ एक क्रूर अत्याचार तो है, साथ में उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने वाला भी है। हालांकि, उत्तर भारत में यह कुप्रथा नहीं है, लेकिन देश के कुछ हिस्सों में है। इस कुप्रथा को वर्ष 2030 तक खत्म करने के लिए वर्ष 2012 में संयुक्त राष्ट्र सभा ने छह फरवरी को विशेष दिवस मनाने का प्रस्ताव पारित किया था।
उन्होंने कहा कि ऐसा कोई केस है तो पीड़िता डीएलएसए की मदद लेकर आरोपितों के विरुद्ध क्रिमिनल केस दायर कर सकती है। सिविल सर्जन डा. संतलाल वर्मा ने कहा कि कुप्रथा के नाम पर किसी महिला के जननांग को विकृत करना, उसके जीवन को खतरे में डालना है। महिला संक्रमण का शिकार हो सकती है। एचआइवी से ग्रस्त हो सकती है। शारीरिक संबंध बनाने में दिक्कत हो सकती है। अगर किसी महिला को इस प्रकार की दिक्कत है तो वह तुरंत चिकित्सक को दिखाए। इसमें लापरवाही बरतना भारी पड़ सकता है। इस मौके पर डिप्टी एमएस डा. अमित पोरिया, डा. रिचा सावन, डा. एकता बठला, मेटरन राजबाला, सोहन सिंह, कृष्णा भाटिया मौजूद रहे। उधर, प्राधिकरण की पैनल एडवोकेट सुदेश मलिक ने इसी विषय पर सेक्टर-18 स्थित देशबंधु कालेज में जागरूकता शिविर लगाया।