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क्रिसमस डे: हरियाणा का एक ऐसा गांव, जहां हर घर इसाईयों का, मिल चुका निर्मल पुरस्‍कार

हरियाणा के कैथल के गांव इसाईखेड़ा को अंग्रेजों ने बसाया था। आसपास की सबसे बड़ी चर्च है गांव इसाईखेड़ा में। चर्च आफ नार्दर्न इंडिया डायसेस आफ दिल्ली से होती है पादरी की नियुक्ति। 25 एकड़ जमीन है चर्च के नाम।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 24 Dec 2021 02:51 PM (IST)Updated: Sat, 25 Dec 2021 08:40 AM (IST)
क्रिसमस डे: हरियाणा का एक ऐसा गांव, जहां हर घर इसाईयों का, मिल चुका निर्मल पुरस्‍कार
कैथल के गांव इसाईखेड़ा में क्रिसमस की तैयारी।

कैथल, [पंकज आत्रेय]। दो सौ साल पहले ब्रिटिश शासकों ने कैथल के कस्बे राजौंद के पास अपने ठहरने के लिए विश्राम गृह बनाया था। वहां प्रार्थना के लिए तब एक छोटा चर्च भी स्थापित किया गया, जो आज क्षेत्र का सबसे बड़ा चर्च माना जाता है। विश्राम गृह वाली जगह पर अब 2500 की आबादी का गांव इसाईखेड़ा बस चुका है, जिसका दूसरा नाम संतोख माजरा भी है। हर रविवार को यहां विशेष पाठशाला लगती है, जिसमें पांच से 14 साल तक के बच्चों को बाइबल की पढ़ाई करवाई जाती है।

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तीन घंटे तक कक्षाएं लगती हैं और सिर्फ महिला शिक्षक ही बच्चों को पढ़ाती हैं। गांव में बने चर्च के नाम 25 एकड़ जमीन है, जबकि पंचायत के पास 28 एकड़ कृषि भूमि है। दस साल तक गांव के सरपंच रहे सेवानिवृत शिक्षक जोसेफ दास बताते हैं, यहां हर परिवार अपने बच्चों की शिक्षा पर बल देता है। यह गांव दो बस्तियों में बसा है, जिनमें एक किलोमीटर की दूरी है। एक ही पंचायत है। गांव में आठवीं तक का स्कूल है। यहां 1050 मतदाता हैं। गांव को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से निर्मल पुरस्कार हासिल है और जल बचाव के लिए जिले में इसे प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

दिल्ली से होता है चर्च का संचालन

जोसेफ दास गांव की चर्च आफ नार्दर्न इंडिया (सीएनआइ) के खंजाची भी हैं। उन्होंने बताया कि चर्च का पूरा संचालन डायसेस आफ दिल्ली से होता है। वहीं से पादरी की नियुक्ति की जाती है, जो कि वैतनिक होते हैं। एक चर्च में तीन साल तक उनका कार्यकाल रहता है और उसके बाद तबादला कर दिया जाता है। पादरी के लिए गांव में एक कोठी बनाई गई है। साल में दो बार दिल्ली से प्रतिनिधिमंडल आकर यहां दौरा करता है और मुंबई स्थित सीनेट से भी समय-समय पर व्यवस्था की देखभाल के लिए टीम आती है।

शादी से पहले होती है शिक्षा-दीक्षा

जोसेफ दास के मुताबिक, गांव में जब युवक 18 साल का हो जाता है तो बाइबल के अनुसार उसकी शिक्षा-दीक्षा की जाती है। शादी से पहले यह करना अनिवार्य है। इस मौके पर पूरे गांव का प्रीतिभोज रखा जाता है और चर्च में कार्यक्रम होता है। उन्होंने बताया कि गांव से पांच युवक डाक्टर, 50 स्टाफ नर्स, सात इंजीनियर हैं। एयर फोर्स में यहां के सीएम मार्टिन चौहान स्कवाडर्न लीडर रहे हैं तो सेना में भी कैप्टन के पद पर रहे मिल्खी राम ने देश की सेवा की। कई परिवारों से युवा विदेश में हैं। खुद जोसेफ का पूरा परिवार अमेरिका में रहता है।

मतातंरण काे प्रमोट नहीं करते

उनका दावा है कि गांव के लोग और चर्च प्रबंधन किसी भी स्तर पर मतातंरण को प्रमोट नहीं करता है। बाइबल में प्रेम को सर्वोत्तम बताया गया है और इंसानियत से प्रेम को सबसे बड़ा दर्जा प्रदान है। सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है और किसी को भी धर्म बदलने या किसी धर्म की निंदा करने के लिए नहीं कहा जाता है।


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