चिटफंड घोटाला - करोड़ों लेकर फरार हुए, हाई कोर्ट से मांग रहे सुरक्षा
चिटफंड के करोड़ों लेकर फरार हुए राजन कालड़ा बैंक से डिफाल्टर घोषित। 15 जनवरी को फरार हो गए थे राजन व संजय। हरियाबांस में ईशान इंडस्ट्री पर है बैंक ऑफ इंडिया का करीब 85 लाख का लोन।
पानीपत/यमुनानगर, जेएनएन। चिटफंड के करोड़ों रुपये लेकर फरार होने वाले मार्केट कमेटी के चेयरमैन ओमप्रकाश कालड़ा के बेटे राजन कालड़ा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। अब बैंकों ने भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। हरियाबांस में उनकी ईशान इंडस्ट्री के खिलाफ लोन न चुकाने पर बैंक ऑफ इंडिया ने नोटिस जारी किया है। करीब 85 लाख रुपये का बैंक से लोन लिया गया है। इस बैंक से वह एनपीए घोषित हो चुके हैं। वहीं राजन व संजय खुराना का अभी तक कोई पता नहीं लग सका है। उनके अधिवक्ता ने बताया कि हाई कोर्ट में राजन व संजय ने सुरक्षा याचिका लगाई है। वहां से सुरक्षा के आदेश मिलते ही राजन व संजय वापस आ जाएंगे। दावा किया कि वह सभी लेनदारों का हिसाब करेंगे। बता दें कि ओमप्रकाश कालड़ा ने सीएम के नाम इस्तीफा दे दिया है। स्वीकार हुआ या नहीं, इस पर कोई कुछ नहीं बोल रहा।
बैंक ऑफ इंडिया ने जारी किया नोटिस
बैंक ऑफ इंडिया की ओर से जारी किए गए नोटिस में कहा गया है कि मॉडल टाउन निवासी ओमप्रकाश कालड़ा के पुत्र राजन कालडा की फैक्ट्री मैसर्स इशान इंडस्ट्री गांव हरियाबांस पर 84 लाख 35 हजार 269 रुपये का लोन बकाया है। इस बारे में प्रतिभूति अधिनियम 2002 के तहत पूर्व में डाक से नोटिस भेजा गया, लेकिन उसका कोई जवाब नहीं दिया गया। 31 जनवरी को बैंक ने उन्हें एनपीए घोषित कर दिया। अब लोन की रकम पर 10.80 प्रतिशत की दर से चक्रवृद्धि ब्याज शुरू हो गया है। यह पैसा चुकाने के लिए 60 दिन का समय दिया गया है। साथ ही यह भी निर्देश दिए गए हैं कि अधिनियम की धारा 13(13) के अनुसार इस रकम को चुकाने के लिए इशान इंडस्ट्री को किसी भी तरह से लीज पर देने या बिक्री करने और ट्रांसफर करने का अधिकार नहीं है।
यह रखा गया हाई कोर्ट में तर्क
राजन व संजय की ओर से हाई कोर्ट में तर्क रखा गया कि उन्होंने अलग-अलग नाम से फर्में बनाई थी। इसमें उनके साइलेंट पार्टनर थे। कुछ ने आरटीजीएस के माध्यम से पैसों का लेन देन किया। अब बिजनेस में नुकसान होने पर वह पैसा वापस देने का दबाव बना रहे थे। नुकसान होने की वजह से वह मानसिक तनाव में थे। इसलिए घर छोड़कर चले गए। पीछे से लोगों ने उनके शोरूम पर हंगामा किया और अंदर घुसकर तोडफ़ोड़ की। उनके शोरूम से ब्लैंक चेक भी कुछ लोग लेकर चले गए। वह शोरूम के बाहर ही धमकी दे रहे थे कि इन चेकों को अलग-अलग नामों से कोर्ट में लगाएंगे। जिससे राजन व व संजय कानूनी पचड़े में फंसेंगे। याचिका में उन्होंने प्रदेश सरकार, एसपी, सिटी यमुनानगर थाना प्रभारी समेत राजीव पाहवा, ब्रिजेश चानना, विक्की मलिक और योगेश राणा को पार्टी बनाया है।
पुलिस नहीं कर रही कार्रवाई
17 फरवरी को पुलिस को संजय खुराना के पिता राजेंद्र ने शिकायत दी थी। जिसमें योगेश राणा पर धमकी देने का आरोप लगाया था। उस समय भीर पुलिस ने केवल गुमशुदगी का मामला दर्ज किया। वहीं लेनदारों ने भी अलग-अलग शिकायतें पुलिस को दी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई अभी तक नहीं की है। पुलिस इस केस में जांच की बात कह रही है। यही कारण है कि अब लेनदार भी इस मामले में कोर्ट का सहारा लेने की तैयारी में हैं।
15 जनवरी को हो गए थे लापता
चिटफंड का धंधा करने के आरोपित राजन व संजय 15 जनवरी को लापता हो गए थे। उनके लापता होते ही लेनदार सामने आ गए। लेनदारों का आरोप था कि चिटफंड के करोड़ों रुपये संजय व राजन लेकर फरार हुए हैं। दशहरा ग्राउंड में तीन दिन तक लेनदार जुटे। लोगों को जोडऩे के लिए वाट्सएप ग्रुप भी बनाया गया, लेकिन तीन दिन बाद यह ग्रुप डिलीट कर दिया गया। एसपी कुलदीप सिंह को भी इस संबंध में शिकायत दी गई थी। वहां से आश्वासन मिला था कि नियमानुसार जांच करवाई जाएगी। जांच के बाद ही कार्रवाई होगी। अब लेनदार भी शांत बैठ गए हैं, तो कुछ लेनदार अधिवक्ताओं के माध्यम से अपने पैसे वापस पाने के लिए कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रहे हैं।