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चीन को झटका, शंघाई में मशीनरी टेक्सटाइल फेयर में सन्नाटा, भारतीय खरीदार नहीं पहुंचे

चीन को एक और बड़ा झटका लगा है। चीन में लगने वाले मशीनरी टेक्‍सटाइल फेयर में इस बार भारतीय खरीदार नहीं पहुंचे। जबकि ट्रेड फेयर में हर वर्ष सैकड़ों भारतीय उद्यमी पहुंचते थे। हर वर्ष चीन के शंघाई में मशीनरी ट्रेड फेयर लगता है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 02:37 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 02:37 PM (IST)
चीन को झटका, शंघाई में मशीनरी टेक्सटाइल फेयर में सन्नाटा, भारतीय खरीदार नहीं पहुंचे
चीन के शंघाई में लगे मशीनरी ट्रेड फेयर में सन्नाटा।

पानीपत, [महावीर गोयल]। चीन के शंघाई में लगे मशीनरी ट्रेड फेयर में सन्नाटा पसरा हुआ है। हर वर्ष यह ट्रेड फेयर लगता है। फेयर में भारत से मशीनरी खरीदने काफी संख्या में पहुंचते हैं। इस बार भारतीय चीन की मशीन देखने के लिए भी नहीं पहुंचे, खरीदना तो दूर की बात है। अकेले पानीपत में करोड़ों रुपये की चाइना की मशीनें लगी हुई हैं। चीन की मशीन पर ही पानीपत मिंक कंबल, 3डी चादर, पोलर, कंबल से लेकर कारपेट तक बना रहा है। सबसे सस्ता कपड़ा वाटरजेट पर बनता है। वाटरजेट प्लांट भी चीन से आते हैं।

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भारत में लगने वाले ट्रेड फेयर में भी चीन की मशीनरी के स्टाल जरूर लगते हैं। टेक्सटाइल मशीनरी कारोबारी सरदार प्रीतम सिंह बताते है कि पानीपत ही नहीं, अन्य टेक्सटाइल इंडस्ट्री सिटी लुधियाना, सूरत, कोयम्बटूर, भीलवाड़ा, अहमदाबाद में चीन की निर्मित मशीन लगी हुई हैं। चीन की मशीने सस्ती होने के कारण लगाई जा रही हैं लेकिन चीन और भारत के बीच तनाव के बाद रूख में परिवर्तन आया है। अब हम मेड इन इंडिया पर जोर दे रहे हैं। अन्य देशों से टेक्सटाइल मशीनरी मंगवाने को प्राथमिकता दे रहे हैं। पहले देश में 90 प्रतिशत टेक्सटाइल मशीनरी चीन से आती रही। अब दूसरे देशों से मशीन मंगा रहे हैं।

स्पेयर पाट््र्स बनी जरूरत

कपड़ा क्षेत्र में ज्यादातर प्लांट चीन के लगे हुए हैं। चीन की मशीनरी से माल बनाकर हमने चीन को ही मात दी है, लेकिन अब समस्या स्पेयर पाट््र्स को लेकर आ रही है। चाइना मेड मशीन के लिए स्पेयर पाट्र्स वहीं से मंगवाया जाता है। कोविड के कारण 15 अप्रैल 30 मई तक स्पेयर पाट््र्स मंगवाना कठिन हो गया था। स्पेयर पाट््र्स का हवाई किराया पांच गुना हो गया था। मशीनरी के पाट््र्स का कोरियर चार्ज जो 3-4 डालर प्रति किलोग्राम आ रहा था, वह 15 डालर तक पहुंच गया था। जून की शुरुआत में राहत मिलने लगी है। अब चीन से आक्सीमीटर, आक्सीजन कंसंट्रेट सहित अन्य कोविड इक्यूपमेंट आने बंद हो गए। इसीलिए विभिन्न कोरियर कंपनियों ने कोरियर के रेट फिर से कम करके 3-4 डालर कर दिए हैं।

हम सक्षम हैं सुविधाएं चाहिए

पानीपत में 500 से 700 करोड़ का कारोबार टेक्सटाइल मशीनरी बनाने का है। टेक्सटाइल मशीनरी बनाने वाले कारोबारी एचएस धम्मू का कहना है कि हम चीन से भी अच्छी क्वालिटी के मशीन बनाने में सक्षम हैं। सरकार प्रोत्साहन दे तो हम आत्मनिर्भर बन सकते हैं। वर्तमान में भी बांग्लादेश, श्रीलंका, पाकिस्तान, भूटान तक हमारे यहां से बनी टेक्सटाइल मशीनरी निर्यात हो रही है। हमें आर एंड डी (रिसर्च एंड डिवेलपमेंट) की सुविधा मिले तो हम मशीनरी के उत्पादन में आत्मनिर्भर हो सकते हैं। इसके लिए पानीपत में पिछले दस सालों से टेक्सटाइल मशीनरी कलस्टर प्रस्तावित है। बिल्डिंग तक हम बना चुके हैं, लेकिन सरकार ने मदद से हाथ खींच लिए है। यदि ये प्रोजेक्ट बन जाता तो हम अब तक मशीनरी में आत्मनिर्भर हो चुके होते।

यूरोपियन देशों से आ रही मशीनें

पानीपत में यूरोप, जापान, जर्मन, स्विटजरलैंड, फिनलैंड से टेक्सटाइल मशीनरी मंगवाई जा रही है। कंबल बनाने में कोरिया से मशीनें मंगवाई जा रही हैं।


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