जित दूध-दही का खाणा, वहीं एनीमिया का शिकार हो रहा बचपन
स्कूल हेल्थ टीम की रिपोर्ट चौंकाने वाली है। हरियाणा के पानीपत में पांच हजार से ज्यादा बच्चे एनीमिक पाए गए हैं।
पानीपत, जेएनएन। हम हरियाणवी बड़े गर्व से कहते हैं कि देशन में देश हरियाणा, जित दूध-दही का खाणा। लेकिन, इसी प्रदेश के पानीपत जिले में करीब पांच हजार बच्चे और किशोर एनीमिया (खून की कमी) के शिकार हैं। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाया हुआ है।
स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर और स्कूल हेल्थ टीम स्कूल और विद्यालयों में जाकर बच्चों के स्वास्थ्य की जांच कर, रिपोर्ट तैयार करती है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में विभाग ने 552 बच्चे ऐसे चिन्हित किए जिनके रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा छह ग्राम से भी कम होने (अति एनीमिक) की आशंका थी। इन्हें सिविल अस्पताल स्थित डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर में रेफर किया गया तो 147 कंफर्म हुए। इनमें से मात्र 13 स्वस्थ हुए, बाकी का इलाज चल रहा है। इनके अलावा 7,722 बच्चे-किशोर एनीमिक चिन्हित हुए, इनमें से 4,298 कंफर्म हुए और मात्र 824 का इलाज हुआ। बाकी उपचाराधीन बताए गए हैं।
10 फीसद संख्या बढ़ी
गत वर्ष की तुलना में संख्या दस फीसद अधिक बताई गई है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने भी आंगनबाड़ी केंद्रों से करीब 156 बच्चों की सूची स्वास्थ्य विभाग को दी है।
यह है एनीमिया
स्वस्थ्य रहने के लिए शरीर को पोषक तत्वों के साथ आयरन की भी जरूरत होती है। आयरन शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है। कोशिकाएं हीमोग्लोबिन बनाने का काम करती हैं। हीमोग्लोबिन फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर रक्त में पहुंचाता है। हीमोग्लोबिन कम होने से शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। इसकी वजह से कमजोरी और थकान महसूस होती है। इसी स्थिति को एनीमिया कहते हैं।
- लक्षण :
- चक्कर आना
- थकान होना
- त्वचा का पीला पडऩा
- सीने में दर्द
- तलवे और हथेलियों का ठंडा पडऩा
- लगातार सिर में दर्द
- शरीर में तापमान की कमी
- आंखों के नीचे काले घेरे
ऐसे करें एनीमिया का मुकाबला
- मांस, अंडा, मछली, किशमिश, सूखी खुबानी, हरी बीन्स, पालक और हरी पत्तेदार सब्जियों, चुकंदर का सेवन करें।
- विटामिन-सी के लिए अमरूद, आंवला और संतरे का जूस पिएं।
- खजूर, तरबूज, सेब, अंगूर, किशमिश और अनार खाने से खून बढ़ता है।
जागरूकता जरूरी
एनीमिक बच्चों-किशोरों का इलाज तीन से छह माह तक चलता है। आंगनबाड़ी, स्कूल और विद्यालयों में बच्चों को आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां खिलाई जाती हैं। आशा और आंगनबाड़ी वर्कर्स अभिभावकों को जागरूक भी करती हैं।
डॉ. मुनेश गोयल, डिप्टी सिविल सर्जन