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बाल विवाह रुकवाते समय घेर लेती है भीड़, रजनी करती हैं मुकाबला

कानून की पालना करना भी कई बार किसी अधिकारी के लिए मुसीबत बन जाता है। खासकर, अधिकारी महिला है तो संकट और भी बड़ा हो जाता है। यूं कहिए कि इसी का नाम चुनौती है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Oct 2018 07:18 AM (IST)Updated: Sat, 13 Oct 2018 07:18 AM (IST)
बाल विवाह रुकवाते समय घेर लेती है भीड़, रजनी करती हैं मुकाबला
बाल विवाह रुकवाते समय घेर लेती है भीड़, रजनी करती हैं मुकाबला

जागरण संवाददाता, पानीपत : कानून की पालना करना भी कई बार किसी अधिकारी के लिए मुसीबत बन जाता है। खासकर, अधिकारी महिला है तो संकट और भी बड़ा हो जाता है। यूं कहिए कि इसी का नाम चुनौती है। जिला बाल विवाह निषेध एवं महिला संरक्षण अधिकारी रजनी गुप्ता भी एक ऐसा ही नाम है, जिन्हें बार-बार चुनौतियों से दो-चार होना पड़ता है। नौकरी के तकरीबन नौ साल के दौरान वे 2000 से अधिक बाल विवाह रुकवा चुकी हैं।

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माता-पिता की सबसे छोटी संतान रजनी गुप्ता ने अपने करियर की शुरुआत पत्रकारिता से की। इस पेशे में तमाम ऐसे लोगों से मिलीं, जो न्याय पाने के लिए दर-दर भटकते थे। एक दिन उन्होंने कानून की डिग्री लेने की ठानी। एलएलबी में एडमिशन लिया। पासआउट होने पर जिला बार एसोसिएशन की सदस्यता भी ली। वर्ष 2008 में उनकी नियुक्ति जिला बाल विवाह निषेध एवं महिला संरक्षण अधिकारी के पद पर हो गई। नौकरी मिलने से उन्हें दोगुनी खुशी हुई, एक तो वे कानून का सहारा लेकर कुछ बेहतर करने की पक्षधर हैं। दूसरे, बाल विवाह जैसी कुप्रथा को जड़ से खत्म करने का मौका मिल गया।

शुरुआती दौर में बाल विवाह रुकवाने मौके पहुंचती और भीड़ उन्हें घेर लेती तो वह डरने लगती थी। अब वे भीड़ से घिर जाती हैं तो पूरे आत्मविश्वास के साथ उन्हें कानून की जानकारी देती हैं। रजनी नौ वर्षो के दौरान 50 बार भीड़ से घिरीं, गाड़ी पर पथराव भी हुआ। बाल विवाह करने वाले परिवार महिलाओं को आगे कर देते हैं। महिलाओं ने उनसे हाथापाई का प्रयास भी किया।

हर बार चुनौतियों से पार पाई रजनी ने बताया कि मुझे खुशी है कि मैं एक कुप्रथा को मिटाने की मुहिम का हिस्सा हूं। व्यक्तिगत मामलों में भी वे विरोधियों का सामना करती रही हैं।


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