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मुस्लिम लॉ को आधार मानकर निकाह के लिए सेशन कोर्ट में करेंगे अपील

नाबालिग मुस्लिम लड़की का निकाह रोके जाने पर परिवार अब ऊपरी अदालत में याचिका लगाएगा।

By Edited By: Published: Mon, 19 Mar 2018 02:35 AM (IST)Updated: Mon, 19 Mar 2018 10:59 AM (IST)
मुस्लिम लॉ को आधार मानकर निकाह के लिए सेशन कोर्ट में करेंगे अपील
मुस्लिम लॉ को आधार मानकर निकाह के लिए सेशन कोर्ट में करेंगे अपील
राज ¨सह, पानीपत नाबालिग मुस्लिम लड़की का निकाह रोके जाने पर परिवार अब ऊपरी अदालत में याचिका लगाएगा। एसीजेएम पायल बंसल की अदालत मुस्लिम लॉ के आधार को खारिज कर दिया था। फैसले को सेशन कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। लड़की पक्ष के वकील मोहम्मद हारुन खान ने कहा कि शरीयत के तहत लड़की की विवाह योग्य आयु 15 वर्ष मानी गई है। लड़की निकाह के लिए रजामंद है और शरीर से स्वस्थ है तो वह इस आयु में निकाह कर सकती है । पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट, गुजरात व दिल्ली हाई कोर्ट के कई निर्णय एसीजेएम कोर्ट में रखे गए लेकिन नजरअंदाज किए गए, इसलिए सेशन कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। बाल विवाह के बढ़ रहे मामले : गरीबी, अशिक्षा, बेटियों से छेड़छाड़ व दुष्कर्म जैसी वारदातें ही बाल विवाह वृद्धि का कारण नहीं हैं। मुस्लिम समाज इस्लॉमिक कानून यानि मुस्लिम लॉ को आधार मानकर नाबालिग बेटियों का निकाह कर रहे हैं। जनवरी 2017 से फरवरी 2018 तक प्रदेश के 17 जिलों में 409 बाल विवाह रुकवाए गए। 35 मामलों में आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। बात पानीपत की करें तो मौजूदा माह में बाल निकाह के पांच मामले सामने आ चुके हैं। महिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी रजनी गुप्ता द्वारा पुलिस की मदद से चार दिन पहले विद्यानंद कॉलोनी, 9 मार्च को भी इसी कॉलोनी में, 8 मार्च को कुराड गांव में तथा 4 मार्च को गांव नवादा आर में नाबालिग बेटियों का निकाह रुकवाने के मामले शामिल हैं। समाज विशेष में मात्र एक पखवाड़े के अंतराल में बाल निकाह के इतने मामले सामने आना शिक्षित समाज के लिए ¨चताजनक है। एक सर्वे की मानें तो मुस्लिम समाज में लगभाग 11 प्रतिशत लड़कियों का निकाह 18 वर्ष से कम आयु में कर दिया जाता है। एडवोकेट की राय इस्लॉमिक लॉ की बात करें तो प्रथम मासिक धर्म होने पर ही लड़की को बालिग मान लिया जाता है, उसका निकाह वैध माना जाएगा। माता-पिता की इजाजत बिना निकाह करने वाली नाबालिग 164 के बयान में पति के साथ जाने पर अमादा है तो कोर्ट अपने विवेक से लड़की को पति के घर, पिता के घर या शेल्टर होम भेज सकती है। माता-पिता बेटी का निकाह कर रहे हैं तो उन्हें बाल विवाह निषेध एक्ट-2006 का पालन करना चाहिए। एडवोकेट मोमिन मलिक वर्जन : मुस्लिम समाज की लड़की ने कम आयु में निकाह कर लिया है और यह मामला कोर्ट तक पहुंचता है तो मुस्लिम लॉ को बाल विवाह निषेध एक्ट 2006 सुपर सीड कर लेगा। हालांकि, नाबालिग फीमेल पर एक्ट के उल्लंघन का मामला नहीं बनेगा। निकाह कराने में शामिल लोगों को सजा हो सकती है। एडवोकेट परीक्षित अहलावत

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