कोई भी बीमारी बाल विवाह को जायज नहीं ठहराती : कोर्ट
माता या पिता की गंभीर बीमारी बाल विवाह को जायज नहीं ठहराती।
By Edited By: Published: Wed, 21 Feb 2018 02:41 AM (IST)Updated: Wed, 21 Feb 2018 10:59 AM (IST)
जागरण संवाददाता, पानीपत माता या पिता की गंभीर बीमारी बाल विवाह को जायज नहीं ठहराती। बाल विवाह निषेध कानून बना हुआ है। इसका पालन बीमारी ग्रस्त अभिभावकों को भी करना होगा। जेएमआईसी विनती की कोर्ट ने उरलाना कलां में रुकवाए गए बाल विवाह मामले में लड़की की मां को सीख देते हुए मंगलवार को यह टिप्पणी की है। जिला महिला सरंक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी रजनी गुप्ता ने बताया कि जींद, सफीदों निवासी बलकार अपनी पुत्री का विवाह उरलाना कलां में कर रहा था। असंध से युवक बरात लेकर पहुंचा हुआ था। इसी दौरान बाल विवाह की सूचना पर मय फोर्स मौके पर पहुंचे। अभिभावकों से लड़का-लड़की की आयु के कागजात मांगे गए। कई बार कहने के बाद भी कागजात नहीं दिखाए गए। दोनों पक्षों की भीड़ बढ़ने के कारण मामला बिगड़ता दिखा। पुलिस की मदद से लड़का-लड़की को उरलाना पुलिस चौकी लाया गया। वहां पहुंचने पर लड़की के परिजनों ने उसकी आयु 17 वर्ष कबूल कर ली। चौकी परिसर तक भी भीड़ जमा हो गई। वाद दायर कराने के लिए लड़का-लड़की को जेएमआइसी विनती की कोर्ट लाया गया। कोर्ट में दोनों के माता-पिता व लड़के को पेश किया गया। कोर्ट में लड़के ने बताया कि उसकी आयु 19 वर्ष है। कोर्ट ने पूछा कि बाल विवाह क्यों करा रहे थे तो लड़की की मां ने चार बेटियों, निर्धनता और खुद को कैंसर पीड़ित बताकर विवाह करने की बात कही। कोर्ट ने इस दलील को सिरे से नकार दिया। रजनी गुप्ता की मानें तो लड़का-लड़की के परिजनों ने कोर्ट में बयान दिए है कि वह बच्चों के शादी योग्य होने पर ही विवाह करेंगे। इसके बाद दोनों पक्ष अपने घरों को लौट गए।
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