Move to Jagran APP

कब टूटेंगी कुरीतियों की ये बेडि़यां, साल दर साल बढ़ रहे बाल विवाह के मामले

हरियाणा के जींद में साल दर साल बाल विवाह के मामले बढ़ रहे हैं। बाल विवाह अधिनियम के बावजूद बाल विवाह के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। जिला महिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध कार्यालय की ओर से पिछले दिनों 20 शादियों को रुकवाया गया।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 02:25 PM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 02:25 PM (IST)
कब टूटेंगी कुरीतियों की ये बेडि़यां, साल दर साल बढ़ रहे बाल विवाह के मामले
जींद में साल दर साल बाल विवाह के मामले बढ़ रहे।

पानीपत/जींद, जेएनएन। बाल विवाह अधिनियम के बावजूद बाल विवाह का चलन थम नहीं रहा है। जिला महिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध कार्यालय के आंकड़ों पर अगर नजर डाली जाए तो साल दर साल बाल विवाह के मामले बढ़ रहे हैं। इस वर्ष अब तक 20 बाल विवाह के मामले रोके जा चुके हैं। इसमें से दस विवाह तो पिछले दो माह के अंतर्गत ही रोके गए हैं। बाल विवाह का मुख्य कारण छोटी उम्र में ही बच्चे के गलत संगत में पड़ना मुख्य कारण मिल रहा है। इसके अलावा दूसरी मुख्य वजह अशिक्षा रही है। बाल विवाह के मामले उजागर होने का एक मुख्य कारण लड़कियों का जागरूक होना भी है। करीब 70 फीसदी मामलों में लड़कियों ने खुद इनकी शिकायत दी है। बाल विवाह को खत्म करने के लिए वर्ष 2006 में बाल विवाह निषेध अधिनियम बनाया गया। इसके लिए समय-समय पर जागरूकता अभियान भी चलाए जाते हैं, लेकिन सरकार तथा विभाग के प्रयासों के बावजूद बाल विवाह का चलन खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।

loksabha election banner

लड़की को आज भी समझा जाता है जिम्मेदारी

जिला महिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी के कार्यालय में पहुंच रहे बाल विवाह के ज्यादातर मामलों में यह सामने आया है कि परिवार के लोग आज भी लड़की को एक जिम्मेदारी समझते हैं। जिम्मेदारी निभाने के लिए ही ज्यादातर अभिभावक बाल अवस्था में लड़की को विवाह के बंधन में बांध देते हैं। इसके अलावा लड़कियों की छोटी उम्र में ही गलत संगत में पड़ने के चलते स्वजन उनका रिश्ता तय कर देते हैं। जब लड़की ने अपनी मर्जी से शादी नहीं होती देखकर इसकी शिकायत विभाग को दे देते हैं और वह शादी रूक जाती है।

दो साल की सजा व एक लाख के जुर्माने का है प्रावधान

बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत बाल विवाह करवाने के आरोप में दो साल की सजा तथा एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। वहीं, बाल विवाहित लड़का या लड़की बालिग होने के दो साल के अंदर अपना विवाह खारिज करवा सकता है।

इस तरह मामले आए सामने

वर्ष             मामले

2010        4

2011        11

2012        4

2013        7

2014        19

2015        36

2016        61

2017    28   

2018    15

2019    14

2010    20

गुप्त रखी जाती है शिकायतकर्ता की पहचान

बाल विवाह के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ी है। कोई भी व्यक्ति 1091 पर बाल विवाह की सूचना दे सकता है। विभाग द्वारा बाल विवाह की सूचना देने वाले व्यक्ति की पहचान पूरी तरह से गुप्त रखी जाती है। विभाग के पास आने वाले ज्यादातर मामलों में यह सामने आया है कि परिवार की आर्थिक तंगी के कारण बाल विवाह की घटनाएं हो रही हैं। वहीं लड़कियों के प्रति अभी लोगों की मानसिकता में ज्यादा परिवर्तन नहीं हुआ है। ज्यादातर लोग आज भी लड़की को जिम्मेदारी समझते हैं। इसलिए इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए वह जल्द से जल्द उसकी शादी करना चाहते हैं।

रवि लोहान, सहायक जिला महिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध विभाग, जींद


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.