आठ को नहाय-खाय से शुरू छठ पर्व, 10 को सूर्य को अर्घ्य देंगे
आठ नवंबर से शुरू होगा छठ पर्व घाटों की सुध लेने पहुंच रहे हैं पूर्वांचल के निवासी जिला में चार घाटों पर रहती ही है हजारों की भीड़।
छठ घाटों की सुध लेने पहुंच रहे हैं पूर्वांचल के निवासी
जिला में चार घाटों पर रहती है हजारों की भीड़
जागरण संवाददाता, पानीपत : लोकआस्था का छठ पर्व बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के परिवारों के लिए खास महत्व रखता है। त्योहार आठ नवंबर को नहाय-खाय के साथ शुरू होगा। नौ नवंबर को खरना परंपरा है। अगले दिन अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। 11 की सुबह उदय होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाना है। सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारियों ने छठ घाटों की सुध लेनी शुरू कर दी है।
पूर्वांचल प्रकोष्ठ भाजपा, पानीपत के मीडिया सह प्रमुख चंदन चौहान ने बताया कि दीपावली पर्व के साथ पूर्वांचल के परिवार छठ पर्व की तैयारी में जुट जाते हैं। पानीपत में गोहाना रोड एनएफएल के सामने निर्मित पूर्वांचल छठ घाट पर 20 हजार से अधिक परिवार छठ पर्व मनाते हैं। पूर्वांचल कल्याण परिषद के सदस्यों ने सफाई कार्य शुरू कर दिया है। इसी तरह बाबरपुर नहर के घाट पर भी हजारों परिवार जुटते हैं। यहां गणेश चौधरी, युधिष्ठर, आनंद कुमार झा ने जायजा लिया। इस नहर में ड्रेन का पानी भी पहुंचता है। सिचाई विभाग ने तेज बहाव से साफ पानी नहर में छोड़ दिया है ताकि गंदगी बह जाए। श्रद्धालुओं की सबसे अधिक भीड़ असंध रोड, नहरों के घाटों पर रहती हैं। यहां तीन दिन तक 25 हजार से अधिक परिवार एकत्र होते हैं और छठ मैया की पूरा करते हैं। सुशील ठाकुर ने बताया कि यहां भी सफाई का कार्य शुरू कर दिया है।
जेसीबी से नहर का रेत और गंदगी निकाली गई है। सफाई का मुख्य कार्य सात नवंबर को होगा। इसके बाद ही नई ईंटों से सोप्ता बनाने का कार्य शुरू होगा। 30-35 सोप्ते बनाए जाएंगे। व्रती महिलाएं सोप्ते के पास बैठकर कथा सुनती हैं।
ये संस्थाएं निभाती हैं मुख्य भूमिका
-पूर्वांचल कल्याण समिति
-पूर्वांचल कल्याण परिषद
-मिथिला दुर्गा पूजा समिति
-राम राज्य संस्था ट्रस्ट
विभागों का रहता है सहयोग
छठ महोत्सव में विभिन्न विभागों का सहयोग रहता है। जिला प्रशासन पूरी व्यवस्था पर नजर रखता है। नगर निगम, सिचाई विभाग, पुलिस प्रशासन, दमकल विभाग और गोताखोर सहयोग करते हैं।
पूजा की सामग्री
अगर आप पहली बार छठ पर्व मनाने जा रहे हैं तो पूजा की सामग्री भी जुटा लीजिए। सबसे पहले सूप खरीद लें। इसके अलावा दूध, दही, देसी घी, जल के लिए गिलास, छाटा कलश, थाली चाहिए। पत्ते लगे पांच गन्ने पानी वाला नारियल, चावल, पीला सिदूर, दीपक, बाती, कुमकुम, चंदन, धूपबत्ती, कपूर, दीपक, अगरबत्ती, माचिस, फूल, पान के पत्ते, साबुत सुपाड़ी, शहद खरीद लें। मूली, अदरक का हरा पौधा, नींबू, केला नाशपाती, शकरकंद, गेहूं का आटा और गुड भी होना चाहिए।