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कॉलेज में भरवाए फ्री स्‍कूटी के फार्म, 250 छात्राओं से यूं ठग लिए लाखों रुपये

गरीब छात्राओं को स्कूटी दिलाने के नाम पर ठगी से पर्दाफाश। ओम सांई फाउंडेशन के संचालक पर 1.37 लाख की हेराफेरी के आरोप। पुलिस का स्टीकर लगी कार से मिले दो फर्जी आइकार्ड।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Tue, 06 Nov 2018 12:42 PM (IST)Updated: Thu, 08 Nov 2018 08:51 AM (IST)
कॉलेज में भरवाए फ्री स्‍कूटी के फार्म, 250 छात्राओं से यूं ठग लिए लाखों रुपये
कॉलेज में भरवाए फ्री स्‍कूटी के फार्म, 250 छात्राओं से यूं ठग लिए लाखों रुपये

जेएनएन, पानीपत - कॉलेज में अगर आपको कोई फ्री स्‍कूटी देने का वादा कर कुछ रुपये मांगे तो सावधान हो जाइयेगा। हो सकता है कि वो आपको ठगने आया हो। क्‍योंकि ठगी का ऐसा मामला सामने आया है, जिसे पढ़कर आप चौंक जाएंगे। कॉलेज में 250 छात्राओं को स्‍कूटी देने का वादा किया और कुछ रुपये ऐंठ लिए। एक बेटी के परिवार को जब शक हुआ तो उन्‍होंने पुलिस को सूचित किया। एक के बाद एक अब नई परतें खुलने लगी हैं। आरोपित ने इंस्‍पेक्‍टर का फर्जी आइकार्ड भी बनवाया हुआ था। पढ़ें ये खास खबर।

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मूलरूप से उप्र तथा वर्तमान में शहर के जगाधरी गेट के पास रहने वाले ओम सांई फाउंडेशन के संचालक पृथ्वी शर्मा ने छात्राओं को ठग लिया है। अंबाला के विकास विहार में चल रही इस एनजीओ के बाहर खड़ी उप्र की वरना कार पर पुलिस का स्टीकर लगा था। भीतर से पुलिस के फर्जी आइकार्ड व टोपी मिली। दोनों को कब्जे में ले लिया गया।

चाचा को शक हो गया था
छात्रा के साथ आए यमुनानगर के सढ़ौरा, गांव बकाला वासी चाचा राजकुमार ने शक होने पर सीआइए-वन में सूचना दी थी। शनिवार दोपहर तत्काल रेड कर आरोपित को हिरासत में ले लिया गया। तमाम सामान को कब्जे में लेने के बाद बिल्डिंग को सील कर दिया गया। बलदेवनग रथाने दर्ज केस में आरोपित से पूछताछ जारी है।

जवाब नहीं दे सका
सीआइए-वन ने विकास विहार की कोठी नंबर 73 में रेड की। उनके साथ सीआइडी और सिक्योरिटी एजेंट भी थे। अचानक हुई इस कार्रवाई से कोठी में मौजूद स्टाफ और छात्राओं में हड़कंप मच गया। आनन-फानन पृथ्वी कुमार को कस्टडी में ले लिया गया। घटना के बाद उससे पूछताछ की गई लेकिन वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पा रहा था। इस पूरी कार्रवाई के दौरान मीडियो कर्मियों को पूछताछ से दूर रखा गया। करीब एक घंटे की कार्रवाई के बाद सीआइए टीमें उसे स्टाफ में ले गई। दस्तावेजों की सत्यता जानने की कोशिशें जारी हैं।

ये रहा तरीका-ए-वारदात 
प्राइवेट काम करने वाले राजकुमार के मुताबिक करीब दो साल से संस्था ने विकास विहार में अपना दफ्तर खोल रखा था। इन्होंने दफ्तर में दो कर्मचारी रखे थे। उन्हें बताया गया था कि गरीबों के लिए सरकारी योजना है। दोनों कर्मचारी की सैलरी का भुगतान बाकी है। ये लोग कुछ लड़कियों को गुमराह कर स्कूल और कालेजों में भेजते हैं। ये लड़कियां छात्राओं को बताती थी कि सरकारी योजना के मुताबिक गरीब लड़कियों को स्कूटी देनी है। 50 रुपये में फार्म भरकर उनके फोटो, आधार कार्ड, मोबाइल नंबर व अन्य दस्तावेज ले आती थी। इन्हीं नंबरों के आधार पर उन्हें आफिस बुलाया जाता रहा। 500 रुपये और लेने के बाद उन्हें बताया जाता था कि एक या दो माह में स्कूटी दी जाएगी। इससे पहले एजीओ के कर्मचारी उनके घर आकर पता लगाएंगे कि वे पात्र भी हैं या नहीं। उसके बाद एक सम्मान समारोह में सभी को वाहन दिया जाएगा।

ambala crime

छात्राओं ने पुलिस को दी शिकायत।

यूं हुआ पर्दाफाश
शक होने पर राजकुमार अपनी भतीजी के साथ आफिस आए। पूछने पर पता चला कि करीब 250 लोगों से पैसे लिए जा रहे हैं। एक छात्रा से पता चला कि दिवाली पर स्कूटी मिलेगी। अन्य ने कुछ माह बाद मिलने की कही। राजकुमार के अनुसार उन्हें शक हुआ कि ठगी हो रही है। उसके बाद इंटरनेट से सीआइए का फोन नंबर ढूंढकर उन्हें सूचना दी।

पुलिस के दो फर्जीकार्ड बना रखे हैं : कंवलजीत सिंह
सीआइए-वन इंचार्ज इंस्पेक्टर कंवलजीत सिंह के मुताबिक ओम सांई फाउंडेशन संचालक पृथ्वी शर्मा के बतौर सब इंस्पेक्‍टर दो फर्जी आइकार्ड बनवा रखे थे। कार पर भी पुलिस का स्टीकर लगा रखा था। ऐसी कोई योजना सामने नहीं आई है जिसमें कोई एनजीओ गरीब छात्राओं को 550 रुपये में स्कूटी दिला सके। ठगी से इंकार नहीं किया। आरोपित के खिलाफ केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है।

गाजियाबाद से बनवाए थे पुलिस के फर्जी पहचानपत्र
पृथ्वी शर्मा ने राज खोलने शुरू किए हैं। कबूल किया है कि पुलिस सब इंस्पेक्टर ने नाम के जो फर्जी पहचानपत्र उसके पास से बरामद हुए थे। वह उसने उप्र के गाजियाबाद से बनवाए थे। वह जगह तो नहीं जानता लेकिन पहचान करवा सकता है। इसी आधार पर सीआइए-वन की टीमें उसे साथ लेकर उप्र पहुंच चुकी हैं। सोमवार शाम तक कार्ड बनाने वाले का दफ्तर नहीं मिला है। बावजूद इसके टीमें आश्वस्त हैं कि रिमांड पूरा होने से पूर्व तमाम रहस्यों को सुलझा लिया जाएगा। आरोपित को दोबारा कोर्ट में पेश किया जाएगा।


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