तीन साल से सर्कल कबड्डी में अजेय है छात्तर गांव की टीम, 4 खिलाड़ी जमा चुके विदेशों में धाक
छात्तर के राजू मनोज की कैच का और काली बिका मनोज कपिल वेदपाल प्रदीप पौना केडी मनीष की रेड का देश भर में डंका बज रहा है। काली छात्तर मलेशिया में बिका यूरोप में और मनोज पाकिस्तान में सर्कल कबड्डी में भारतीय टीम का हिस्सा रह चुके हैं।
पानीपत/जींद [प्रदीप घोघड़ियां]। जींद जिले के उचाना विधानसभा क्षेत्र के सबसे बड़े गांव छात्तर की सर्कल कबड्डी की टीम का प्रदेश भर में डंका बज रहा है। पिछले तीन सालों से छात्तर गांव की टीम 50 से ज्यादा टूर्नामेंट जीत चुकी है। किसी भी टूर्नामेंट में उन्हें हार का मुंह नहीं देखना पड़ा। टीम के राजू से लेकर काली छात्तर और बिका जैसे कई खिलाड़ी राष्ट्रीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्कल कबड्डी में नाम कमा रहे हैं। 50 साल पहले गांव के खिलाड़ियों को हर घर से घी, दूध और दूसरी खुराक मिलती थी और अब ग्राम पंचायत की तरफ से समय-समय पर सहायता की जा रही है।
राजकुमार ने मारी थी बेदा पहलवान की कैच
50 साल पहले पूरे उत्तर भारत में पंजाब के बेदा पहलवान का नाम गूंजता था। बेदा रेडर को आया बेदा, गया बेदा कहते थे, क्योंकि वह रेड डालने के लिए आता और पलक झपकते ही रेड लेकर वापस चला जाता। उसकी कैच लगाना किसी के बस की बात नहीं थी तो छात्तर गांव के रामकुमार ने बेदा पहलवान की कैच मारी थी। इसमें बेदा की टी-शर्ट भी फट गई थी। उस समय रामकुमार पहलवान का नाम हरियाणा-पंजाब में गूंजा था। उसके बाद गांव के ही रामकला, टेकराम, भलेराम, डा. ईश्वर, काला पूनिया ने उस दौर में सर्कल कबड्डी में प्रदेश भर में नाम कमाया। आर्थिक स्थित मजबूत नहीं होने के कारण पूरे गांव से उगाही कर इन खिलाड़ियों को दूध और घी खाने के लिए दिया जाता था। बाहर खेलने के लिए जाने का खर्च भी ग्रामीणों द्वारा दिया जाता था।
गांव के ये खिलाड़ी खेल चुके अंतराष्ट्रीय कबड्डी
इस दौर की बात करें तो छात्तर के राजू, मनोज की कैच का और काली, बिका, मनोज, कपिल, वेदपाल, प्रदीप, पौना, केडी, मनीष की रेड का देश भर में डंका बज रहा है। काली छात्तर मलेशिया में, बिका यूरोप में और मनोज पाकिस्तान में सर्कल कबड्डी में भारतीय टीम का हिस्सा रह चुके हैं। राजू इंडिया की नेशनल टीम की तरफ से कई बार खेल चुके हैं और तीन बार नेशनल में गोल्ड मेडल हासिल कर चुके हैं। सर्कल कबड्डी के खेल में सबसे पहले फल्लारी उल्टी कैंची राजू ने ही मारी थी। प्रदेश स्तर पर 200 से ज्यादा मेडल छात्तर की टीम हासिल कर चुकी है
ग्राम पंचायत निभा रही परंपरा : जितेंद्र छात्तर
छात्तर गांव के समाज सेवी जितेंद्र ने बताया कि पहले खिलाड़ियों को घी, दूध समेत खाने पीने की चीजें दी जाती थी। उसी परंपरा को अपनाते हुए ग्राम पंचायत द्वारा आज भी खिलाड़ियों की सहायता की जाती है। जितेंद्र ने कहा कि अगर गांव को खेल स्टेडियम और कोच मिल जाए तो यहां के खिलाड़ी ओलंपिक तक का सफर तय कर सकते हैं। कबड्डी के अलावा कुश्ती और खो-खो के खेल में भी गांव के काफी खिलाड़ी नाम कमा चुके हैं।