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Cerebral Palsy Day Special: बुलंद जज्बे से हर बाधा को दी मात, पढ़ें हौसले की ये कहानी

Cerebral Palsy Day Special आज विश्‍व सेरेब्रल पाल्‍सी दिवस है। करनाल के डा. रीतेश सिन्हा बचपन से खुद भी सेरेब्रल पाल्सी जैसी गंभीर व्याधि के शिकार रीतेश ने बुलंद जज्बे से दी हर बाधा को मात। लेखक अन्वेषक होने के साथ डाक्टरेट उपाधि व कई पुरस्कार कर चुके हासिल।

By Pawan sharmaEdited By: Anurag ShuklaPublished: Thu, 06 Oct 2022 02:43 PM (IST)Updated: Thu, 06 Oct 2022 02:43 PM (IST)
Cerebral Palsy Day Special: बुलंद जज्बे से हर बाधा को दी मात, पढ़ें हौसले की ये कहानी
Cerebral Palsy Day Special: करनाल के डा. रीतेश सिन्हा।

करनाल, [पवन शर्मा]। मस्तिष्क और मांसपेशियों से जुड़ी बीमारी है सेरेब्रल पाल्सी। बताते हैं कि दुनिया में 170 लाख और भारत में 40 लाख से ज्यादा लोग इससे पीडि़त हैं। इन पीडि़तों में एक नाम शामिल है करनाल के डा. रीतेश सिन्हा का। वह जन्म से इस समस्या से ग्रसित हैं। लेकिन इस जन्मजात दर्द को ही उन्होंने दुआ मान लिया। कुछ ऐसी मुद्राओं का अन्वेषण किया जो सेरेब्रल पाल्सी के पीडि़तों के लिए वरदान के समान हैं।

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सेरेब्रल पाल्सी अर्थात सीपी पीडि़तों को सदा कैपेबल पर्सन अर्थात सक्षम व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया। ऐसे प्रयासों के लिए उनका नाम लिम्का बुक आफ रिका‌र्ड्स में दर्ज किया गया। लेखक और अन्वेषक होने के साथ वह डाक्टरेट की मानद उपाधि भी हासिल कर चुके हैं।

ये उपलब्धियां स्वाभाविक ही सहज नहीं रहीं। कारण कि एक समय था, जब रीतेश को ब्रश करने या नहाने में एक घंटा लग जाता था। शरीर पर नियंत्रण में दिक्कत होती थी। आलम यह कि उनकी शारीरिक स्थिति के कारण स्कूल दाखिला नहीं दे रहे थे। बड़ी मुश्किल से एक स्कूल राजी हुआ। फिर तो रीतेश ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। मां डा. पुष्पलता से मिले हौसले की काया के बल अब वह न केवल ज्यादातर कार्य खुद करते हैं बल्कि उन्होंने ऐसी शारीरिक मुद्राएं भी बनाई हैं जिससे उनके जैसे लोगों को काफी फायदा हुआ। रीतेश ने अंडरस्टैंडिंग आफ सेरेब्रल पाल्सी किताब लिखी।

कैविनकर अवार्ड विजेता रीतेश का नाम सफल क्षमता परीक्षण के आधार पर लिम्का बुक आफ रिका‌र्ड्स में दर्ज है। उन्हें डिजिटल अभियान के लिए इनटेल व द बैटर इंडिया डाटकाम जैसी कंपनियां चयनित कर चुकी हैं। संप्रति करनाल कोर्ट में कंप्यूटर आपरेटर के तौर पर सेवाएं दे रहे रीतेश कहते हैं कि अब वह सेरेब्रल पाल्सी के शार्ट फार्म सीपी की व्याख्या कैपेबल पर्सन के रूप में करते हैं। इससे सेरेब्रल पाल्सी पीडि़तों का मनोबल बढ़ेगा।

बता दें कि सेक्टर-13 निवासी रीतेश के पिता स्व. डा. आरएन सिन्हा व माता डा. पुष्पलता राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में वरिष्ठ विज्ञानी थे। वैज्ञानिक माता-पिता की संतान रीतेश में भी नैसर्गिक मेधा है। डा. पुष्पलता बताती हैं कि जन्म के महज 11 माह बाद पता चला कि उन्हें सेरेब्रल पाल्सी है तो सहसा सबकुछ थम गया। लेकिन बेटे की स्थिति देख उन्होंने तय किया कि उसे कभी अकेलेपन का एहसास नहीं होने देंगी।

रचा सेरेब्रल पाल्सी एंथम

डा. रीतेश कहते हैं कि सेरेब्रल पाल्सी पीडि़तों का मनोबल बढ़ाने के लिए वह कई कदम उठा रहे हैं। मसलन, उन्होंने हिंदी में सेरेब्रल पाल्सी एंथम लिखा तो काव्यात्मक शैली में सीपी पर हाइकू भी रचे। अपने अल्टरनेटिव थेरेपी फोर सेरेब्रल पाल्सी एप के जरिए वह दुनियाभर से जनसमर्थन भी जुटा रहे हैं।

मां को नाज है बेटे पर

डा. पुष्पलता कहती हैं कि आज बेटे पर उन्हें नाज है। रीतेश ने अपना जीवन सेरेब्रल पाल्सी और अन्य प्रकार की शारीरिक या मानसिक व्याधियों से जूझ रहे लोगों के नाम कर दिया है। वह भी भरपूर मदद करती हैं। इसके लिए न केवल विशेष एंड्राइड एप बनाया बल्कि व्हाट्स अप और फेसबुक पर कैपेबल पर्सन ग्रुप के जरिए भी ऐसे लोगों की समस्याएं हल करता है। इंटरनेट मीडिया पर पूरे भारत से जुड़े सौ से अधिक लोगों से वे नियमित संवाद करता है।

क्या है सेरेब्रल पाल्सी सेरेब्रल पाल्सी

मस्तिष्क के उन भागों के असामान्य विकास या नुकसान पहुंचने से होती है जो संचलन, संतुलन व मुद्रा नियंत्रण करते हैं। प्रभावित व्यक्ति अपनी मांसपेशियां सामान्य ढंग से नहीं चला पाते। इसके लक्षण हल्के से लेकर तीव्र तक होते हैं, जिनमें कई प्रकार का लकवा शामिल है। यह बचपन में ही प्रकट हो जाते हैं।


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