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एनसीइआरटी की जगह दूसरी किताब पढ़ाई तो कर दें शिकायत, रद होगी मान्‍यता

बोर्ड के इस कदम से निजी प्रकाशकों के साथ कमीशनखोरी पर लगेगी रोक। इसके अलावा बोर्ड ने स्कूल फंड की राशि का दुरुपयोग रोकने के लिए कदम उठाया है।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Tue, 30 Oct 2018 04:19 PM (IST)Updated: Tue, 30 Oct 2018 04:19 PM (IST)
एनसीइआरटी की जगह दूसरी किताब पढ़ाई तो कर दें शिकायत, रद होगी मान्‍यता
एनसीइआरटी की जगह दूसरी किताब पढ़ाई तो कर दें शिकायत, रद होगी मान्‍यता

जागरण संवाददाता, पानीपत  : सीबीएसई से संबंधित निजी स्कूल अब निजी प्रकाशकों की किताबें नहीं पढ़ा सकेंगे। इन स्कूलों को केवल एनसीइआरटी की किताबें ही पढ़ानी होंगी। सीबीएसई ने शिक्षा नियमावली-2018 जारी करते हुए निजी स्कूलों की कई मनमानियों पर लगाम कस दी है। इसके अलावा बोर्ड ने स्कूल फंड की राशि का दुरुपयोग रोकने के लिए कदम उठाया है। हर साल फीस बढ़ोतरी व निजी प्रकाशकों की किताबें बेचने व पढ़ाने का अभिभावक विरोध करते हैं लेकिन उनकी कोई नहीं सुनता था। नियमावली में बदलाव होने से लाखों बच्चों व उनके अभिभावकों को फायदा होगा।

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सीबीएसई ने संशोधित शिक्षा नियमावली में कहा है कि एनसीइआरटी द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम को ही स्कूल में पढ़ाया जा सकेगा। ज्ञात हो कि निजी प्रकाशकों की पुस्तकें काफी महंगी होती हैं। अभिभावक तो ये भी आरोप लगाते रहे हैं कि स्कूल संचालक निजी प्रकाशकों से मोटा कमीशन लेते हैं। यहां तक कि कॉपियों पर भी स्कूलों के नाम लिखे गए हैं। 10 रुपये की कॉपी स्कूल में 20 से 30 रुपये की दी जाती है। इसके विपरीत एनसीइआरटी की पुस्तकें काफी सस्ते में उपलब्ध हो जाती हैं। इसलिए इनसे ज्यादा कमीशन नहीं मिल पाता।

मैनेजमेंट नहीं कर सकेगी मनमानी
सीबीएसई ने निजी स्कूलों की मैनेजमेंट पर भी शिकंजा कस दिया है। स्कूल में प्रिंसिपल  ही प्रमुख माना जाएगा। ज्ञात हो कि सीबीएसई से जुड़े स्कूलों में एक नहीं कई-कई डायरेक्टर बने हुए हैं। प्रिंसिपल खुद निर्णय लेने की बजाय मैनेजमेंट पर सारी बात थोप देते हैं। संशोधित नियमावली के चैप्टर 6 के अंतर्गत नियम 6.2 में स्पष्ट निर्देश दिया हैं कि निजी स्कूल विद्यार्थियों से ली जाने वाली फीस अपनी मैनेजमेंट, ट्रस्ट, सोसाइटी या फिर अपने निजी हितों में खर्च नहीं कर सकेंगे। स्कूल के फंड को सही तरीके से उपयोग में लाया जाएगा। जिस पर सीबीएसई निगरानी रखेगा। चैप्टर 12 के नियम 12.1.2 के तहत अगर निजी स्कूल बोर्ड की गाइडलाइन का उल्लंघन करता है तो पांच लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकेगा। इसी तरह 12.1.3 के अनुसार स्कूल का डिमोशन भी हो सकता है। यदि नियमावली का ऐसे ही उल्लंघन होता रहा तो बोर्ड स्कूल से मान्यता भी वापस ले सकता है।

मान्यता लेने के नियम भी हुए कड़े
सीबीएसई बोर्ड ने स्कूलों को मान्यता देने के नियम भी कड़े कर दिए हैं। निजी स्कूलों पर किसी तरह की मेहरबानी नहीं की जाएगी। जो स्कूल सभी नियमों को पूरा करेगा उसे ही मान्यता दी जाएगी। वहीं, पुराने स्कूलों की मान्यता रिन्यु करते समय निरीक्षण कमेटी द्वारा वीडियोग्राफी कराई जाएगी। जिसमें क्लास रूम, लेबोरट्री, प्लेग्राउंड, चाहरदीवारी अन्य हिस्सों की विडियोग्राफी कराई जाएगी। मान्यता देने से पहले कमेटी इस वीडियोग्राफी का भी अध्यन करेगी।

सख्ती से पालन भी होना चाहिए
अभिभावक प्रदीप कुमार, राजीव, सतबीर, रमन का कहना है कि बीबीएसई ने जो नई शिक्षा नियमावली बनाई है उसको सख्ती से लागू भी करवाना चाहिए, क्योंकि हर साल स्कूल एडमिशन, डोनेशन के नाम पर पता नहीं कितने फंड अभिभावकों से लेते हैं। हर स्कूल में अलग-अलग प्रकाशक की किताब पढ़ाई जाती है। बोर्ड को जिले में एक हेल्प डेस्क भी बनानी चाहिए, ताकि अभिभावक वहां जाकर अपनी बात रख सकें।


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