CBSE 10th result 2020: पढि़ए सीबीएसई के होनहारों की कहानियां, इस तरह से बने टॉपर
CBSE 10th result 2020 केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के 10वीं परीक्षा का परिणाम घोषित होने के बाद होनहारों के चेहरे पर खुशी देखने लायक है। पढि़ए ये रिपोर्ट।
पानीपत, [कपिल पूनिया]। सीबीएसई दसवीं के टॉपर की उपलब्धि के पीछे समर्पण और त्याग छिपा है। बच्चे होश संभालते ही स्मार्ट फोन के लिए रोने लगते हैं। अभिभावक भी बच्चों का मन रखने के लिए उनकी हर इच्छा पूरी करते हैं, लेकिन सही और गलत का आंकलन नहीं कर पाते। अभिभावकों का यही आंकलन बच्चे की सफलता और असफलता तय करता है। सीबीएसई दसवीं कक्षा की जिला टॉपर के पास स्मार्ट फोन तक नहीं है। जिनके पास फोन है उनका फेसबुक अकाउंट तक नहीं है। टॉपर्स सोशल मीडिया का प्रयोग केवल फ्रेश होने के लिए करते हैं।
बोर्ड परीक्षा की बाइबिल है एनसीईआरटी
दसवीं में टॉप करने वाली द मिलेनियम स्कूल की महिका जैन करनाल के घरौंडा में रहती हैं। उसके पिता मनोज जैन आढ़ती और मां सीमा जैन गृहणी हैं। महिका ने रोजाना नियमित 5-6 घंटे पढ़ाई की। स्कूल और टयूशन के अलावा एनसीईआरटी के प्रत्येक विषय के 15 से 20 साल्व पेपर का अभ्यास किया। महिका ने कहा कि एनसीईआरटी बोर्ड परीक्षा की बाइबिल के समान है। पिता इंजीनियर और मां डॉक्टर बनाना चाहती हैं, लेकिन महिका को आईएएस बनना है। आर्थिक रूप से संपन्न होने के बाद भी महिका ने अभी तक स्मार्ट फोन नहीं लिया। पढ़ाई और दोस्तों से बातचीत के लिए मम्मी के फोन प्रयोग किया। आठ मार्च को जन्मदिन भी महिका अच्छे से नहीं मना पाई। मां सीमा ने बताया कि पहली कक्षा से अब तक महिका टॉपर रही है। टेस्ट में भी नंबर कम आने पर वह परेशान हो जाती थी। परीक्षा को देखते हुए रिश्तेदारी और पारिवारिक कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुई।
सक्सेस मंत्रा : किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए परिणाम की चिंता किए बिना मेहनत करें। परिणाम खुद ही अच्छा होगा।
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- प्राप्तांक
- अंग्रेजी : 99
- हिंदी : 100
- मैथ : 100
- साइंस : 99
- एसएसटी : 99
- आइटी : 100
फेसबुक पर नहीं है अकाउंट
डीपीएस समालखा और सेक्टर-12 निवासी आर्ची नारंग भी 99.6 फीसद अंकों के साथ जिला टॉपर रही। पिता ऋषभ नारंग हैंडलूम व्यवसायी और मां ङ्क्षरपी नारंग गृहणी हैं। आर्ची को नौकरी में रूचि नहीं है वह बिजनेस करना चाहती है। आर्ची ने शुरू से ही नियमित 3-4 घंटे पढ़ाई की। 26 फरवरी को अंग्रेजी का पेपर होने के कारण जन्मदिन भी नहीं मना पाई। पढ़ाई में ध्यान लगाने के लिए आर्ची ने अभी तक फेसबुक अकाउंट नहीं बनाया है। पढ़ाई के साथ गोल्फ खेलना पसंद है। चचेरी बहन मान्या ने भी बारहवीं कक्षा में 98.2 फीसद अंकों के साथ स्कूल टॉप किया।
सक्सेस मंत्रा : पढ़ाई को बोझ न समझ कर इसका आनंद लें। ज्यादा पढऩे के स्थान पर जितना पढ़ें, मन लगाकर पढ़ें।
- प्राप्तांक :
- अंग्रेजी : 99
- हिंदी : 100
- मैथ : 100
- साइंस : 99
- एसएसएटी : 99
- आइटी : 100
टयूशन नहीं पढ़ी, मेहनत से बनी टॉपर
द मिलेनियम स्कूल की आकृति अरोड़ा ने दसवीं परीक्षा में 99.4 फीसद अंक प्राप्त कर जिले में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। आकृति के पिता डॉ. गिरीश अरोड़ा और मां डॉ. विनिका अरोड़ा रेनबो अस्पताल में प्रैक्टिस करते हैं। आकृति ने इस सफलता के लिए सेल्फ स्टडी को आधार बनाया, टयूशन का सहारा नहीं लिया। आकृति का भी फेसबुक अकाउंट नहीं है, लेकिन पेंङ्क्षटग का शौक होने के कारण सोशल मीडिया का प्रयोग करती है। आकृति इंजीनियर बनना चाहती हैं।
सक्सेस मंत्र : किसी भी फील्ड में सफलता के लिए खुद पर विश्वास जरूरी है। सेल्फ स्टडी सबसे बेहतर माध्यम है।
सोशल मीडिया से दूर है नितिशा
फरीदपुर गांव स्थित एमएएसडी स्कूल की नितिशा 99 फीसद अंक प्राप्त कर तीसरे स्थान पर रही। पिता जयकुमार शर्मा इलेक्ट्रिकल व्यवसायी और मां सुमन गृहणी हैं। नितिशा आइएएस बनना चाहती हैं। दसवीं में सफलता के लिए नितिशा ने नियमित रूप से रोजाना 3-4 घंटे पढ़ाई की। गणित का टयूशन लिया। सेल्फ स्टडी के साथ बीते वर्षों को पेपर का अध्ययन किया। नितिशा सोशल मीडिया से दूर रहती है। ताकि पढ़ाई प्रभावित न हो। मूड फ्रेश करने के लिए वह कुछ देर टीवी देखती हैं।
सक्सेस मंत्रा : किसी भी क्षेत्र में डर कंफ्यूज करता है। इसलिए डर के नहीं, बल्कि डट कर मुकाबला करें।
बच्चों पर जोर डालते हैं अभिभावक, मनोवैज्ञानिक बन करनी है काउंसिलिंग
डीएवी थर्मल की रिम्मी 99 फीसद अंकों के साथ जिले में तीसरे स्थान पर रही। पिता सभ्य साची गुप्ता थर्मल प्लांट में टेक्निशियन और मां मौसमी गुप्ता गृहणी हैं। रिम्मी एक मनोवैज्ञानिक बनना चाहती है। इसी उम्र में रिम्मी ने साथी विद्यार्थियों पर पढ़ाई के बोझ को महसूस कर लिया। रिम्मी ने कहा कि बच्चों से अधिक अभिभावकों को काउंसिलिंग की जरूरत है। अभिभावक बच्चों की क्षमता की अनदेखी कर अपने सपनों का पूरा करने का दबाव बनाते हैं। जिस कारण बच्चे हमेशा तनाव में रहते हैं। रिम्मी ने बताया कि वह फेसबुक नहीं चलाती, दोस्तों से बातचीत के लिए कुछ देर वाट््सएप प्रयोग करती है।
सक्सेस मंत्र : जब खुद का मन करे तब पढ़ो, लेकिन जितना पढ़ें मन लगाकर पढ़ें।
नेस्ले के टेक्निशियन की बेटी कोमल ने किया कमाल, 99.4 फीसद अंक किया हासिल
- प्राप्तांक :
- हिंदी -100
- गणित -100
- इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी-100
- सोशल साइंस -99
- अंग्रेजी-98
- साइंस-98
नई अनाज मंडी स्थित महाराजा अग्रेसन स्कूल की छात्रा कोमल ने सीबीएसई दसवीं की परीक्षा में कमाल कर दिया। उसने 99.4 प्रतिशत अंक हासिल कर अभिभावकों का नाम रोशन किया है। उसके इस कमाल से स्कूल प्रबंधन, अभिभावकों, टीचर से लेकर साथी छात्र छात्राओं की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। हर कोई उसे बधाई दे रहा है।
पापा ने बताया रिजल्ट
कोमल ने बताया कि साइट चल नहीं पा रही थी। ड्यूटी पर जाने से पहले तक पापा ट्राई करते रहे। ड्यूटी पर जाकर उन्होंने मेरा रिजल्ट देखा। फोन पर हंसते हुए मुझे कहा बेटी बधाई हो, आपने कमाल कर दिया। मां को पता चला तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। बधाई देते हुए भावुक हुई और मंदिर में भगवान को शुक्रिया अदा किया।
सफलता का राज
कोमल ने बताया कि सीबीएसई के दस साल पुराने पेपर हल किया। पढऩे के साथ उन्हें लिख खुद के नोट तैयार किए। पुराने पेपरों से पता चला की बोर्ड किस टॉपिक को कितने समय बाद और कैसे बदल कर परीक्षा में पूछ रहा है। ये तरीका काफी सहयोगी रहा। क्वालिटी एजुकेशन के लिए जो स्कूल में पढ़क र आती, उसे घर भी जरूर पढ़ा। चाहे कितनी रात हो जाए। कोई विषय चुनौती न बने, इसलिए प्रत्येक दिन लक्ष्य बनाया और पढ़ाई की।
टाइम को खराब नहीं किया
कोमल कहती है कि टॉप करना उसका लक्ष्य था। उसे पाने के लिए उसने पहले ही तैयारी शुरू कर दी थी। फोन का यूज उसने सोशल मीडिया प्रयोग की बजाय पढऩे के लिए किया। रिश्तेदारी व अन्य जगह होने वाले शादी समारोह से पुरी तरह दूरी बनाए रखी। किसी तरह का मानसिक बोझ न बने। इसलिए हर रोज शाम साढ़े आठ बजे आने वाला तारक मेहता का उल्टा चश्मा शो जरूर देखती थी।
लक्ष्य
आइएएस बनना कोमल का लक्ष्य है। ताकि समाज के लिए कुछ अच्छा कर सके। आइएएस के पास पावर होती है। उसे वो लोगों की सेवा के लिए ज्यादा इस्तेमाल करेगी। फिलहाल उसने नॉन मेडिकल लिया है।
स्वजनों से भरपूर सहयोग
कोमल ने बताया कि स्वजनों से उसे उम्मीद से ज्याादा सहयोग मिला। उसके माता पिता और टीचर ही प्रेरणा स्त्रोत है। जिन्होंने हर कदम पर साथ दिया। बड़ी बहन पूजा ने भी मदद की। जो बीकॉम के बाद यूपीएससी की तैयारी कर रही है। खासकर गणित और साइंस में उसने बहुत कुछ सिखाया।
बेटी पर गर्व
कोमल के पिता विजय बहादुर सिंह नेस्ले कंपनी में टेक्नीशियन के पद पर है। मां मीरा देवी गृहणी है। बड़ी बहन पूजा बीकॉम कर चुकी है। छोटा भाई योगेश सातवीं कक्षा में पढ़ रहा है। मां मीरा कहती है की बच्चे ही उनकी असल पूंजी। उनके लिए वो किसी भी चीज की कमी नहीं छोड़ते है। वो पढ़ लिखकर कुछ बन सके, उसी मुताबिक माहौल सुविधा मुहैया करा रहे है। बेटी ने जो कमाल किया है, वो हमारे लिए गर्व की बात है।
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