अदालत में पहुंचा एनआईटी कुरुक्षेत्र में ठेके पर भर्ती का मामला, अधिकारियों ने साधी चुप्पी
एनआईटी यानी राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में ठेके पर भर्ती का मामला अदालत में पहुंचा है। ऐसे में अब संस्थान के अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है। कोरोना के चलते कई माह तक बढ़ाते रहे ठेके की अवधि। आडिट रिपोर्ट में भी उठे थे सवाल।
कुरुक्षेत्र, जेएनएन। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) कुरुक्षेत्र में आउटसोर्सिंग पालिसी के तहत नया ठेका जारी करते ही एनआइटी परिसर में हलचल तेज हो गई है। पिछले कई सालों से ठेके पर काम कर रहे कर्मियों की अनदेखी करने से मामला अदालत में पहुंच गया है। अदालत में मामला उठने पर एनआइटी के अधिकारियों ने भी चुप्पी साध ली है। सालों से ठेके पर कार्यरत कर्मियों का कहना है कि वह कई सालों से इन्हीं पदों पर काम कर रहे हैं, उन्हें काम का अनुभव है। ठेकेदार लालच में आकर नई भर्तियों करने की तैयारी कर रहा है।
गौरतलब है कि एनआइटी के कई विभागों में हेल्पर और क्लर्क सहित अन्य कर्मचारी उपलब्ध करवाने के लिए हर साल आउटसोर्सिंग पालिसी के तहत टेंडर जारी किया जाता है। इसके लिए सबसे न्यूनतम दाम में टेंडर आवेदन करने वाली फर्म को टेंडर जारी किया जाता है। टेंडर मिलने पर ठेकेदार की ओर से सभी संंबंधित विभागों में कर्मचारी उपलब्ध करवाए जाते हैं। पिछले कई सालों से अक्सर टेंडर लेने वाली फर्म ज्यादातर पुराने कर्मियों को ही वरियता देती रही है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण अधिकारी की ओर से अनुभवी कर्मी को वरियता देना है। लेकिन इस बार फरवरी में नया टेंडर जारी होते ही ठेकेदार ने अपनी मनमर्जी चलानी शुरू कर दी है।
नया टेंडर जारी होते ही शुरू हो गया था बवाल
पिछले साल कोविड 19 के चलते नया टेंडर काल करने की बजाय पुराने ठेेके को ही छह माह के लिए बढ़ा दिया गया था। इसके बाद अब जनवरी माह में नया टेंडर जारी किया गया। नया टेंडर जारी होते ही एनआइटी में बवाल शुरू हो गया। काम संभालते ही ठेकेदार ने कई पुराने कर्मियों को काम से हटाने के आदेश जारी कर दिए। ठेकेदार की इस मनमर्जी पर कुछ कर्मियों ने प्रदर्शन किया। इसके बाद भी सुनवाई न होने पर उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया।
चुप्पी साध रहे अधिकारी
बताया जा रहा है ठेके पर कार्यरत दो ग्रुपों को अदालत से स्टे मिल गया है। इसके बाद एक तीसरे ग्रुप ने भी अदालत का दरवाजा खटखटाया है। मामला में अदालत में होने के चलते एनआइटी के अधिकारियों से लेकर ठेकेदार और कर्मियों ने भी चुप्पी साध ली है।
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