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कैंसर मरीजों को नहीं पड़ेगा भटकना, बन रहा अस्तपाल

जागरण संवाददाता, पानीपत स्वास्थ्य विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2016 में कैंसर से हरियाणा के

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Feb 2018 05:35 PM (IST)Updated: Sun, 11 Feb 2018 05:35 PM (IST)
कैंसर मरीजों को नहीं पड़ेगा भटकना, बन रहा अस्तपाल
कैंसर मरीजों को नहीं पड़ेगा भटकना, बन रहा अस्तपाल

जागरण संवाददाता, पानीपत

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स्वास्थ्य विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2016 में कैंसर से हरियाणा के 3668 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें पानीपत के भी 150 से ज्यादा की मौत शामिल है। दु:खद पहलू यह कि दिल्ली से चंड़ीगढ़ के बीच कैंसर का सरकारी-प्राइवेट एक भी अस्पताल नहीं है। इस साल के अंत तक शहर में कैंसर मरीजों को प्राइवेट इलाज मिलना शुरू हो जाएगा।

राजीव गांधी कैंसर संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र दिल्ली में कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिनव मुटनेजा ने यह जानकारी दी । बिशन स्वरूप कॉलोनी स्थित प्रेम अस्तपाल के डायरेक्टर डॉ. पंकज मूटनेजा के सुपुत्र डॉ. अभिनव ने बताया कि बाबरपुर मंडी के पास स्थित डॉ. प्रेम नर्सिग इंस्टीट्यूट में कैंसर अस्पताल का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। उम्मीद है कि इस वर्ष के अंत तक अस्तपाल में मरीजों को सुविधाएं मिलनी शुरू हो जाएंगी। अस्पताल में रेडियोथैरेपी, कीमोथैरेपी सहित सर्जरी आदि की सभी सुविधाएं कम खर्च में मुहैया कराई जाएंगी। उन्होंने बताया कि फिलहाल पानीपत में कैंसर का कोई चिकित्सक व अस्पताल नहीं है।

सिविल अस्तपाल में इलाज कराने पहुंचे मरीजों को भी पीजीआई चंडीगढ़ या दिल्ली रेफर कर दिया जाता है। शहर में अस्तपाल बनने से पानीपत व आसपास के मरीजों की दिक्कतें कुछ कम हो जाएंगी।

इसलिए बढ़ रहे कैंसर मरीज :

औद्योगिक होने के कारण पानीपत में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड व बंगाल के श्रमिकों की आबादी लगभग 3 लाख है। इन प्रदेशों से आए श्रमिक (महिला पुरुष) तंबाकू का सेवन अधिक करते हैं। व्यक्तिगत साफ-सफाई का पर्याप्त ख्याल नहीं पाते। उद्योगों की चिमनियों से कार्बन डाई ऑक्साइड, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, लैड, ओजोन, नाइट्रोजन आक्साइड, सस्पेंड पर्टीकुलेट मैटर और सल्फर डाई आक्साइड जैसे घातक रसायन निकलकर वातावरण में घुल रहे हैं। भूजल में आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन जैसे तत्वों की मौजूदगी से रोगियों की संख्या साल-दर-साल बढ़ रही है।

राज सिंह


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