हेल्पलाइन नंबर पर कॉल कर विधवा मांग सकेंगी मदद, डेस्क भी बनेगी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विधवाओं को सहयोग सुनिश्चित करने के लिए बैठक में कई फैसले लिए गए।
जागरण संवाददाता, पानीपत : सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विधवाओं को सहयोग सुनिश्चित करने के लिए जिला स्तर पर विधवा सेल के गठन की कवायद शुरू हो गई है। सेल के चेयरमैन, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) के सचिव एवं सीजेएम मनोज कुमार राणा ने संबंधित अधिकारियों की बैठक बुलाई। बैठक में तय हुआ कि महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से हेल्प डेस्क बनाई जाएगी और हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया जाएगा। कोई भी विधवा इस डेस्क पर आकर या कॉल कर मदद मांग सकती है।
बैठक में सीजेएम ने समाज कल्याण विभाग अधिकारी र¨वद्र हुड्डा को निर्देश दिए कि हर गांव की विधवाओं के नाम आदि की डिटेल अतिशीघ्र मुहैया कराएं। आशा वर्करों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को यह सूची दी जाएगी। आशा वर्कर्स विधवाओं से संपर्क कर स्वास्थ्य और चिकित्सा के संबंध में विधवा महिलाओं का डाटा तैयार करेंगी। जिन्हें चिकित्सा की जरूरत होगी, उन्हें पीएचसी-सीएचसी या सिविल अस्पताल में एडमिट कराएंगी। अस्पताल में कुछ बेड आरक्षित किए जाएंगे। समाज कल्याण विभाग का काम विधवाओं को सरकारी योजनाओं की जानकारी देना और उन्हें मुहैया कराना होगा। संपत्ति आदि विवादों में एसडीएम महिला का सहयोग करेंगे और किसी भी स्तर पर विधवा का शारीरिक-मानसिक उत्पीड़न-शोषण होता है तो डीएसपी मुख्यालय उस पर तुरंत एक्शन लेंगे। महिला एवं बाल विकास विभाग अपनी योजनाओं का लाभ विधवा को दिलाएंगे। डीएलएसए का काम महिलाओं को फ्री कानूनी मदद देना होगा। सीजेएम ने कहा कि यह पहली बैठक है। अगले माह होने वाली दूसरी बैठक में हर विभाग के काम की समीक्षा भी की जाएगी।
इस मौके पर डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. निशि ¨जदल, डिप्टी एमएस डॉ. अमित पोरिया, महिला एवं बाल विकास विभाग की सुपरवाइजर वीना राय, सीडीपीओ मतलौडा पर¨मद्र कौर आदि मौजूद रहे।
एसडीएम-डीएसपी नहीं पहुंचे
सीजेएम ने बताया कि पहली बैठक में एसडीएम विवेक चौधरी और डीएसपी मुख्यालय सतीश वत्स नहीं पहुंचे हैं, जबकि संबंधित सभी विभागों को बैठक की सूचना दी गई थी। इस संबंध में डीसी और एसपी को पत्र लिखा जाएगा।
विधवाओं की मुख्य समस्याएं :
-पेंशन नहीं मिलना।
-शारीरिक-मानसिक शोषण।
-बच्चों की ओर से उपेक्षित व्यवहार।
-संपत्ति पर कब्जा होना।
-समय पर इलाज नहीं मिलना।
-कानूनी लड़ाई के लिए धन नहीं होना।
-भय के वातावरण में जीना।
-सरकारी योजनाओं की जानकारी न होना।
-घर से बेघर होने पर आश्रय नहीं मिलना। सुप्रीम कोर्ट को यूं देने पड़े आदेश :
वर्ष 2007 में एक समाचार पत्र में वृंदावन उत्तर प्रदेश की विधवाओं का दर्द प्रकाशित हुआ था। वहां की विधवाएं सफेद साड़ी पहनकर गलियों में भीख मांगती थी। खबर पर संज्ञान लेकर एक एनजीओ की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई। सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त 2017 को देश के प्रत्येक जिले में विधवा सेल बनाने के आदेश राज्य सरकारों और जिला मुख्यालयों को दिए। डीएलएसए के पदेन सचिव एवं सीजेएम को सेल का चेयरमैन बनाया गया।