बंगले से आया फोन, खाना खाया, अटका 35 हजार का बिल, पढ़ें अंबाला का ये रोचक किस्सा
अंबाला में फीनिक्स क्लब है। इन दिनों इस क्लब के चर्चा जोरों पर हैं। वहीं पुलिस महकमे की दीपावली भी इस बार खास रही। बाबा भी नाराज दिखे। कैंसर अस्पाल के निर्माण कार्य को लेकर नाराजगी जताई। पढ़े शहर दरबार में अंबाला के और भी रोचक किस्से।
अंबाला, [दीपक बहल]। अंबाला की क्रीम यानी बड़ी पर्सनैलिटी फीनिक्स क्लब के मेंबर हैंं। किसी बड़े अधिकारी के बंगले से फोन आए तो क्लब मेंबर्स फूले नहीं समाते। बस एक काल महंगी पड़ गई। क्लब को अधिकारी ये काल 35 हजार रुपये की पड़ गईं। करीब 35 हजार रुपये का बिल बंगले पर भेज भी दिया गया, लेकिन यह अभी तक पास ही नहीं हुआ। खाना इतना स्वादिष्ट था कि बंगले पर अब जब भी कोई मेहमान आता है, तो उसकी खातिरदारी के लिए क्लब में फोन करवा दिया जाता है। खाना पैक होकर पहुंच जाता है। इन दिनों घंटी बजते ही क्लब में चर्चा शुरु हो जाती है, लो भोजन पैक करो। बिल भेज दिया है, लेकिन अब 35 हजार बकाया हैं यह कैसे याद दिलाएं। क्लब की ग्रेस को बढ़ाने वाले मुखिया से पूछा गया तो वे संजीदा हो गए और मेरे कार्यकाल में तो ऐसा पहली बार हुआ, बिल पास हो जाएगा।
बड़े साहब की नए अंदाज में दीपावली
पुलिस के बड़े साहब का दीपावली का जश्न ही कुछ नए अंदाज में देखने को मिला। कुर्सी संभाली ही थी कि उनसे मिलने के लिए महकमे के ही कर्मचारियों ने समय मांग लिया। सभी काे कोठी में पहुंचने का एक ही समय दे दिया गया और सभी खुश हो गए कि अधिकारी से रूबरू होने का मौका मिल गया है। साहब की खातिरदारी के लिए कर्मचारियों ने तैयारी कर ली और दिए गए समय से पहले ही पहुंच गए। बड़े साहब के आते ही साहब ने सेल्यूट किया और फिर कोठी से ही कर्मचारियों का मुंह मीठा कराया गया। अब बारी थी कि साहब के लिए जो लाए हैं, वह दे दें। यही पर एक टि्वस्ट आ गया। टेबल पर एक-एक ने अपनी मिठाई रख दी। बड़े साहब ने कहा आप सभी को मेरी ओर से दीपावली की शुभकामनाएं अब टेबल पर रखे डिब्बे आपस में आप बांट ही लो।
कैंसर अस्पताल का धीमा निर्माण, बाबा नाखुश
जिस कैंसर अस्पताल का इंतजार अंबाला की जनता कर रही है, वहीं इस के निर्माण की रफ्तार धीमी होने पर अपने बाबा जी नाखुश हैं। हों भी क्यों न हो जनता को जो सुविधा अब तक मिल जानी चाहिए थी, वह नहीं मिल पाई। अभी पिछले दिनों ही बाबा जी कैंसर अस्पताल का निर्माण कार्य देखने पहुंच गए। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी साथ थे। यहां पर बाबा जी ने एक-एक कर सवाल पूछे। अफसरों ने जवाब तो दिए, लेकिन बाबा जी नाखुश दिखे। उन्होंने पूछा कि यह कब तक बन जाएगा। निर्माण में देरी पर सवाल किया, तो अफसर भी अपनी स्थिति बताने लगे, जबकि निर्माण एजेंसी से भी सवाल दाग दिए। बाबा जी ने कहा कि निर्माण में तेजी नहीं आती, तो इसकी मानीटरिंग कर उसकी रिपोर्ट दें। अब बाबा जी खुद ही इसकी मानीटरिंग करना चाहते हैं, ताकि तय समय में यह पूरा हाे सके।
चार कदम आगे पहुंच गई पीपी
शराब तस्करी का डंपिंग पाइंट बन गया, लेकिन सब बेखबर रहे। आबकारी विभाग हो या पुलिस महकमा किसी को कानों कान खबर तक नहीं हुई कि कुछ दूरी पर ही अवैध शराब की पेटियों से लोडेड ट्रक खड़े हैं। पचास किलोमीटर दूर से जब मोहाली पीपी ने आकर दबिश दी, तो अपनी हपु भी हरकत में आ गई। संयुक्त आपरेशन चलाया और मुकदमा भी अलग से दर्ज कर लिया। चौदह दिन में पीपी यानी पंजाब पुलिस चाद कदम आगे पहुंच गई। इस खेल में बड़ी मछलियों को भी वांटेड कर दिया गया, लेकिन हपु यानी हरियाणा पुलिस अभी गोदाम के मालिक का ही पता लगाने में जुटी है। अवैध शराब का यह खेल खुलकर खेला जा रहा था और गुमराह करने के लिए पानी के कारोबार का बोर्ड भी गोदाम के बाहर लगा दिया गया। अब यह मामला तो खुल गया है और बड़ी मछलियों की तलाश कर रहे हैं।