हिम्मत हो तो ऐसी : बाथरूम की शीट से तोड़े चार दरवाजे और अपहर्ताओं के चंगुल से भाग निकला
16 वर्षीय किशोर ने दिखाई जबरदस्त हिम्मत। अपहर्ताओं ने पीटकर अधमरा कर दिया, लेकिन हिम्मत नहीं छोड़ी और बाथरूम की शीट से तोड़ दिये चार दरवाजे।
जागरण संवाददाता, जींद : आइसक्रीम खरीदने गए 16 वर्षीय किशोर का कार सवार तीन बदमाशों ने अपहरण कर लिया और बंधक बनाकर परिवार वालों से 30 लाख की फिरौती मांगी। बदमाशों के इधर-उधर जाने पर किशोर दरवाजे तोड़कर वहां से भाग निकला। पुलिस ने अपहरण के सूत्रधार अनिल और उसके भतीजे अजय को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस के मुताबिक अनिल ने ही अपहरण की साजिश रची थी। उसने पड़ोस में पहुंचे संत नगर निवासी अक्षय को आइसक्रीम लेने के बहाने भेजा और अपहरण करा दिया। कार सवार तीन युवक उसे एकलव्य स्टेडियम के पास मकान में ले गए और हाथ-पैर बांधकर बंद कर दिया। अपहर्ताओं में शामिल कर्ण ने अक्षय की मां संतोष के मोबाइल पर फोन करके 30 लाख की फिरौती मांगी। रविवार दोपहर तक व्यवस्था नहीं करने पर हत्या की धमकी दी। बदमाश उसे मकान में बंद कर वहां से चले गए। इसके बाद अक्षय ने किसी तरह अपना हाथ खोल लिया और सफीदों बाईपास नाके पर पुलिस के पास पहुंच गया। अक्षय 11वीं नान मेडिकल का छात्र है और बॉक्सिंग खेलता है।
उधर, जांच में पता चला कि अक्षय को जिस मकान में रखा गया था, उसे शामलो कलां निवासी अनिल ने किराये पर लिया हुआ है। वह खुद को सेल्स टैक्स इंस्पेक्टर बताता था। इस मामले में गिरफ्तार उसका भांजा अजय बरसोला का रहने वाला है। पुलिस ने कर्ण व गांधी के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है।
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किशोर अक्षय की जुबानी
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बेहोशी का नाटक रचकर खुद को बचाया
शनिवार रात मैं पड़ोस में रहने वाली महिला रीतू के घर गया था। वहां शामलो कलां का अनिल बैठा हुआ था। उसने मुझे 500 रुपये देकर पटियाला चौक से आइसक्रीम लाने के लिए कहा। मैं अपनी बाइक की चाबी लेकर निकलने लगा तो उसने बाइक लेने जाने से मना कर अपनी स्कूटी की चाबी दे दी। उसकी स्कूटी से फ्लाइओवर के नीचे पहुंचा तो अनिल का भांजा अजय व उसके दो दोस्त कर्ण व गांधी ने मुझे रोक लिया। रुकते ही अजय ने मेरा मुंह दबा दिया और पीछे से सिर में डंडा मारा। इससे मुझे चक्कर आने लगे। वे लोग मुझे गाड़ी में डालकर कैथल रोड पर ले गए। वहां शराब के ठेके के पीछे ले जाकर लाठी व डंडों से बेरहमी से पिटाई की। इससे मैंने बेसुध होने का नाटक कर लिया। इसके बाद वे मुझे नए सेक्टरों के रास्ते से गाड़ी में डालकर एकलव्य स्टेडियम के पीछे बने मकान में ले गए। वहां भी मैंने बेहोशी का नाटक किए रखा। उन्होंने मेरे हाथ-पांव व मुंह को बांधकर बाथरूम में डालकर आगे से दरवाजा बंद कर दिया। जब मुझे दरवाजे बंद होने की सुनी और उनकी आवाज आनी बंद हुई तो लगा कि वे बाहर निकल गए हैं। तब मैं किसी तरह अपना हाथ खोलने में कामयाब हो गया और उसके बाद बाथरूम की सीट से दरवाजे को तोड़कर बाहर निकला। फिर मैंने सफीदों बाईपास नाके पर पहुंचकर पुलिस को पूरे मामले के बारे में जानकारी दी।