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सन ऑफ सरदार- नहर से मगरमच्‍छ उठाकर ले आते हैं परगट सिंह, लोगों की यूं जान बचाते हैं

मगरमच्छ से खेलते हैं सरदार परगट सिंह। नहर में डूब रहे हजारों लोगों की जान बचा चुके हैं परगट। यह खबर पढ़कर हो जाएंगे आप हैरान। बिना किसी चिंता के नहर में लगा देते हैं छलांग।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Tue, 23 Oct 2018 12:31 PM (IST)Updated: Tue, 23 Oct 2018 05:43 PM (IST)
सन ऑफ सरदार- नहर से मगरमच्‍छ उठाकर ले आते हैं परगट सिंह, लोगों की यूं जान बचाते हैं
सन ऑफ सरदार- नहर से मगरमच्‍छ उठाकर ले आते हैं परगट सिंह, लोगों की यूं जान बचाते हैं

जेएनएन, पानीपत - क्‍या आप यकीन करेंगे कि किसी इंसान को मगरमच्‍छ से डर नहीं लगता। इतना ही नहीं, वो मगरमच्‍छ को अपने कंधे पर उठाकर बाहर भी ले आता है। यकीन नहीं आता तो आप सरदार परगट सिंह से मिल लीजिए। लोगों की जान बचाने के लिए वे नहर से मगरमच्‍छ  को बाहर निकाल लाते हैं। फि‍र उसे मगरमच्छ प्रजनन केंद्र में आते छोड़ आते हैं। पढि़ए ये विशेष खबर।

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परगट सिंह की दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी गुरमीत कौर पांच साल की है और छोटी बेटी गुरशरण कौर ढ़ाई साल की है। परगट ने अपनी बड़ी बेटियों को तैराकी में पारंगत किया है। छोटी बेटी गुरशरण कौर को तैराकी सिखा रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने आज तक किसी से कोई भी पैसा नहीं लिया है। निस्वार्थ भाव लोगों की सेवा कर रहे हैं। इसके लिए उन्हें कई बार जिला प्रशासन व सामाजिक संस्थाओं की ओर से सम्मानित किया गया है।

अब तक दर्जनों मगरमच्छों को पकड़ा
परगट सिंह ने कई बार जान पर खेलकर ग्रामीणों और मवेशियों के लिए खतरा बने मगरमच्छों को पकड़ा है। नहर के किनारे से लगभग एक दर्जन मगरमच्छों को पकड़ कर वे भौर सैदां स्थित मगरमच्छ प्रजनन केंद्र में पहुंचा चुके हैं। कई वर्ष पहले जब नरवाना ब्रांच टूट गई थी, तब सेना के साथ मिलकर महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हुए परगट ने नहर को ठीक किया था।

नहर में डूबे लोगों को बचा लाते हैं
नहर में डूब रहे लोगों को बचाने के लिए परगट सिंह अचानक भगवान बनकर प्रकट हो जाते हैं। परगट अब तक सैकड़ों लोगों को नहर से जीवित निकालकर उनकी जान बचा चुके हैं। घटना की सूचना मिलने के बाद वे किसी भी तरह की परवाह किए बगैर तुरंत नहर में कूद जाते हैं। कुरुक्षेत्र के पास से गुजर रही नरवाना ब्रांच नहर इस बात की गवाह बन चुकी है। इसके लिए परगट सिंह को कई बार सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा सम्मानित भी किया गया।

डूबतों को परगट का सहारा
दो दिन पहले ही परगट नहर के नजदीक ही भैंसों को चरा रहा था कि अचानक उसे शोर सुनाई दिया। उसने देखा कि एक व्यक्ति नहर में डूब रहा है। वह बिना समय व्यर्थ किए कपड़ों समेत पानी में कूद गया और डूबते हुए राजेश को बाहर निकाल लाया। उसे लोगों की मदद से अस्पताल लेकर पहुंचा। गोशाला बाजार निवासी राजेश के परिजनों ने परगट सिंह का आभार जताया। इसी तरह करीब दो वर्ष पहले एक महिला जब अपने दो बच्चों के साथ नहर में कूदी थी उन्होंने बिना देरी किए नहर में छलांग लगा दी थी और महिला को नहर से जीवित निकाल लाया था। ऐसी कई घटनाएं परगट सिंह के नाम हैं जिसमें उन्होंने डूबते लोगों को जीवित बाहर निकाल लिया।

नहर में डूबे शवों को पहुंचा चुके हैं वारिसों तक
दबखेड़ी गांव का युवक परगट सिंह पिछले 15 साल से नरवाना ब्रांच में डूबे लोगों को बचाने में अहम भूमिका निभा चुके हैं। वे नहर में डूबे लोगों के शवों को बाहर निकालकर उनके वारिसों तक पहुंचा चुके हैं। इसके अलावा जब भी कोई व्यक्ति नहर में लापता होता है तो वह परिजनों के साथ मिलकर न केवल नहर में सर्चिंग आपरेशन चलाता है बल्कि गुरुद्वारे से उनके खाने पीने की व्यवस्था भी करता है।

क्षेत्र के युवकों को दे रहे तैराकी का प्रशिक्षण
तैराक परगट सिंह क्षेत्र के युवाओं को तैराकी का प्रशिक्षण दे रहे हैं। वो अभी तक 100 से ज्यादा युवाओं को प्रशिक्षण दे चुके हैं और अपनी पूरी टीम तैयार की है, जो नहर में डूबे लोगों को बिना किसी लालच के निकालती है। परगट के सामाजिक कार्यों से क्षेत्र के कई युवा उसके साथ जुड़े हैं।

आखिर ऐसा क्‍यों करते हैं, ये दिया जवाब
परगट सिंह से जब पूछा कि आखिर आप ऐसा क्‍यों करते हैं, तब उन्‍होंने कहा कि वाहेगुरु ने उन्‍हें तैराकी का हुनर दिया है। शायद, लोगों की जान बचाने के लिए उन्‍हें ये सिखाया हो। वे तो गुरु का काम समझकर नहर में छलांग लगा देते हैं। बाकी सब ऊपरवाले पर छोड़ देते हैं। परिवार के गुजारे के लिए खेतीबाड़ी करते हैं। नहर में लोगों को बचाने के लिए किसी से कभी पैसे नहीं मांगे और न ही कभी लिए।

इस तरह पकड़ते हैं
मगरमच्‍छ को पकड़ने के लिए वे एक रस्‍सी साथ लेकर जाते हैं। सबसे पहला काम होता है मगरमच्‍छ का मुंह बंद करना। जैसे ही फंदा मुंह के पास चला जाता है, उसी समय साथी के सहयोग से पकड़ बना लेते हैं। उन्‍होंने एक विशेष जाल बनाया है। पानी में ये जाल मगरमच्‍छ पर डाल देते हैं। जैसे ही मगरमच्‍छ काबू में आता है, रस्‍से से उसे बाहर निकाल लाते हैं। वह अब तक सात फीट लंबा और एक टन वजनी मगमच्‍छ भी पकड़ चुके हैं।


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