Blood Donation: कुरुक्षेत्र के ये थानेदार दूजे किस्म के, निभाते हैं फर्ज, बचातें हैं जिंदगियां
धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में एक थानेदार ऐसे भी हैं जो रक्तदान के लिए जाने जाते हैं। इनका नाम है सब इंस्पेक्टर डा. अशोक कुमार वर्मा। वे फिलहाल नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो में नियुक्त हैं। डा. अशोक कुमार राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित हैं।
कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। पुलिस का नाम सुनते ही लोगों के सामने नियम तोड़ने पर डंडा और चालान करने वाले पुलिसमैन का चेहरा सामने आ जाता है। उनको देखकर शायद ही किसी के मन में भाव भी ठीक नहीं आते हों, लेकिन धर्मनगरी में एक थानेदार ऐसे भी हैं जो रक्तदान के लिए जाने जाते हैं। वे स्वैच्छिक रक्तदान के लिए भी मशहूर हैं। इनका नाम है सब इंस्पेक्टर डा. अशोक कुमार वर्मा। वे फिलहाल नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो में नियुक्त हैं। डा. अशोक कुमार राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित, राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता, डायमंड रक्तदाता एवं पर्यावरण प्रहरी के नाम से भी पहचान रखते हैं।
आज राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस है। आइये हम आपको ऐसे व्यक्तित्व से मिलवाते हैं जो रक्तदान के लिए खुद आगे रहते हैं। यही नहीं लोगों को भी जागरूक कर रक्तदान के लिए आगे लेकर आते हैं। रक्तदान शिविर भी निरंतर लग रहे हैं। उनका मानना है कि समाज में आज भी जागरूकता की कमी है। जिस कारण रक्तदान की कमी पूरी नहीं हो पाती। लोगों को नियमित रूप से हर तीन माह के अंतराल में रक्तदान करना चाहिए।
सब इंस्पेक्टर डा. अशोक कुमार वर्मा।
143 बार कर चुके हैं रक्तदान
डा. अशोक कुमार वर्मा ने बताया कि उनके जीवन में एक ऐसी घटना हुई कि वे इससे प्रेरित होकर न केवल स्वयं रक्तदान करने लगे, बल्कि उनके परिवार के लोगों के साथ साथ रिश्तेदार व मित्र भी रक्तदान कर रहे हैं। वे स्वयं 143 बार रक्तदान कर चुके हैं और 65 बार प्लेटलेट्स दे चुके हैं। इतना ही नहीं वे बिना किसी बैनर के 370 स्वैच्छिक रक्तदान शिविर आयोजित लगाकर 45078 लोगों का जीवन बचा चुके हैं।
रक्तदान पर मां ने डाटा, अब पूरा परिवार करता है रक्तदान
डा. अशोक कुमार वर्मा ने बताया कि 1989 में वह राजकीय महाविद्यालय करनाल में विद्यार्थी थे और एनसीसी कैडेट थे। एक बार उनके एनसीसी अधिकारी ने डीएवी महाविद्यालय में रक्तदान करने की कही। उन्होंने वहां रक्तदान किया। उसने घर आकर बताया तो मां ने इस पर गहन चिंता व्यक्त की और कहा कि ऐसा नहीं करना चाहिए था। उनके पिता रात को घर पर आए और उन्हें सारी बात बताई। उन्होंने उनकी पीठ थपथपाई। उन्होंने प्रोत्साहित करते हुए कहा कि भारतीय सेना में रहते हुए अनेकों बार रक्तदान किया था। उन्होंने यहीं से रक्तदान करना शुरू कर दिया। वह अपनी मां से छिपकर रक्तदान करते थे। अब उनका खुद का परिवार रक्तदान करता है। उनकी बेटी प्रियंका व दिव्या वर्मा तीन-तीन और बेटा अक्षय वर्मा पांच बार रक्तदान कर चुका है। भाई विनोद कुमार वर्मा 57 बार और पत्नी सुषमा वर्मा पांच बार रक्तदान कर चुके हैं।
बेटे को बचाने के लिए रक्तदान किया, फिर जीवन में अपनाया
डा. अशोक कुमार वर्मा ने बताया कि वे 1999 में पुलिस प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात कुरुक्षेत्र जिले में चुनाव सेवा में नियुक्त थे। तब उनके घर पुत्र अक्षय वर्मा ने जन्म लिया और उसे पीलिया हो गया। चिकित्सक ने उसको बचाने के लिए रक्त बदलने की सलाह दी। उन्होंने अपना रक्त दिया। उस दिन उनको रक्त के महत्व का पता चला और फिर नियमित रक्तदान शुरू किया। उन्होंने अपने पिता पूर्व सैनिक कलीराम खिप्पल की पुण्यतिथि पर पहला रक्तदान शिविर लगाया।