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पानीपत में कोरोना से बचाने वाली दवा की कालाबाजारी, अस्पताल में नहीं स्टॉक, बाहर 5 गुना महंगी बिक रही

रेमडेसिविर दवा कोरोना के गंभीर मरीजों को दी जाती है। पानीपत में इसकी कालाबाजारी हो रही है। बाजार में तीन से पांच गुना कीमत पर बिक्री हो रही है। ड्रग विभाग अब हर इंजेक्शन का हिसाब रखेगा। फिलहाल कोविड अस्पतालों को दवा नहीं मिल पा रही।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Sun, 18 Apr 2021 03:26 PM (IST)Updated: Sun, 18 Apr 2021 03:26 PM (IST)
पानीपत में कोरोना से बचाने वाली दवा की कालाबाजारी, अस्पताल में नहीं स्टॉक, बाहर 5 गुना महंगी बिक रही
पानीपत में कोरोना के केस इस माह बेतहाशा बढ़े हैं। रेमडेसिविर दवा की किल्लत भी बढ़ी है।

पानीपत, जेएनएन। कोरोना महामारी में रेमडेसिविर दवा की भारी किल्लत व कालाबाजारी हो रही है। तीन से साढ़े पांच हजार एमआरपी वाला इंजेक्शन 10 से 15 हजार रुपये में बिक रहा है। डेडिकेडेट कोविड अस्पतालों को भी दवा नहीं मिल रही है। कालाबाजारी रोकने के लिए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने एक-एक इंजेक्शन का रिकार्ड रखना शुरू कर दिया है।

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दरअसल, पानीपत में कोरोना के केस इस माह बेतहाशा स्पीड से बढ़े हैं, मरीजों की मौत भी हुई हैं। संक्रमित मरीज को लाभ पहुंचाने वाली दवा रेमडेसिविर की किल्लत भी बढ़ी है। हालात ऐसे बने कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा डेडिकेडेट कोविड अस्पताल के रूप में रजिस्टर्ड निजी अस्पतालों को दवा का स्टाक नहीं मिल रहा है। नतीजा, तीमारदार अपने मरीज की जान बचाने के लिए बिचौलियों को मुंह मांगी कीमत चुकाकर, इंजेक्शन खरीद रहे हैं।

सप्‍ताह में लगते हैं छह इंजेक्शन

बता दें कि कोरोना संक्रमित मरीज को एक सप्ताह के अंतराल में छह इंजेक्शन लगाए जाते हैं। सक्षम लोग तो एक साथ छह इंजेक्शन खरीद ले रहे हैं। निजी अस्पतालों में उपचाराधीन, सामान्य वर्ग के मरीज के लिए इतनी कीमत चुकानी भारी पड़ रही है।

खत्म होने पर तीमारदार से मंगवाते 

प्रेम अस्पताल के निदेशक डा. पंकज मुटनेजा ने बताया कि दवा कंपनियों के फार्मासिस्ट आते हैं। डिमांड करते हैं, सप्लाई नहीं मिलती। तीमारदार बेचारे साढ़े तीन-चार हजार एमआरपी वाले इंजेक्शन की ब्लैक मार्किट में नौ-दस हजार रुपये कीमत देकर इंजेक्शन खरीदकर, हमें लाकर देते हैं। हम मरीज को लगा देते हैं।

हमें तो सप्लाई ही नहीं मिली

आइबीएम अस्पताल के निदेशक डा. गौरव श्रीवास्तव ने कहा के मेरे अस्पताल में फिलहाल 15 कोरोना संक्रमित भर्ती हैं। इनमें से पांच मरीज ऐसे हैं, जिन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन देना है। दो दवा कंपनियों को ई-मेल भेजी हुई है, स्टॉक नहीं मिला। एक मरीज का स्वजन तो 15 हजार रुपये में इंजेक्शन खरीदकर लाया है।

हमारे यहां इंजेक्शन पर्याप्त :

पानीपत पार्क अस्पताल के सीईओ अशोक बेदवाल ने बताया कि कई दवा कंपनियां रेमडेसिविर बना रही हैं। माह की शुरुआत में दिक्कत आई थी। वर्तमान में मरीजों के हिसाब से स्टाक पर्याप्त है। मरीज से भी एमआरपी ही लिया जाता है।

हर इंजेक्शन का रख रहे हिसाब

जिला औषधि नियंत्रक विजया राजे ने बताया कि दवा कंपनियों को निर्देश हैं कि कोविड अस्पतालों में ही सप्लाई देनी हैं। इन अस्पतालों को भी हर इंजेक्शन का हिसाब देना होगा। जिला के किसी भी मरीज को रेमडेसिविर चाहिए तो आधार कार्ड, पाजिटिव रिपोर्ट और डाक्टर का पर्चा के साथ कार्यालय में आए, तुरंत उपलब्ध कराई जाएगी।

गाइडलाइन में नहीं रेमडेसिविर

सिविल सर्जन डा. संजीव ग्रोवर ने बताया कि कोविड-19 की गाइडलाइन में रेमडेसिविर का जिक्र नहीं है कि इससे मरीज को लाभ मिलता है। कुछ चिकित्सक निजी आब्जर्वेशन के आधार पर इस दवा का मरीज को दे रहे हैं। कालाबाजारी न हो, सोमवार को जिला औषधि नियंत्रक से बात करेंगे।

स्टॉकिस्ट को भी मिले स्टॉक

पानीपत केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स एसोसिएशन के जिला प्रधान करतार सिंह मक्कड़ ने कहा कि चुनिंदा अस्पतालों को सप्लाई देने से कालाबाजारी बढ़ी है। कंपनियां हर स्टॉकिस्ट को सप्लाई देंगी तो मरीज के स्वजन कहीं से भी दवा खरीद सकते हैं।

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