विकास कार्यों के लिए अधिकारियों के पास नहीं कोई ठोस प्लान, डूबेे डी-प्लान के करोड़ो रुपये Panipat News
अधिकारी अब चुनाव आचार संहिता बका बहाना बनाते रह गए और डी प्लान का करीब 20 करोड़ रुपये लैप्स हो गए। अधिकारियों के पास कोई ठोस प्लान नहीं था।
पानीपत, [जगमहेंद्र सरोहा]। विभागों ही नहीं प्रशासन के अधिकारी भी विकास कार्यों की प्लानिंग ढंग से नहीं कर पा रहे हैं। इसके नतीजन जनता के कामों के लिए आया पैसा हर साल लैप्स हो रहा है। इस बार डी-प्लान का करीब 12 करोड़ रुपये लैप्स हो गया। अधिकारियों का यह हाल तब है जब प्रदेश सरकार के व्हीसल ब्लोवर मिनिस्टर अनिल विज डी-प्लान की कमेटी के चेयरमैन हैं।
सरकार ने विकास कार्यों में ग्राट की कमी को पूरा करने के लिए जनवरी महीने में 14.26 करोड़ रुपये की एक स्पेशल ग्रांंट भी दी थी। इतनी बड़ी ग्रांंट आने के बाद भी अधिकारी ढुलमुल तरीके से काम करते रहे। इसका खामियाजा इस बार जिला को भुगतना पड़ा। सरकार ने डी-प्लान के बजट में करीब एक करोड़ रुपये की कटौती कर ली। अब अधिकारी चुनाव आचार संहिता लागू होने का राग अलाप रहे हैं।
ये है डी प्लान
डी-प्लान में नगर निगम, नगरपालिका समालखा और पंचायत विभाग के माध्यम विकास कार्य कराए जाते हैं। शहरी क्षेत्र में ग्रांंट का 47 और शहरी क्षेत्र (पानीपत व समालखा) में 53 प्रतिशत ग्रांंट दी जाती है। तीनों एजेंसियों से विकास कायरें के प्रस्ताव मागे जाते हैं और इनकी चेयरमैन से मंजूरी ली जाती है। अधिकारियों को समय पर काम पूरा कराने के साथ इसका सर्टिफिकेट भी देना होता है।
मंत्री से दोनों ग्राटों के वर्क एक ही बैठक में करा लिए थे अप्रूवल
सरकार ने जुलाई 2018 में डी-प्लान की 9.5 करोड़ की पहली किश्त जारी की थी। अधिकारियों ने ग्रांंट मिलते ही प्लानिंग तेजी के साथ शुरू कर दी। 13 जुलाई को चेयरमैन एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की अध्यक्षता में हुई बैठक में पूरे साल की प्लानिंग पेश की। स्वास्थ्य मंत्री ने अधिकारियों से बात कर दोनों ग्रांटों की प्लानिंग को मंजूरी दे दी। 9.5 करोड़ की दूसरी ग्राट सितंबर महीने में जारी की गई।
स्पेशल ग्राट में प्रशासन की कमजोरी रही
सरकार ने 25 जनवरी के आसपास 14.26 करोड़ की स्पेशल ग्रांंट दी थी। अधिकारियों को यह ग्रांंट भी 31 मार्च तक खर्च करनी थी। इस ग्रांंट के करीब सात करोड़ रुपये ग्रामीण और करीब साढ़े छह करोड़ रुपये पानीपत व समालखा के लिए जारी किए थे। डीसी ने ही आठ फरवरी को बैठक बुलाई। अधिकारियों को विकास कायरें में तेजी लाने के निर्देश तो दिए, लेकिन इनका फीडबैक नहीं लिया। इसी बीच नगर निगम चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई। अधिकारी फिर विकास कायरें को भूल गए।
पिछले साल भी लगे थे लटके झटके
डी-प्लान का पैसा हर साल लैप्स हो रहा है। गत वर्ष करीब सवा करोड़ रुपये के बिल अटक गए थे। अधिकारियों ने इनको नई ग्रांंट में मंजूरी दी। स्थानीय अधिकारियों ने सवा करोड़ रुपये काटकर करीब 8.37 करोड़ को ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में जारी कर दिए। इस बार भी इसी तरह से लाखों की बिलिंग फंस गई थी। अधिकारियों ने इसी तरह से पैसा काटकर ग्राट जारी कर दी।
करोड़ों लैप्स होने के ये तीन कारण
पानीपत में स्थायी प्लानिंग अफसर नहीं है। कैथल के पीओ बिजेंद्र को अतिरिक्त चार्ज दिया है। ऐसे में विकास कायरें पर ठीक से मॉनिटरिंग नहीं हो पाती। नगर निगम, नगरपालिका और पंचायत विभाग समय पर अपनी प्लानिंग नहीं देता। गत वर्ष भी तीन नोटिस के बाद प्लानिंग दी गई थी। एजेंसी बड़े कामों पर ध्यान देती है और उन्हीं को पूरा कराना चाहते हैं। वे छोटे कामों की तरफ ध्यान नहीं दे पाते। ऐसे में छोटे काम छूट जाते हैं।
सीधी बात : प्रीति, एडीसी
सवाल : क्या इस बार डी-प्लान का 12 करोड़ रुपये लैप्स हो गया है?
जवाब : जी हा, इस बार डी-प्लान का पैसा लैप्स हुआ है।
सवाल : इसमें कहा कमी रही है?
जवाब : एजेंसियों ने पहले समय पर प्रस्ताव नहीं भेजे और फिर काम खत्म नहीं किए गए।
सवाल : इसके अलावा और भी कोई कारण रहा है क्या?
जवाब : नगर निगम के चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई। जिसके चलते निगम क्षेत्र में करोड़ों के काम नहीं हो सके।
सवाल : क्या इस साल की डी-प्लान की ग्राट मिल गई है।
जवाब : जी हा, इस साल की ग्राट मिल गई है।
सवाल : इस बार ग्राट को बचाने के लिए क्या किया जाएगा?
जवाब : सभी से एस्टिमेट माग लिए गए हैं। इस बार ग्राट लैप्स नहीं होने दी जाएगी।
सवाल : आपने इसमें अब तक क्या किया है?
जवाब : सभी एजेंसियों के अधिकारियो निर्देश दे दिए हैं। मैं खुद भी मॉनिटरिंग करुंगी।
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