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सफलता की बड़ी कहानी, चूल्‍हा चौका महिलाओं के जीवन में रंग भर रहीं रंगीन मछलियां

अगर इरादों में मजबूती हो तो सपनों को अपने आप उड़ान मिल जाती है। कुछ ऐसे सपनों को सच कर रहीं यमुनानगर की महिलाएं। चूल्‍हा चौका करने वाली महिलाओं की जिंदगी को रंगीन मछलियां सफलता की ओर ले जा रही हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 16 Oct 2020 06:27 PM (IST)Updated: Fri, 16 Oct 2020 06:27 PM (IST)
सफलता की बड़ी कहानी, चूल्‍हा चौका महिलाओं के जीवन में रंग भर रहीं रंगीन मछलियां
हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की ओर से प्रशिक्षण लेतीं महिलाएं।

पानीपत/यमुनानगर, [संजीव कांबोज]। चूल्हा चौका करने वाली महिलाएं अब एक्वेरियम फिश तैयार करेंगी। इसके लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय की स्वीकृति की मिल गई है। अब इनको हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की ओर से प्रशिक्षण दिया जाएगा। ये महिलाएं एक्वेरियम फिश तैयार करेंगी। रादौर की 31 महिलाएं पहली सूची में हैं। इन महिलाओं को उन प्लांटों की विजिट भी कराई जाएगी जहां रंगीन मछलियां तैयार हो रही हैं। ये महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई हैं। अपना कारोबार शुरू करने के लिए इनको सरकार की ओर से वित्तीय सहायता भी मिलेगी।

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इस तरह करेंगी काम

दरअसल, हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाएं स्वयं सहायता समूह बनाकर अलग-अलग तरह के कार्य कर सकती हैं। अचार, मुरब्बा, व घरेलू सामान तैयार कर ये महिलाएं बाजार में बेचती हैं। रादौर की ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर राजकुमारी ने योजना के तहत कुछ नया करने की ठानी। एक्वेरियम फिश व पोट तैयार करने का प्रपोजल ग्रामीण विकास मंत्रालय को भेजा। इसको मंजूरी मिलने के बाद  काम शुरू हो गया। प्रशिक्षण लेने के बाद ये महिलाएं पोट भी तैयार कर बाजार में बेच सकती हैं और फिश भी तैयार कर सकती हैं। बाजार में इनकी काफी डिमांड भी है। बजट व अन्य संसाधन भी इनको उपलब्ध करवाए जाएंगे।

रादौर में लगेगा प्लांट

स्वयं सहायता समूह से जुड़ी ये 31 महिलाएं रादौर के अलग-अलग गांव की हैं। रादौर क्षेत्र में ही एक्वेरियम फिश तैयार करने का एक प्लांट लगाए जाने की योजना है। ताकि इनको दूरी भी न तय करनी पड़े। इसके लिए जगह की तलाश की जा रही है। ये महिलाएं स्वयं ही कच्चा माल जुटाएंगी और खुद ही तैयार प्रोडक्ट को बाजार में उतारेंगी। इनको धरों व वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में सजावट के तौर पर रखा जाता है। देखने में काफी आकर्षक लगती हैं। अलग-अलग किस्म की फिश व पोट का रेट भी अलग-अलग होता है। एक्वेरियम की कीमत की बात की जाए तो एक हजार की लागत से लेकर लाखों तक में बनाया जाता है। इसमें एयरमशीन, फिल्टर व हीटर लगाया जाता है जिसके माध्यम से इन मछलियों को ज्यादा समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना ही हमारा उद्देश्य है। किसी भी क्षेत्र में महिलाएं अब पीछे नहीं है। हर काम को बाखूबी कर सकती हैं। अन्य परंपरागत कार्यों के साथ-साथ इस बार कुछ नया करने की योजना है। प्रशिक्षण के बाद क्षेत्र की 31 एक्वेरियम फिश व पोट तैयार करेंगी। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।  

राजकुमारी, ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर।


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