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हरियाणा में करोड़ों का घोटाला, सरकारी योजना का लाभ उठा कोचिंंग सेंटरों ने किया फर्जीवाड़ा

करोड़ों का घोटाला करने के लिए जाल बुना गया। हजारों फर्जी छात्रों को आइपीएस आइएएस कोचिंग का दावा है। अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों को उच्च प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करवाने के लिए निशुल्क प्रशिक्षण के लिए राज्य में खोले थे 13 कोचिंग सेंटर। तीन निकले फर्जी।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 17 Aug 2022 07:02 PM (IST)Updated: Wed, 17 Aug 2022 07:02 PM (IST)
हरियाणा में करोड़ों का घोटाला, सरकारी योजना का लाभ उठा कोचिंंग सेंटरों ने किया फर्जीवाड़ा
हरियाणा में सिविल परीक्षा की तैयारी कराने के नाम पर घोटाला।

अंबाला, [दीपक बहल]। हरियाणा में अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों को उच्च प्रतियोगी परीक्षाओं (आइएएस, आइपीएस, एमबीबीएस, क्लैट आदि) के लिए प्रदेश भर में 13 कोचिंग सेंटर को जिम्मा दिया गया था, जिनमें से तीन ने कूटरचित अभिलेख तैयार कर करोड़ों का घोटाला कर दिया। ये कोचिंग सेंटर चंडीगढ़ में दिखाए गए थे।

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यह भी उल्लेखनीय है कि कूटरचित अभिलेखों के आधार पर सरकार से करोड़ों रुपया तो ले लिया, लेकिन सरकार को जमा कराया जाने वाला सर्विस टैक्स भी उदरस्थ कर लिया। जब जांच हुई तो 4609 उन विद्यार्थियों का कोई रिकार्ड ही नहीं मिला, जिनको कोचिंग देना बताया गया था। यहां तक कि जहां पर कार्यालय बताया गया, वहां पर भी कार्यालय जैसा कुछ नहीं मिला।

इस फर्जीवाड़े में अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के कर्मचारी भी संलिप्त रहे। विजिलेंस ने जांच की तो घोटाले की परतें खुलें । विजिलेंस की संस्तुति पर विभागीय कर्मचारियों और संचालकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।

बता दें कि राज्य सरकार ने अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों को उच्च प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिए सन 2010 से 2013 के बीच में निशुल्क कोचिंग की योजना दी गई। अंबाला, करनाल, रेवाड़ी, चंडीगढ़ आदि शहरों में 13 कोचिंग सेंटर में कोचिंग दी जानी थी। राज्य सरकार तक कुछ कोचिंग सेंटरों में गड़बडिय़ों की शिकायतें मिलीं, जिसके बाद जांच का जिम्मा स्टेट विजिलेंस ब्यूरो को दिया गया।

विजिलेंस ने सभी कोचिंग सेंटरों पर छानबीन की, जिनमें से दस पर कार्य सही पाया गया, लेकिन तीन कागजों में ही चलते मिले। चंडीगढ़ के एक कोचिंग सेंटर में जांच की, तो पाया कि 138 विद्यार्थियों को डीईटी कोर्स के लिए चार हजार रुपये प्रति छात्र के हिसाब से 6, 08, 856 रुपये का सर्विस टैक्स भी नहीं जमा कराया गया। पूछताछ के लिए संचालक राजीव शर्मा को शामिल जांच के लिए बुलाया गया तो पता चला कि वह कनाडा में रहता है। पंद्रह छात्रों को जांच में शामिल किया गया।

उन्होंने बताया कि उन्होंने इस संस्थान से कोचिंग नहीं ली। इसी प्रकार दूसरे कोचिंग सेंटर में 902 छात्रों को बैंक क्लर्क की प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए 49,74,530 रुपये सर्विस टैक्स नहीं कराया गया। एचटेट के लिए 1697 छात्रों को कोचिंग देने की बात की गई, लेकिन इसमें भी फर्जीवाड़ा पाया गया। इस सेंटर को सरकार की ओर से 1, 05,89,903 रुपये का भुगतान किया गया। यहां भी 56 लाख का सर्विस टैक्स भी सरकार को नहीं दिया।

विजिलेंस ने जब रिकार्ड खंगाला तो 2476 विद्यार्थियों का रिकार्ड ही नहीं मिला, जबकि जिन छात्रों के 123 फार्म मिले, वे आठवीं और दसवीं के थे। उनको भी शामिल जांच किया। इन छात्रों ने कहा कि उन्होंने सेंटर से कोई कोचिंग नहीं ली। इसी तरह तीसरे कोचिंग सेंटर में भी 720 छात्रों के लिए छह हजार रुपये प्रति छात्र के हिसाब से करोड़ों रुपये सरकार से लेकर खेल कर दिया गया।

यह घोटाला अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के तत्कालीन अधीक्षक और कर्मचारियों की मिलीभगत से किया गया। राज्य सरकार से मंजूरी मिलते ही विजिलेंस ने फर्जी कोचिंग सेंटर बनाने वाले राजीव कुमार शर्मा, वेद प्रकाश धीमान, सहायक कार्यालय बलविंदर सिंह, उपाधीक्षक भरत भूषण, महाराज सिंह, भागमल आदि के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके जांच शुरू कर दी है।


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