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हरियाणा में बिजली निगम फर्जीवाड़ा, जगाधरी डिवीजन में गबन की रकम पहुंची 40 करोड़ पार

हरियाणा के बिजली निगम में हुए घोटाले में राशी 40 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है। घोटाले में तत्कालीन एक्सईएन से लेकर कई कर्मी गिरफ्तार हो चुके हैं। साथ ही इस मामले में गिरफ्तार अकाउंटेंट पूजा को भी निलंबित किया गया हैं।

By Naveen DalalEdited By: Published: Sun, 29 May 2022 11:05 AM (IST)Updated: Sun, 29 May 2022 11:05 AM (IST)
हरियाणा में बिजली निगम फर्जीवाड़ा, जगाधरी डिवीजन में गबन की रकम पहुंची 40 करोड़ पार
सेवानिवृत्त कर्मियों का पैसा निकालकर किया गया फर्जीवाड़ा।

यमुनानगर, जागरण संवाददाता बिजली निगम से सेवानिवृत्त कर्मचारियों का पैसा निकालकर फर्जीवाड़ा करने के मामले में गिरफ्तार अकाउंटेंट पूजा को निलंबित कर दिया गया। इस फर्जीवाड़ा में अब तक एक्सईएन सहित सात कर्मी निलंबित हो चुके हैं। अभी और भी कर्मियों की गिरफ्तारी हो सकती है, क्योंकि आरोपितों से पूछताछ के बाद कंप्यूटर आपरेटरों तक के नाम सामने आए हैं। वहीं जगाधरी डिवीजन का आडिट चल रहा है। जिसमें अभी तक करीब 40 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा पकड़ में आया है। यह आडिट इस माह के अंत तक पूरा हो सकता है।

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टैक्सी चालक के खाते में पैसे ट्रांसफर होने पर खुला था मामला :

दरअसल, यह फर्जीवाड़ा पानीपत में दर्ज केस के बाद उजागर हुआ था। समालखा निवासी टैक्सी चालक के खाते में बिजली निगम के खाते से पैसे ट्रांसफर हुए थे। मामले की जांच के दौरान पानीपत की पुलिस ने सुबूत जुटाए थे और तत्कालीन एक्सईएन बिलासपुर नीरज सिंह, डिविजनल अकाउंटेंट योगेश लांबा को गिरफ्तार किया। अभी पानीपत पुलिस की तफ्तीश चल रही है। जिसमें एक्सईएन से लेकर एलडीसी राघव वधावन, अकाउंटेंट पूजा समेत कई अन्य की गिरफ्तारी हो चुकी है।

वहीं गिरफ्तारी से पहले ही एक्सईएन नीरज सिंह ने बिलासपुर थाना में शिकायत दे दी थी। जिसमें उसने डिविजनल अकाउंटेंट योगेश लांबा, एलडीसी राघव वधवा, डिप्टी सुपरिटेंडेंट राकेश नंदा व समालखा में तैनात डिप्टी सुपरिटेंडेंट चक्रवर्ती शर्मा पर फर्जी वाउचरों के जरिए 63 लाख रुपये के गबन का आरोप लगाया था। यह केस दर्ज होने के बाद चक्रवर्ती शर्मा ने आत्महत्या भी कर ली थी। वहीं एक मामला शहर यमुनानगर थाना में एक्सईएन जगाधरी भूपेंद्र सिंह की शिकायत पर राघव वधावन व योगेश लांबा पर 21 लाख रुपये के वाउचरों के जरिए फर्जीवाड़ा करने का दर्ज हुआ है। दोनों केसों को जांच के लिए आर्थिक अपराध शाखा में ट्रांसफर किया गया है।

वर्ष 2016 तक का हो रहा आडिट

यह फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद जगाधरी डिवीजन का वर्ष 2016 से लेकर वर्ष 2021 तक का आडिट किया जा रहा है। बिलासपुर डिवीजन का छह माह का आडिट हुआ था, क्योंकि यह डिवीजन नई बनी थी। पहले बिलासपुर को जगाधरी डिवीजन से ही कामकाज चलता था। बिलासपुर डिवीजन में एक करोड़ 40 लाख रुपये का फर्जीवाड़ा पकड़ में आ चुका है।

कई अन्य अधिकारी व कर्मी आ सकते लपेटे में

पानीपत की पुलिस ने फर्जीवाड़ा के मुख्य आरोपित एलडीसी राघव वधावन को गिरफ्तार कर लिया था। उसके पकड़े जाने के बाद कई अन्य कर्मियों के नाम सामने आए थे। इनमें अकाउंटेंट पूजा, सोनू, अतुल व मनहर सैनी के नाम शामिल थे। फर्जीवाड़ा का पैसा इन आरोपितों के पास भी गया था। जिस पर पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया था। कुछ अन्य कर्मियों पर भी तलवार लटक रही है। इसमें उस समय तैनात रहे एक्सईएन तक भी लपेटे में आ सकते हैं।

अधिकारी के अनुसार

बिजली निगम के एसई राजेंद्र कुमार ने बताया कि अभी जगाधरी डिवीजन का आडिट चल रहा है। अब तक 40 करोड़ तक का गबन पता चला है। उम्मीद है कि इस माह के अंत तक यह अाडिट पूरा हो जाएगा। इसके बाद गबन की पूरी राशि का पता लग जाएगा।


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