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खुद की प्राइवेट नौकरी, जज्बा दूसरों की सेवा का, इंसानों से लेकर पशु पक्षियों की कर रहे सेवा

हरियाणा के अंबाला में मानवता की सेवा का एक बेहतरीन उदाहरण देखने को मिल रहा। वंदेमातरम भारत दल के भरत सिंह खुद प्राइवेट नौकरी करते हैं। इसके बावजूद इंसानों के अलावा पशु पक्षियों की सेवा में पीछे नहीं रहते हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2021 12:33 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2021 12:33 PM (IST)
खुद की प्राइवेट नौकरी, जज्बा दूसरों की सेवा का, इंसानों से लेकर पशु पक्षियों की कर रहे सेवा
जरूरतमंदों को भोजन देते वंदेमातरम दल के भरत सिंह।

पानीपत/अंबाला, जेएनएन। वंदे मातरम दल के भरत सिंह, जो खुद शहर के कपड़ा मार्केट में एक प्राइवेट नौकरी करते हैं, लेकिन इनकी सेवा ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया। यह सिर्फ मानव जाति के लिए ही नहीं, बल्कि पशु-पक्षियों के लिए भी सेवा करने में तत्पर रहते हैं। हालांकि इन्हें साथियों को बहुत सहयोग है। जो आपात स्थिति में ड्यूटी के दौरान भी सेवा के लिए निकल जाते हैं और शाम को सात बजे के बाद मानो रोजाना सेवा का मौका मिलता है।

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वंदे मातरत दल के भरत सिंह जट्टां वाली गली में रहते हैं। इनमें सेवा भाव का जज्बा भरा पड़ा है। इनका कहना है कि जिंदगी की गाड़ी सेवा करते ही चले। वह 2012 से सेवा कर रहे हैं। इसी सोच पर इन्होंने कोरोना काल के दौरान प्रवासियों को काफी मदद की। कोरोना काल में मजदूरों के लिए जहां भी जरूरत पड़ी खाना पहुंचाया गया। इसके साथ ही उनके जख्मों पर मलहम पट्टियां भी की।

उन्होंने बताया कि जट्टां वाली गली में ही खाना बनता था। इसमें वंदे मातरम दल की पूरी टीम सहयोग करती थी, खाने को छोटे हाथी पर सैनी आश्रम में लेकर जाते थे। इस सेवा के लिए उन्हें जिला प्रशासन से पास मिला हुआ था। 

उन्होंने खुद 56 दिन तक सुबह का नाश्ता पहुंचाया था। वहीं कोरोना काल में ही सरकारी कार्यालयों समेत पुलिस चौकियों में सैनिटाइजर भी करवाया था। यहां तक मास्क भी बांटे और मास्क अपने घर पर ही बनाए जाते थे। उन्होंने बताया कि नौकरी के दौरान बीच में सेवा के लिए जाना मुश्किल भी हो जाता है। शाम के 7 बजे तक ड्यूटी रहती है, इस कारण ज्यादातर सेवा बाद में की जाती है। कभी-कभी पुलिस कंट्रोल से भी सेवा के लिए काल आ जाती है जहां हादसा होता है। हेल्प लाइन पर भी उनका नंबर जारी किया हुआ है। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में एक गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाया था। इसके अलावा एक लावारिस शव का दाह संस्कार करवाया गया था।  

रोजाना करते है पशु-पक्षियों का इलाज

उन्होंने बताया कि घायल पशु-पक्षियों के इलाज के रोज मामले आते हैं। क्योंकि कोई गाय या नंदी नाले में गिर जाते हैं। इसके अलावा वह आपात काल में मरीज को रक्त दान करवाते हैं। 

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