मैडम-मैडम करने वालों के गले में घंटी
मैडम-मैडम करने वालों के गले में अंतत: फ्री पार्किंग की घंटी बंध ही गई।
मैडम-मैडम करने वालों के गले में अंतत: फ्री पार्किंग की घंटी बंध ही गई। एलिवेटेड हाईवे के नीचे एक सादे समारोह में पार्किंग व्यवस्था का उद्घाटन मैडम से ही कराया। अब उन्हीं लोगों ने लालबत्ती चौराहे को सेल्फी प्वाइंट बनाने का बीड़ा उठाया है। सुंदरीकरण का शुभारंभ भी मैडम से कराया। फ्री पार्किंग पर खूब बखेड़ा हुआ था। जाम से राहत के लिए मैडम इसे समाजसेवी संगठनों को सौंपना चाहती थीं। संगठन के लोगों ने जब रुचि नहीं दिखाई तो टेंडर में सबसे कम रेट वाले ठेकेदार को 14 जोन में बांट पार्किंग दे दी गई। व्यापारी विरोध में आ गए। कुछ दिनों मामला दबा रहा। बाद में मुफ्त पार्किंग के आइडिया के साथ व्यापारियों का दल मैडम के पास पहुंचा। एक नई संस्था बना पार्किंग चलाने का प्रस्ताव रखा। मैडम को सुझाव पसंद आया। फ्री पार्किंग की घंटी उनके गले में बांध दी।
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रिकॉर्डिंग से सहमे नेताजी
रिकॉर्डिंग का खौफ नेताजी को सताने लगा है। कुछ बोलने से पहले चारों तरफ नजरें दौड़ाते हैं। कहीं कोई उनकी बातों को रिकॉर्ड तो नहीं कर रहा। हुआ यूं कि लघु सचिवालय में वीआइपी प्रवेश द्वार से 10-15 मीटर की दूरी पर मांडी गांव के एक वर्ग विशेष के लोग धरना दे रहे थे। नेताजी का काफिला तीसरी मंजिल से उतरा। धरने में शामिल 25-30 लोगों ने गाड़ी में सवार होने से पहले उन्हें घेर लिया। पोते की ¨जदगी बचाने की खातिर एक वृद्धा नेताजी के पांव छू न्याय की गुहार लगाने लगीं। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी लोगों को भरोसा देने लगे कि वे मामले की जांच करा रहे हैं। भीड़ में से एक युवक घटना को मोबाइल में रिकॉर्ड करने लगा। नेताजी की नजर मोबाइल पर पड़ी। इशारा कर कहा इसे बंद करो। सारी चीजें रिकॉर्ड करने की नहीं होती। मैं तो इन लोगों से ऑफ द रिकॉर्ड कुछ बातें शेयर कर रहा हूं। नेताजी का ये वाकया भी मोबाइल में रिकॉर्ड हो गया।
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एक करोड़ के सर्टिफिकेट की चाह में दबाने लगे नेताजी के पांव
चापलूसी से ठेका लेने वालों का सारा खेल ऑनलाइन सिस्टम ने बिगाड़ दिया है। सिफारिश पर 25-50 लाख का काम लेने वाले ठेकेदार नई व्यवस्था से खिन्न होकर नेताजी की शरण में जाने लगे हैं। जोगिया आढ़त वाले एक नेताजी से मिलने उनके ठिकाने पर पहुंचा। धान खरीद की बात चलने लगी। इतने में दो-तीन लोग और उनके पास आकर बैठ गए। सफारी सूट पहने और फोटोक्रॉमिक चश्मा लगाए एक व्यक्ति उस नेताजी की गद्दी पर आकर बैठ गया। हाल-चाल पूछने पर उस व्यक्ति ने नेताजी के पांव दबाते हुए कहा गुरुजी 40-50 लाख का काम दिला दो। एक करोड़ का सर्टिफिकेट बनवाना है। नेताजी ने मुस्कुराते हुए कहा कि पहले क्यों नहीं कहा। अब तो सारी व्यवस्था ऑनलाइन हो चुकी है। चलो देखते हैं कोई गुंजाइश होगी तो.। न पहलवान जीते, न वेद हारे
न पहलवान जीते.न वेद हारे। सनातन धर्म संगठन के चुनाव में कुछ ऐसा ही हुआ। छक्का मारने के लिए पहलवान ने पहले से कमर कस रखी थी। वेद एक प्रभावी बिरादरी के सहारे पहलवान को चित करने की फिराक में थे। हंगामे के चलते चुनाव टल गया। जातीय समीकरण में प्रधानगी की राजनीति उलझ गई। संगठन की बदनामी होने लगी। प्रधान पद के दोनों दावेदारों को मनाने में सब जुट गए। पहलवान अंतत: प्रधान बन गए। वेद की नाराजगी दूर करने के लिए चेयरमैन की कुर्सी पर बिठा दिया गया।
प्रस्तुति : अरविन्द झा