Move to Jagran APP

मधुमक्‍खी पालन व्‍यवसाय को झटका, हरियाणा में शहद से गायब कुल्लू के सेब और जम्मू के कढ़ी-पत्ते की महक

इस बार हरियाणा में मधुमक्‍खी पालन व्‍यवसाय को झटका लगा है। लॉकडाउन की वजह से इस बार शहद व्‍यवसाय काफी प्रभावित हुआ है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Thu, 14 May 2020 07:20 AM (IST)Updated: Thu, 14 May 2020 07:20 AM (IST)
मधुमक्‍खी पालन व्‍यवसाय को झटका, हरियाणा में शहद से गायब कुल्लू के सेब और जम्मू के कढ़ी-पत्ते की महक
मधुमक्‍खी पालन व्‍यवसाय को झटका, हरियाणा में शहद से गायब कुल्लू के सेब और जम्मू के कढ़ी-पत्ते की महक

पानीपत/यमुनानगर, [संजीव कांबोज]। लॉकडाउन ने हरियाणा के मधुमक्खी पालन व्यवसाय को बड़ा झटका दिया है। परपरागण के लिए अप्रैल में हिमाचल के विभिन्न हिस्सों में शिफ्ट होने वाला व्यवसाय इस बार नहीं हो पाया। कुल्लू-मनाली व शिमला के सेब और जम्मू के कढ़ी पत्ते का फूल इन दिनों इस व्यवसाय को ताकत देने का काम करता है। यहां तैयार शहद की क्वालिटी भी अव्वल होती है, लेकिन बार्डर सील होने के कारण इन व्यवसायियों को इस बार अपने जिलों में ही रहना पड़ रहा है। मधु मक्खियों को बरसीम व सूरजमुखी के फूलों पर संतोष करना पड़ रहा है। यह भी ढूंढने से नहीं मिल रही है। 

loksabha election banner

चार हजार व्यवसायी प्रभावित

हरियाणा के विभिन्न जिलों में करीब चार हजार मधुमक्खी व्यवसायी हैं। इनके पास करीब 40 हजार बॉक्स हैं। हरियाणा में फल व फूलों की खेती का रकबा कम होने के कारण ये व्यवसायी अप्रैल में हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर के विभिन्न जिलों में अपने बॉक्स रखते हैं। हिमाचल में सेब के बाग व जम्मू-कश्मीर में कढ़ी-पत्ता बहुतायत मात्रा में पाया जाता है। ये मधुमक्खियां यहां इन फसलों के फूलों का रस लेतीं हैं। इस बार लॉकडाउन लगते ही सीमाएं सील हो गईं जिसके चलते व्यवसायी जहां थे वहीं रह गए। हालांकि बाद में इनको शिफ्ट करने की अनुमति मिली, लेकिन डर के मारे व्यवसायी शिफ्ट नहीं कर पा रहे हैं।

परेशानी में व्यवसायी 

हाफिजपुर के मधुमक्खी व्यवसायी सुभाष चंद, बरहेड़ी के रजनीश कुमार, रोहित और हरिचंद ने बताया कि मधुमक्खी व्यवसाय इन दिनों परेशानी में हैं। शहद के दामों में लगातार गिरावट आ रही है। लॉकडाउन के कारण इस बार उत्पादन भी 50 फीसद कम होने की संभावना है। व्यवसायी मधुमक्खियों के डिब्बों को फूलों वाले क्षेत्रों में नहीं ले जा पा रहे हैं। बाग-बगीचे खाली पड़े हैं। केवल शहद के उत्पादन पर ही नहीं बल्कि सेब व अन्य फसलों की पैदावार भी प्रभावित होगी। क्योंकि मधु मक्खियों के माध्यम से पर परागण प्रक्रिया होती है जो  फसल की पैदावार बढ़ाने में सहायक है। इन दिनों मक्खियों को बचाने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। आसपास ही खेतों में डिब्बे रखने पड़ रहे हैं। ङ्क्षचता का विषय यह भी है कि हरियाणा में फूलों व फलों की खेती कम होती है। 

एक्सपोर्ट नहीं हुआ शहद

व्यवसायियों के मुताबिक हरियाणा से बहुत बड़े पैमाने पर सरसों का शहद यूएसए एक्सपोर्ट होता है। वहां कोरोना वायरस का प्रकोप होने के कारण इस बार एक्सपोर्ट भी बंद है। जिसके चलते दामों में भारी गिरावट है। पहले से ही मंदी झेल रहे कारोबार का लॉकडाउन ने दम निकाल दिया है। शहद को खरीददार नहीं मिल रहे हैं। व्यवसाय पूरी तरह डगमगा चुका है। ऐसे में व्यवसायी विशेष राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं। व्यवसायियों के मुताबिक हरियाणा में ऐसे खेती को अधिक बढ़ावा दिया जिससे शहद उत्पादन हो। व्यवसायियों को दूसरे राज्यों में न जाना पड़े।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.