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हो जाएं सावधान, फैल रहा स्मॉग, आंखों में जलन और सांस लेने में हो रही दिक्‍कत

करनाल और आसपास के क्षेत्रों में स्‍मॉग देखने को मिल रहा है। इससे लोगों की आंखों में जलन और सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में लोगों को सावधान रहने की जरूरत है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Mon, 12 Oct 2020 06:12 PM (IST)Updated: Mon, 12 Oct 2020 06:12 PM (IST)
हो जाएं सावधान, फैल रहा स्मॉग, आंखों में जलन और सांस लेने में हो रही दिक्‍कत
करनाल में सोमवार सुबह स्मॉग की वजह से लोगों को परेशानी हुई।

पानीपत/करनाल, जेएनएन। सोमवार सुबह पांच बजे करनाल और आसपास के क्षेत्र में नजारा हैरानी वाला था। हर तरफ धुंध छाई थी। सैर के लिए घर से पार्क के लिए निकले तो परेशानी हुई। कुछ को आंखों में जलन की शिकायत हुई तो कुछ को सांस लेने में।

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दैनिक जागरण ने इस बाबत केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के मौसम विशेषज्ञों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि यह धुंध नहीं है। अचानक तापमान के बढऩे-घटने के कारण यह स्थिति बनी। धुंध और धुएं के मिश्रण से स्मॉग बनी है। इससे लोगों को परेशानियां हुई हैं।

आने वाले 24 घंटे में मौसम का हाल

सोमवार को अधिकतम तापमान मामूली गिरावट के साथ 33.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं, न्यूनतम तापमान 18.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया। सुबह के समय स्मॉग में ²श्यता महज 15 मीटर दर्ज की गई। सुबह के समय हवा में नमी की मात्रा 92 फीसदी दर्ज की गई जो शाम को घटकर महज 52 फीसदी रह गई। हवा 2.6 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चली। केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के मुताबिक आने वाले 24 घंटे में मौसम साफ रहेगा।

जिले में लगातार बढ़ रहे धान अवशेष जलाने के मामलों से बढ़ी परेशानी

करनाल जिले में अब तक धान के अवशेष जलाने के 156 मामले सामने आ चुके हैं। अवशेषों में आगजनी की बढ़ रही घटनाओं ने जिला प्रशासन को भी ङ्क्षचता में डाल दिया है। हालांकि इसको रोकने के लिए छह टीमों को गठन किया गया है, लेकिन किसान इसके बावजूद भी बाज नहीं आ रहे हैं। बीते दिन घरौंडा क्षेत्र में कृषि एवं कल्याण विभाग के सुपरवाइजर के साथ अवशेषों को जलाने से रोकने के लिए मारपीट भी हुई है।

डॉक्टरों की सलाह, श्वास और हृदय रोगी रखें परहेज

सीनियर फिजिशयन डॉ. संजीव ग्रोवर ने कहा कि स्मॉग के दुष्प्रभावों को देखते हुए श्वास और हृदय रोगी अगर घर में ज्यादा समय बिताएं तो बेहतर होगा। वातावरण में स्मॉग की मौजूदगी श्वास रोगियों के लिए सही नहीं है। स्मॉग का निर्माण कई तरह की विषैली गैसों, धूल-मिट्टी के कणों से होता है। जब इन कणों के संपर्क में श्वास रोगी आते हैं तो उन्हें श्वास प्रणाली में सूजन, रुकावट, गले में खरास, चुभन, दम घुटना, सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई बार तो रोगी को अस्थमा का अटैक भी जाता है। पिछले दो-तीन दिन में स्मॉग की वजह से आंखों में होने वाली एलर्जी के काफी मरीज पहुंच रहे हैं। एलर्जी से पीडि़त आंखों में से लगातार पानी गिरने, खारिश होने, जलन, आंखें लाल होने जैसी समस्याएं बता रहे हैं। 

स्मॉग है तो यह बरतें सावधानी

- सुबह-शाम घर से बाहर जाने से बचें। बच्चों को डॉक्टरी परामर्श पर नैबुलाइजेशन कराएं।

- बाहर जाते वक्त मास्क, रुमाल लगाएं।

- हेलमेट पहनें, आंखों पर चश्मा लगाएं।

- अस्थमा रोगी इन्हेलर की डोज बढ़ा दें।

- श्वास के रोगी सुबह टहलने से बचें।


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