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दिवाली तक डेंगू का ज्‍यादा खतरा, लारवा ऐसी-ऐसी जगह जहां आप सोच भी नहीं सकते

विभागों में के पास नहीं पर्याप्त फॉगिंग मशीनें। आप भी रहें जागरूक। फ्रि‍ज के पीछे जो ट्रे होती है, उसमें भी मच्‍छर का लारवा पनप सकता है। पिछले वर्ष इसी वजह से हो गई थी मौत।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Tue, 30 Oct 2018 12:19 PM (IST)Updated: Tue, 30 Oct 2018 01:36 PM (IST)
दिवाली तक डेंगू का ज्‍यादा खतरा, लारवा ऐसी-ऐसी जगह जहां आप सोच भी नहीं सकते
दिवाली तक डेंगू का ज्‍यादा खतरा, लारवा ऐसी-ऐसी जगह जहां आप सोच भी नहीं सकते

जागरण संवाददाता, पानीपत : शहर से लेकर गांव तक डेंगू का साया बढ़ा होता जा रहा है। पानपीत में डेंगू के दो केस सामने आ चुके हैं। कैथल में तीन लोगों की मौत हो चुकी है। बताया जा रहा है कि उन्‍हें डेंगु बुखार हुआ था। स्‍वास्‍थ्‍य विभाग का कहना है कि इस समय मौसम ऐसा बना हुआ है कि दिवाली तक डेंगू से जागरूकता से बचाव किया जा सकता है। हर तरफ सफाई रखें। दूसरी तरफ अगर प्रशासन की व्‍यवस्‍था की बात करें तो पानीपत में नगर निगम, जिला परिषद और ग्राम पंचायतों के पास पर्याप्त संख्या में फॉगिंग मशीनें नहीं हैं। पढ़ें ये रिपोर्ट और जानें कैसे बच सकते हैं जानलेवा मच्‍छरों से।

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घर-कार्यालय में हुए जलभराव में मच्छर का लार्वा पनपता मिला तो स्वामी को जागरुक करते हुए सात दिन का नोटिस दिया जाता है कि वह ऐसे उपाय करे कि लार्वा न पनपे। दूसरी बार लार्वा मिलने पर उसके खिलाफ धारा 188 के तहत मुकदमा दर्ज होगा। दोष सिद्ध होने पर 2 माह की जेल इसके अलावा 200 रुपये का जुर्माना भी हो सकता है। चौंकाने वाला पहलू यह कि स्वास्थ विभाग और नगर निगम किसी पर जुर्माना नहीं कर सका है।

मलेरिया के लक्षण
तेज बुखार, पसीना आना, सर्दी लगने से कंपकपी छूटना, सिरदर्द व मासपेशियों में दर्द। थकान, घबराहट, कमजोरी आना, उल्टी-दस्त लगना। मलेरिया के लक्षण 72 घंटे बाद दोबारा दिख सकते हैं।

डेंगू-चिकनगुनिया के लक्षण
तेज बुखार, शरीर में दाने निकलना, सिर, आंखों, जोड़ों व मासंपेशियों में दर्द इसके लक्षण हैं। भूख नहीं लगती, उल्टी आती है। मच्छरों से बचाव ही इसका इलाज है।

यहां हो सकता है मच्‍छर का लारवा, अपना फ्रि‍ज भी देख लें
-घर और ऑफिस के आसपास पानी जमा न होने दें।
-बर्तन, पुराने टायर आदि में पानी एकत्र न होने दें।
-साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें।
-रात्रि पहर में मच्छरदानी लगाकर सोएं।
-घर के अंदर मच्छर मारने वाली दवा छिड़कें।
-दरवाजों व खिड़कियों पर महीन जाली लगवाएं।
-शरीर को ढकने वाले सूती परिधान पहनें।
-घर व ऑफिस के आसपास की झाड़ियों को काट दें।
-बीमारी के लक्षण दिखे तो तुरंत जांच कराएं।
-पेयजल का स्टॉक करना है तो उसे ढक कर रखें।
-खुले में सोना है तो मच्छरदानी जरूरी लगाएं।
-फ्रि‍ज के पीछे जो ट्रे होती है, उसमें भी मच्‍छर का लारवा मिल सकता है। पिछले वर्ष यहीं मिले लारवा की वजह से युवक की मौत हो गई थी।
- घर की छत पर पक्षियों के लिए पानी से भरा कसोरा रखते हैं। इसे भी कुछ घंटे बाद साफ करते रहें, क्‍योंकि यहां भी खतरा हो सकता है।

स्वाइन फ्लू का भी खतरा
पानीपत जिले में स्वाइन फ्लू (एच-1 एन-1 वायरस) के पैर पसारने का खतरा मंडराने लगा है। सितंबर 2018 में 8 मरीजों में बीमारी के लक्षण देखे गए, 3 मरीजों की जांच भी कराई गई है। जनवरी से सितंबर 2018 तक कुल 16 संदिग्ध मरीज सामने आए। स्वास्थ्य विभाग ने निजी अस्पतालों को मलेरिया, डेंगू और स्वाइन फ्लू लक्षण वाले मरीजों का डाटा देने के निर्देश जारी किए हैं। ज्यादातर मरीज ग्रामीणांचल से हैं। बता दें कि स्वाइन फ्लू का वायरस सुअर के जरिए मानव शरीर तक पहुंचता है। यह फ्लू फैलाने वाले इनफ्लुएंजा वायरस से यह मिलता-जुलता है।

स्वाइन फ्लू के लक्षण
-नाक का लगातार बहना।
-छींक आना, कफ रहना।
-सर्दी लगना और लगातार खांसी।
-मांसपेशियों में दर्द और अकड़न।
-सिर में तेज दर्द, थकान।
-दवा सेवन के बावजूद बुखार आना।


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