बार चुनाव में सोशल मीडिया बना प्रचार का सहारा, चैंबर-चैंबर दस्तक तेज
पानीपत में बार एसोसिएशन के चुनाव में सोशल मीडिय प्रचार का प्रमुख जरिया बन गया है।
जागरण संवाददाता, पानीपत : बार काउंसिल आफ इंडिया द्वारा जारी चुनाव शेड्यूल के मुताबिक जिला बार एसोसिएशन, पानीपत के वार्षिक चुनाव हेतू 6 अप्रैल को मतदान होना है। अध्यक्ष पद पर तीन प्रत्याशियों सहित कुल 15 प्रत्याशी चुनावी ताल ठोंक रहे हैं, इनमें संयुक्त सचिव पद पर एक महिला प्रत्याशी भी मैदान में है। चुनाव प्रचार के लिए मात्र एक सप्ताह का समय शेष है, प्रत्याशियों ने सोशल मीडिया को प्रचार का माध्यम बना लिया है।
गौरतलब है कि प्रधान पद के लिए एडवोकेट राजेश कुमार शर्मा, शेर ¨सह खर्ब और उमेद ¨सह अहलावत, उपाध्यक्ष पद पर करनैल ¨सह मलिक, राजेश नागर व राजपाल कश्यप, सचिव पद के लिए अनिल ¨सगला, बलराज मेहरा, हर¨मद्र सांगवान और सचिन भाटिया, संयुक्त सचिव पद के लिए आशुतोष, मीनू कमल और विनोद कुमार तथा कोषाध्यक्ष पद के लिए कपिल चानना और प्रवीन कुमार अब मैदान में हैं। इस बार 1300 वकील अपने मत का प्रयोग कर सकेंगे। प्रचार के लिए न्यायालय और चैंबर वाली बि¨ल्डग में पोस्टर और होर्डिंग लगाने पर पाबंदी है। प्रत्याशियों ने इसका तोड़ निकालते हुए व्हाट्स एप और फेसबुक को अपने प्रचार का माध्यम बना लिया है। वकीलों की मानें तो फेसबुक अकाउंट खोलते ही प्रत्याशियों का संदेश दिखता है। व्हाट्स एप पर तो वोट अपील का एक संदेश कई-कई बार आ रहा है। सबसे ज्यादा चुनावी द्वंद्ध अध्यक्ष पद पर है। जाट वोट बैंक सबसे अधिक होने और एक ही जाति के दो प्रत्याशी शेर ¨सह खर्ब और उमेद ¨सह अहलावत मैदान में होने से वोटर को अपनी ओर रिझाने के लिए भरसक प्रयास किए जा रहे हैं।
अध्यक्ष पद के तीसरे प्रत्याशी राजेश शर्मा भी दौड़ में बने हुए हैं। सहायक रिटर्निंग अधिकारी राजेश अहलावत ने बताया कि चुनाव में प्रचार अंत समय तक जारी रहता है। मतदान के दिन भी प्रत्याशी एक कतार में खड़े रहकर बिना किसी द्वेष भावना के वकीलों से वोट की अपील करते रहे हैं। न्यायालय और चैंबर वाली बि¨ल्डग में पोस्टर और होर्डिंग लगाने पर, जांच के बाद संबंधित प्रत्याशी का पर्चा अंत समय तक भी निरस्त किया जा सकता है। घर-घर प्रचार पर निगरानी असंभव :
जिला बार एसोशिएशन के चुनाव की नियमावली में वकीलों के घर जाकर वोट मांगने पर भी पाबंदी लगाई गई है। इस संबंध में सहायक रिटर्निंग अधिकारी ने स्वीकार किया कि पूरी तरह रोक लगना असंभव है। बहुत से ऐसे वकील है जो चाहते है कि जो प्रत्याशी घर आकर वोट मांगेगा, उसी को वोट देंगे। हालांकि, घर-घर जाकर वोट मांगने से प्रत्याशियों का चुनावी खर्च बढ़ जाता है।