गेहूं-चीनी के बाद अब चावल के निर्यात पर लग सकता है बैन, निर्यातकों में हलचल
सरकार ने गेहूं और चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे कारोबारियों में हलचल बढ़ गई है। कारोबारियों की नजरें सरकार के अगले फैसले पर टिकी है। कारोबारियों की मानें तो सरकार चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा सकती है।
करनाल, [अश्विनी शर्मा]। गेहूं व चीनी के बाद अब चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगने के आसार बन रहे हैं। इससे चावल कारोबारियों की चिंता भी बढ़ा रहा है। चावल निर्यातकों चिंतित है कि गेहूं व चीनी के बाद चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लग गया तो उनके अरबों रुपये के आर्डर लटक जाएंगे। चावल उद्योग को लेकर अंतरराष्ट्रीय मानचित्र में जगह बनाने वाले करनाल में भी कारोबारियों की नजरें सरकार पर टिकी हैं।
अरब देश हैं भारत के ग्राहक, प्रतिबंध से अटक जाएगा अरबों का कारोबार
बासमती श्रेणी 1509, 1718 व 1121 का चावल मुख्य तौर पर अरब देशों में सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। यही देश भारत के सबसे बड़े ग्राहक हैं। भारत के चावल निर्यातक इन्हीं देशों के बलबूते पर अरबों रुपये का चावल निर्यात करते हैं।
ईरान में जाता है 15 लाख टन चावल
देश से निर्यात होने वाले 45 लाख टन चावल में से अकेले ईरान को लगभग 15 लाख टन चावल भेजा है। देश से होने वाले बासमती चावल के निर्यात में हरियाणा की हिस्सेदारी लगभग 50 फीसद है। देश में सबसे अधिक बासमती की पैदावार भी हरियाणा में होती है। ऐसे में चावल के निर्यात पर संकट छाने से सबसे अधिक नुकसान हरियाणा को होगा।
इन देशों में बड़ी मात्रा में होता निर्यात
भारत से चार देशों में बड़ी मात्रा में चावल बेचा जाता है जिनमें ईरान, ईराक, सउदी अरब व यमन शामिल है। इन देशों के अलावा यूरोप, दुबई व ओमान समेत कई अन्य देशों को भी चावल निर्यात किया जाता है।
निर्यात पर प्रतिबंध की संभावना नहीं-विजय सेतिया
अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया का कहना है कि अब धान बिजाई का सीजन शुरू होने जा रहा है। इसके साथ ही फूड सिक्योरिटी के लिहाज से देश में दो से ढाई गुना चावल स्टाक है। जबकि सरकार भी पहले ऐसा कदम उठाने से इन्कार कर चुकी है। ऐसे में चावल निर्यात पर प्रतिबंध लगने की संभावना नहीं है।