आयुर्वेद का चमत्कार, लाइलाज बीमारी को किया दूर, जानिए एक महिला कैसे फिर अपने पैरों पर खड़ी हुई
आयुर्वेद का चमत्कार एक बार फिर से देखने को मिला है। पानीपत की सुनील कुमारी व्हील चेयर पर आयुर्वेदिक अस्पताल आई थीं अब अपने पैरों पर चलकर लौटीं। रीढ़ी की हड्डी में आई थी दिक्कत। कैनाल स्टेनोसिस की वजह से करवट भी नहीं ले सकती थीं।
पानीपत, जागरण संवाददाता। कोरोना काल ने हमें आयुर्वेद का महत्व बताया है। इससे पहले तक आयुर्वेद को दोयम दर्जे का समझने वाले लोग अब मान चुके हैं कि आयुर्वेद से बड़े-बड़े रोगों को हराया जा सकता है। अपने पैरों पर खड़े होने की उम्मीद खो चुकी महिला ने कैनाल स्टेनोसिस को हराया है। पानीपत निवासी सुनील कुमारी को उसके स्वजन व्हील चेयर पर लेकर कुरुक्षेत्र के श्री कृष्णा आयुर्वेदिक कालेज में पहुंचे थे। यहां एसोसिएशन प्रोफेसर एवं पंचकर्म विशेषज्ञ डा.राजा सिंगला ने उनका नियमित उपचार किया। सुनील कुमारी को जीने की नई राह दिखाई। अब वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकी है।
रीढ़ की हडडी में थी दिक्कत
सुनील कुमारी की रीढ़ की हडडी के कैनाल का डायामीटर 5.6 मीटर तक सिकुड़ गया था। इसके कारण उन्हें पीठ में दर्द, पैरों में दर्द, सुन्नपन होने लगा। धीरे-धीरे वह चलने में असमर्थ होने लगीं। चारपाई पर आ गईं। यहां तक की करवट भी नहीं ले सकती थीं। कई अस्पतालों में दिखाया लेकिन आराम नहीं मिला। उन्हें आपरेशन कराने की सलाह दी गई थी।
आयुर्वेद कालेज में लाए
सुनील कुमारी के स्वजनों को किसी ने कुरुक्षेत्र के आयुर्वेद कालेज के बारे में बताया। डा.राजा सिंगला ने तीन महीने तक उनका इलाज किया। दो बार पंचकर्म थैरेपी के साथ आयुर्वेदिक औषधियों से उपचार किया। पहली पंचकर्म थैरेपी के बाद ही सुनील कुमारी को किसी पेन किलर दवा का सेवन करने की जरूरत नहीं पड़ी। दूसरी पंचकर्म थैरेपी के बाद से चलने में समर्थ हो गईं। उन्हें किसी तरह का दर्द या सुन्नपन नहीं है।
कोरोना में आयुर्वेद की तरफ लौटे
कोरोना की पहली और दूसरी लहर के वक्त लोगों ने आयुर्वेद का ही सहारा लिया। काढ़े से लेकर घरेलू नुस्खों की तरफ कदम बढ़ाया। गर्म मसालों का खूब उपयोग किया। पतंजलि के उत्पादन भी बिके। दरअसल, आयुर्वेद के माध्यम से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर ही कोरोना को हराया जा सकता है।