दूध दही का खाना छोड़ा तो हो जाएं सचेत, स्वस्थ रहने को जंक फूड को कहें गुड बाय Panipat News
हरियाणा के खान पान को छोड़कर युवा जंक फूड की तरफ बढ़ रहे हैं। इससे न सिर्फ उनके स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ रहा है बल्कि कई रोग उन्हें घेर रहे हैं।
पानीपत, जेएनएन। दूध-दही का खाना ऐसा मेरा हरियाणा कहावत दुनिया भर न सिर्फ मशहूर थी, बल्कि ऐसा खानपान देखने को भी मिलता था। साधन संपन्न प्रदेश होने के बावजूद यहां देसी खानपान को तरजीह दी जाती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है। खासतौर पर युवा और बच्चे जंक फूड को अपने खानपान में शामिल कर चुके हैं।
मैदा-चीनी से बने खाद्य आइटम, पैकेट बंद खाद्य सामग्री और जंक फूड को डाइट चार्ट का हिस्सा बना लिया है। शहरों की चकाचौंध गांवों तक पहुंची, तमाम मल्टी नेशनल कंपनियों ने पैकेट बंद खाद्य उत्पाद बाजार में उतारे तो ये हमारे घरों में भी पहुंचने लगे। खासकर, एकल होते परिवारों, विद्यार्थियों और युवाओं ने इन उत्पादों को हाथों-हाथ लिया। नतीजा, जिले का हर 10वां व्यक्ति शुगर का मरीज है। हर तीसरा-चौथा व्यक्ति मोटापा और उच्च रक्तचाप का शिकार है। 25 से 40 की आयु में हार्ट संबंधी रोगियों की संख्या करीब 40 फीसद है। स्किन की चमक और चेहरे की दमक बरकरार रखने के लिए सौंदर्य उत्दपादों का सहारा लेना पड़ रहा है।
रोग होने पर मेडिसिन असर नहीं कर रही हैं। यही कारण है कि सरकारी-प्राइवेट अस्पतालों में डाइटीशियन की भूमिका अहम हो गई है। सबसे अच्छी बात, मोटे अनाज के उत्पादन में फसल को सिंचाई की बहुत कम जरूरत पड़ती है। इससे भूजल दोहन होने से बचता है।
बाजरा : यह गर्म अनाज है, पहले सर्दी के मौमम में इसका दलिया और आटा की रोटी चाव से खाई जाती थी। इसमें प्रोटीन मैथाइन, विटामिन बी, आयरन और कैल्शियम का भंडार है। कैंसर के खतरे को कम करता है।
ज्वार : इसके सेवन से कुपोषण की समस्या दूर होती है। इसमें सभी पोषक तत्व हैं जो गेहूं में नहीं हैं। वसा कम होती है। कार्बोहाइडेट, आयरन, कैल्शियम भी खूब होता है।
मक्का : इसका भुट्टा खाने से पेट अल्सर से निजात मिलती है। रेशेवाला भोजन होने के कारण वजन घटाने में उपयोगी है। भुने हुए मक्का के दाने चबाने से हृदय रोग का खतरा कम होता है।
चना : औषधीय गुणों से परिपूर्ण खाद्य पदार्थ है, आयरन, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर व विटामिन-बी का अच्छा स्रोत है। कुपोषित बच्चों, किशोरियों को अस्पतालों और आंगनबाड़ी केंद्रों में खूब खिलाया जाता है।
पौष्टिकता और सेहत के मामले में मोटे अनाज गेंहू-चावल पर बहुत भारी पड़ते हैं। प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, लोहा, विटामिन के तो भंडार हैं। डाइटीशियन तो लंबे समय से हर व्यक्ति को मोटा अनाज, हरी सब्जियां, मौसमी फल खाने की सलाह देते रहे हैं। अब सरकार मोटा अनाज को बढ़ावा देने जा रही है, शायद लोग आसानी से समझ जाएं।
पूनम जागलान, डाइटीशियन-पार्क हॉस्पिटल