रेलवे ने लिया अत्याधुनिक तकनीक का सहारा, अब बेपटरी नहीं होंगी ट्रेनें
अब आप बिना किसी डर के निश्चिंत होकर रेलयात्रा कर सकते हैं। अब ट्रेनों के पहिये पटरी से नहीं उतरेंगे। अब आस्ट्रेलियाई सेंसर चलती ट्रेनों के पहियों पर नजर रखेंगे।
पानीपत, [अरविन्द झा]। भरत में आम आदमी के सफर का सबसे बड़ा साधन है भारतीय रेल। पिछले पांच साल में 586 से अधिक ट्रेन दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। इनमें 53 से अधिक तो ट्रेनों के पहिये पटरी से उतरने की वजह से हुई हैं। यात्री ट्रेनों में यात्रा के दौरान अाशंकाओं और डर के माहौल में रहते हैं। लेकिन अब अब असप निश्चिंत होकर ट्रेनों मे सुर कर सकते हैं। देश में ट्रेनें पटरी से नहीं उतरेंगी।
ऑस्ट्रेलियाई सेंसर रखेगा चलती ट्रेनां के पहियों पर नजर
अब ट्रेनों के पहिये पर लगातार खास नजर रहेगी। इससे चलती ट्रेन में अचानक पहिये में आई खराबी को अब आसानी से ट्रेस किया जा सकेगा। ट्रेनों के पहियों पर अब खास सेंसर की नजर रहेगी। यह आस्ट्रेलियाई सेंसर किसी पहिये में गड़बड़ी के बारे में त्वरित सूचना देगी और इस तरह संभावित हादसा टल जाएगा। दिल्ली-पानीपत के बीच मुख्य लाइन पर रेलवे फाटक संख्या 50 के पास ऐसा ही सेंसर लगाया गया है।
ऑस्ट्रेलिया मॉडल का यह सेंसर चलती ट्रेन में पहिये में आई कोई खराबी को तुरंत पहचान लेता है। यह पहिये में आई खराबी की तस्वीर खींच कर मॉनिटर पर दिखाएगा। साथ ही कोच नंबर (वैगन नंबर) की जानकारी भी देगा। रेलवे कोच डिपो में तैनात तकनीकी स्टाफ की टीम इस खराबी को तत्काल दूर कर हादसे की आशंका को खत्म करेगी। दिल्ली डिवीजन में पहली बार यह एक प्रयोग किया गया है।
पानीपत स्टेशन के नजदीक रेलवे फाटक के करीब लगाया गया ओएमआरएस सेंसर
दिल्ली-अंबाला रेलवे ट्रैक पर स्थित पानीपत मॉडल स्टेशन है। इस रूट पर रोज काफी संख्या में मेल, एक्सप्रेस से लेकर पैसेंजर ट्रेनें दौड़ती हैं। सफर के दौरान पहिये में आई खराबी को पहचानने के लिए रेलवे की एक टेक्नोलॉजी उपयोग में लाई गई है। ऑनलाइन मॉनिटरिंग ऑफ रोलिंग स्टॉक (ओएमआरएस) टेक्नोलॉजी में सेंसर का उपयोग किया जाता है। पानीपत में एनएफएल के नजदीक रेलवे फाटक संख्या 50 के पास इसे लगाया गया है।
रेलवे लाइन के दोनों तरफ लगा यह सेंसर ट्रेनों के पहियों तस्वीर खींच कर मुख्यालय के सर्वर पर भेज देता है। पानीपत का कोच एंड वैगन डिपो इस सर्वर से जुड़ा है। कुछ सेकंड बाद ही यहां मैसेज मिल जाता है। सेंसर पहिये में क्रैक की स्थिति भी बता देगा।
परीक्षण रहा सफल
ओएमआरएस सेंसर लगने के बाद उत्तरी रेलवे दिल्ली डिवीजन के वरिष्ठ अधिकारियों ने 22-23 मार्च को इसका ट्रायल देखा। ट्रायल के दौरान सेंसर ने पहिये की खराबी को पहचान कर संकेत रेलवे मुख्यालय में भेज दिया। अधिकारियों ने बताया कि यह सेंसर आधुनिक है। पानीपत में ट्रायल सफल होने के बाद अब मथुरा-दिल्ली रेलमार्ग पर भी इसे लगाया जाएगा।
पहिये की आवाज से पहचानता है खराबी
सेंसर की खासियत है कि पहिये की आवाज को पहचानकर उसकी खराबी बता देता है। देशभर में पहली ऐसी मशीन कोंकण रेलवे में लगाई गई थी। वो सिर्फ खराबी पहचान लेती थी। बोगी नंबर नहीं बता पाती थी। इस आधुनिक सेंसर में विशेष तरह का चिप लगा है, जो खराबी को पहचान कर बता देता है।
पहिये में चिंगारी निकलने, उपकरण टूटने और पहिए के पटरी से उतरने के कारण ट्रेन दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। रेलवे अफसरों का दावा है कि इस प्रणाली की मदद से यात्री कोचों, वैगनों और इंजनों में पहिया जाम होने की बड़ी समस्या को वक्त रहते पकड़ने में कामयाबी मिलेगी।
जानिए ओएमआरएस
एक उपकरण पर करीब तीन करोड़ रुपये का खर्च आता है। इसके लिए रेल पटरी के किनारे सूक्ष्म माइक्रोफोन व सेंसर लगाए जाते हैं। इससे ट्रेन के ट्रैक पर चलने के दौरान पहिए व कोच में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की जानकारी तुरंत सेंसर को मिलते ही रेलवे कंट्रोल पहुंच जाएगी। वैगन और बोगियों से उठने वाली आवाज को रिकार्ड का खराबी का पता लगाकर तुरंत गड़बड़ी की सूचना मिलेगी।
अभी कर्मचारियों की जिम्मेदारी
स्टेशन पर ट्रेन आने के दौरान रेल कर्मचारी इंजन से लेकर कोचों की जांच करते हैं। कई बार खामियां पकड़ में भी आ जाती हैं तो कई बार इस पर ध्यान नहीं दिया जाता। इसके चलते घटनाएं हो जाती हैं। इतना ही नहीं चलते समय खामियां आने के कारण ट्रेन दुर्घटना का शिकार बन जाती हैं। इस सेंसर से अब चलती ट्रेन के पहियों में गड़बड़ी को आसानी से पकड़ा जा सकेगा।