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होली पर 500 साल बाद बन रहा ऐसा महासंयोग, रंगों को लेकर भी बन रहा शुभ संयोग

इस बार होली पर चंद्रमा कन्या राशि में रहेगा जबकि बृहस्पति और शनि अपनी-अपनी राशियों में ही विराजमान रहेंगे। इससे पहले ऐसा महासंयोग 1521 ईसवी में बना था। इसके साथ ही रंगों को लेकर भी संयोग भी बन रहा है सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बन रहा है।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Sat, 27 Mar 2021 09:36 AM (IST)Updated: Sat, 27 Mar 2021 10:01 AM (IST)
होली पर 500 साल बाद बन रहा ऐसा महासंयोग, रंगों को लेकर भी बन रहा शुभ संयोग
इस साल 28 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा, जबकि 29 मार्च को सुबह रंगों वाली होली खेली जाएगी।

पानीपत/कैथल, जेएनएन। इस वर्ष होली पर्व पर महासंयोग बन रहा है, जो 499 साल के बाद आ रहा है। इस महासंयोग में चंद्रमा कन्या राशि में रहेगा, जबकि बृहस्पति और शनि अपनी-अपनी राशियों में ही विराजमान रहेंगे। इससे पहले ऐसा महासंयोग 1521 ई पूर्व  में बना था, जो इस साल आ रहा है।

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होली पर इसके साथ ही रंगों को लेकर भी संयोग भी बन रहा है, जिसमें सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बन रहा है। ये दोनों ही योग रंगों को लेकर बेहद शुभ माने जाते हैं। यह जानकारी हनुमान वाटिका में स्थापित मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित विशाल शर्मा ने दी।  बता दें कि होली का पर्व हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को उत्साह के साथ मनाया जाता है। पूर्णिमा की रात को होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन रंग वाली धुलंडी पर्व मनाया जाता है, जिसमें रंगों से होली खेली जाती है। विशाल शर्मा ने बताया कि इस साल 28 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा, जबकि 29 मार्च को सुबह रंगों वाली होली खेली जाएगी। 

यह रहेगा शुभ मुहूर्त 

होलिका दहन 28 मार्च रविवार को किया जाएगा। इस दिन शाम छह बजकर 36 मिनट से लेकर अाठ बजकर 56 मिनट तक होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रहेगा। इसकी कुल अवधि दो घंटे 19 मिनट की रहेगी। पूर्णिमा की तिथि 28 मार्च को सुबह करीब साढ़े तीन बजे से 29 मार्च की रात करीब सवा 12 बजे तक रहेगी।

28 मार्च तक रहेंगे होलाष्टक 

शर्मा ने बताया कि हिंदू धर्म में होली से आठ दिन पहले सभी शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। इस समयावधि को होलाष्टक कहा जाता है। फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होलिका दहन तक होलाष्टक रहते हैं। इस बार होलिका दहन 29 मार्च को होगा, इसलिए होलाष्टक 28 मार्च तक रहेगा, जो 22 मार्च से शुरू हो चुका है। होलाष्टक में शुभ कार्य वर्जित होते हैं, लेकिन जन्म और मृत्यु से जुड़े काज किए जा सकते हैं।

क्या होते हैं होलाष्टक

पंडित विशाल शर्मा ने बताया कि हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, हिराण्यकश्यप ने आठ दिन तक अपने पुत्र प्रह्लाद को बहुत प्रताड़ित किया था. भगवान विष्णु की भक्त प्रह्लाद पर बहुत कृपा थी, इसलिए वह हर बार उनसे बच जाते थे। तभी से होली से 8 दिन पहले होलाष्टक मनाने की परंपरा चली आ रही है। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था। अपने अहंकारी भाई के कहने पर होलिका अपने भतीजे प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ गई, लेकिन श्री हरि की कृपा से प्रह्लाद के प्राण बच गए और होलिका जलकर भस्म हो गई।


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