दो पैग से खुली भ्रष्टाचार की पोल, सामने आया फंड अप्रूवल के लिए अधिकारियों का खेल
लॉकडाउन और कोरोना संकट के दौर में एक बीमारी ऐसे भी जो रुकने का नाम नहीं ले रही। भ्रष्टाचार। एक ऐसा ही ऑडियो सामने आया है। इसमें दो पैग पर अधिकारी फंड अप्रूवल की बात कर रहे।
पानीपत, [रवि धवन]। कोरोना संकट के वक्त में एक तरफ समाजसेवी संस्थाएं दिल खोलकर लंगर लगा रही हैं, गरीबों को राशन बांट रही हैं, दूसरी तरफ नगर निगम में कुछ अफसर जरूरत से ज्यादा फंड अप्रूवल के लिए अपने से बड़े स्तर के अधिकारियों के पास पैरवी में लगे हुए हैं। यहां तक की उनके साथ शराब के दो पैग लगाने तक की बात कर रहे हैं। दैनिक जागरण के पास ऐसा ऑडियो है, जिसमें एक अधिकारी अपने से बड़ी रैंक के अधिकारी को आंख बंद करके हस्ताक्षर करने के लिए कह रहा है। हालांकि अधिकारी ने साफ मना कर दिया कि वह ये काम नहीं करेंगे। यह उनकी ब्रांच का है ही नहीं। वह सलाह भी देते हैं कि आप भी ये काम न करें। आप भी जानिये, क्या इनमें बातचीत हुई...।
हेलो
एक अधिकारी : हेलो एक्सईएन साहब नमस्कार
दूसरा अधिकारी (बड़े रैंक में) : हां, नमस्कार कैसे हो।
- और साहब ठीक हो
- हांजी एकदम बढिय़ा
- साहब, दो मिनट मिलना था आपसे। समालखा से निकल रहा था। सोचा आपसे मिलता जाऊं।
- मैं समालखा में नहीं हूं।
- समालखा में नहीं हो।
- नहीं।
- सर (हल्का हंसते हुए) आज तो एक-एक पैग लगा लेते हैं। मैं लगाता नहीं। मैं ठंडाई ले लूंगा। तो कल मिल लेते हैं। वैसे हो कहां।
मैं इस समय आट्टा गांव में हूं। मेरे मित्र के चाचा के लड़के की डेथ हो गई थी।
- कल कब तक मिलोगे।
- कल गार्डन में मिलेंगे। सचदेवा गार्डन में।
- वो सर कल फाइल भेजूंगा।
- किस संबंध में।
- बिलों की रिगार्डिंग है। आप तो आंख बंद करके साइन मार दो। ऐसे मत पूछा करो किसके रिगार्डिंग है।
- काम किस टाइप का है। मेरे पास पहले भी फोन आया था। सैनिटाइजेशन ब्रांच की फाइल है तो तो मैं नहीं करूंगा। सैनिटाइजेशन ब्रांच और इंजीनियरिंग ब्रांच, एक दूसरे से अलग हैं। मायने नहीं रखती।
- नहीं सर, कल मैं आपसे मिलकर बात करता हूं।
- आपने भी गलती की है तो अगर आपने सैनिटाइजेशन का बिल पर काम किया है तो। सैनिटाइजेशन ब्रांच का काम करना नहीं बनता आपका। इसके लिए एएसआइ होते है, सीएसआइ, ईओ, ज्वाइंट कमिश्नर होते हैं। ये लोग काम करते हैं इसके लिए। ये अलग ब्रांच है टोटली। जैसे डस्टबिन, रिक्शा के बिल होते हैं। सैनिटाइजेशन से रिलेटिड कोई भी काम होता है तो इंजीनियङ्क्षरग ब्रांच का कोई लेना-देना नहीं होता। अगर ऑनलाइन टेंडर है तो डोंगल उपयोग हो जाएगा। यह सरकार की गाइडलाइन है।
- जी सर। कल बात करते हैं।
ठीक है।
नोट - जागरण इस ऑडियो की पुष्टि नहीं करता।
49 लाख 68 हजार का फंड मंजूर किया है
नगर निगम ने सैनिटाइजेशन के लिए 49 लाख 68 हजार का फंड मंजूर किया है। कारपोरेशन के क्लाज-6 के तहत 900 रुपये प्रति घंटे की दर से भुगतान के अनुसार फंड बनाया गया। जबकि निगम के क्लाज-8 में लिखा है कि महीने का काम हो तो 1500 रुपये प्रति दिन का भुगतान किया जा सकता है। सवाल है कि अगर ज्यादा अप्रूवल की जरूरत थी तो दोगुना, तीन गुना फंड रख लेते। पर यहां तो पांच गुना तक के पैसों की अप्रूवल ली गई। हालांकि बिल का भुगतान नहीं हुआ है।
हमने कोई भुगतान नहीं किया, कमेटी ही तय करेगी
नगर निगम के कमिश्नर ओमप्रकाश का कहना है कि हमने अब तक सैनिटाइजेशन के संबंध में कोई भुगतान नहीं किया। बिल के संबंध में कमेटी ही सब तय करेगी। हमने केवल शुगर मिल को ही करीब तीन लाख रुपये की पेमेंट दी है, जो सैनिटाइजर से संबंधित थी। स्प्रे संबंधी भुगतान तभी होगा, जब कमेटी उसके संबंध में सहमति दे देगी। गलत और ज्यादा राशि के भुगतान का तो सवाल ही पैदा नहीं होता।
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