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कैमला महापंचायत पर हमला निदनीय : डा. अर्चना

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहरलाल स्वयं किसानों से वार्ता करना चाहते थे। कुछ उपद्रवियों ने हेलीपैड खोद दिया। लोगों पर हमले किए।

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Jan 2021 07:15 AM (IST)Updated: Mon, 11 Jan 2021 07:15 AM (IST)
कैमला महापंचायत पर हमला निदनीय : डा. अर्चना
कैमला महापंचायत पर हमला निदनीय : डा. अर्चना

जागरण संवाददाता, पानीपत : भाजपा की जिला अध्यक्ष डा. अर्चना गुप्ता ने कैमला गांव में किसान महापंचायत पर हमला करने की कड़ी निदा की। उन्होंने सेक्टर 12 में अपने कार्यालय में पत्रकारवार्ता में कहा कि लोकतंत्र में सभी को अपना विरोध दर्ज करवाने का अधिकार है। मारपीट करना कुर्सियां तोड़ना, मंच तोड़ना व निहत्थे लोगों पर हमला करना स्वस्थ लोकतंत्र में शोभा नहीं देता।

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उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहरलाल स्वयं किसानों से वार्ता करना चाहते थे। कुछ उपद्रवियों ने हेलीपैड खोद दिया। लोगों पर हमले किए। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि आज विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है। भोले भाले किसानों को मोहरा बना रहा हैं। सरकार कृषि कानूनों के हर पहलू पर चर्चा को तैयार है। फिर भी मानने को तैयार नहीं हैं। इससे उनकी मानसिकता समझा जा सकती है। उन्होंने कहा कि कैमला गांव में लोकतंत्र की हत्या हुई। भाजपा इस हमले की कड़ी निदा करती है। पत्रकारवार्ता में जिला महामंत्री रवींद्र भाटिया, उपाध्यक्ष प्राण रत्नाकर, सचिव अनीता चावला अनुसूचित मोर्चा के जिला अध्यक्ष मुकेश वाल्मीकी, ईश कुमार राणा, सह प्रभारी सुनीता गोयल, अशोक चौहान, विशाल गोस्वामी व प्रेम वर्मा मौजूद रहे।

किसानों की समस्या को गंभीरता से ले सरकार

समालखा : हरिद्वार के भूमा निकेतन के शंकराचार्य स्वामी अच्युतानंद महाराज ने कहा कि भारत अन्नदाताओं का देश है। इसलिए इसे कृषि प्रधान देश कहा जाता है। यहां की 80 प्रतिशत जनता का परिवार खेती से चलता है। किसान आंदोलन के समर्थन में अब संत समाज भी आगे आ रहे हैं। सरकार को किसानों की बातों को गंभीरता से लेना चाहिए। वह समालखा के इंडस्ट्रियल एरिया स्थित सुभाष इंडस्ट्रीज में बोल रहे थे। हरिद्वार से दिल्ली जाते समय यहां रुके थे।

उन्होंने कहा कि सर्दी का मौसम है। कड़ाके की ठंड पड़ रही है। बारिश भी हो रही है। विषम परिस्थितियों में किसान दिल्ली बॉर्डर के चारों ओर डेरा डाले हैं। उन्होंने कहा कि किसान बगैर भेदभाव के हर बिरादरी के लोगों की पेट भरते हैं। इस आंदोलन का प्रभाव हर तबके के लोगों पर पड़ रहा है। राष्ट्रीय राजधानी का बॉर्डर 45 दिनों से बंद रहना बड़ी बात है। उद्योग, व्यवसाय, खाद्यान्न, नौकरी आदि चीजें इससे प्रभावित हो रही हैं।


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