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Indian Army Day: हरियाणा में अंग्रेजों के जमाने का आर्मी का सबसे बड़ा बेस कैंप, पाकिस्‍तान और चीन की चाल पर रहती नजर

Army Day 2022 हरियाणा में इंडियन आर्मी का सबसे बड़ा बेस कैंप मौजूद है। हरियाणा के अंबाला में स्थित भारतीय सेना का ये बैस कैंप 180 साल पुराना है। 37 साल से अंबाला में तैनात खडगा कोर ने भारत-पाक युद्ध 1971 में बांग्लादेश के गठन में अहम भूमिक निभाई थी।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 04:30 AM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 12:11 PM (IST)
Indian Army Day: हरियाणा में अंग्रेजों के जमाने का आर्मी का सबसे बड़ा बेस कैंप, पाकिस्‍तान और चीन की चाल पर रहती नजर
Army Day 2022: 180 साल पुराना है अंबाला आर्मी बेस कैंप।

अंबाला, जागरण संवाददाता। अंबाला में सेना का इतिहास बेशक 180 साल पुराना है, लेकिन आधुनिक भारत की सबसे दमदार थल सेना का बेस अंबाला में है। अंबाला में खड्ग कोर भी तैनात है, जिसने भारत-पाक युद्ध 1971 में बांग्लादेश के गठन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इतना ही नहीं कई मौकों पर जब देश की सेना को अलर्ट रखा गया, तो अंबाला में जवान भी हर समय मूव करने के लिए तैयार रहे हैं। भारत-पाक अथवा भारत-चीन युद्ध की बात करें, तो अंबाला के कई जवानों ने देश के लिए अपनी जान दी है। सैन्य लिहाज से बात करें तो थल सेना का बड़ा बेस तो अंबाला है ही, साथ ही वायुसेना का भी बड़ा बेस है, जहां अत्याधुनिक फाइटर प्लेन राफेल की स्कवाड्रन तैनात है। थल सेना की कई यूनिटें समय-समय पर मूव करती रहती हैं। अंबाला रणनीतिक लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। 

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इस तरह से बना आर्मी बेस 

साल 1842 में अंग्रेज फौज एक ऐसी छावनी की तलाश में थी, जहां से उत्तर भारत को कंट्रोल किया जा सके। इसके लिए पंजाब का सरहिंद चुना था। हालांकि करनाल में पड़ाव डाला था, लेकिन इसके बाद अंबाला छावनी में पड़ाव डाला। यहां कुछ दिन रुकने के बाद सरहिंद के लिए चल दिए। लेकिन अंबाला की जलवायु कुछ इस तरह से रास आई कि अंग्रेजों ने अंबाला कैंट को ही अपना बेस बना लिया। इसके बाद से सेना की रणनीतिक तैयारियों में अंबाला का अहम रोल रहा है। अंबाला बेस वेस्ट्रन कमांड के तहत आता है। समय-समय पर सेना अधिकारी यहां आकर सेना की तैयारियों का जायजा लेते रहे हैं।

अंबाला कैंट सेना क्षेत्र में रखा गया टैंक।

अंबाला में तैनात है घातक खड्गा कोर

साल 1971 में भारत-पाक युद्ध से करीब दो माह पहले लेफ्टिनेंट जनरल टीएन रैना ने बंगाल में खड्गा कोर की स्थापना की थी। इस युद्ध में पाकिस्तान दो टुकड़ों में बंट गया था, जिसमें खड्गा कोर की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। इस युद्ध की समाप्ति पर खड्गा कोर को चंडीमंदिर शिफ्ट कर दिया गया था। बाद में 1985 में इसे अंबाला शिफ्ट किया गया, जो आज भी अंबाला में तैनात है। 

दोगुणा हो चुकी है अंबाला की सैन्य ताकत 

अंबाला में थल सेना का बेस तो है, साथ ही वायुसेना का बेस भी अंबाला कैंट में है। इसी वायुसेना बेस पर फ्रांस से मिले अत्याधुनिक फाइटर प्लेन राफेल की स्कवाड्रन गोल्डन एरो तैनात है। बीते साल थल सेना और वायुसेना के अधिकारियों के बीच मीटिंग हुई थी, जिसमें तय हुआ था कि भविष्य में किसी भी आपरेशन के दौरान दोनों सेनाएं मिलकर काम करेंगी। ऐसे में अंबाला की सैन्य ताकत काफी बढ़ चुकी हैं। उल्लेखनीय है कि बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद अंबाला से ही पाकिस्तानी लड़ाकू जहाजों की मूवमेंट देखी गई थी। इसके बाद श्रीनगर को अलर्ट किया, जहां से फाइटर जेट ने उड़ान भरी थी। इसी में अभिनंदन वर्तमान भी थे, जिन्होंने पाकिस्तान के फाइटर प्लेन को मार गिराया था। 

सेना क्षेत्र में जाबांजों के चित्र भर देते हैं जोश

अंबाला कैंट के आर्मी एरिया में उन शहीदों के चित्र सड़कों के किनारे लगाए गए हैं, जो देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए। इन चित्रों में इनके नाम और संक्षिप्त विवरण दिया गया है। इसके अलावा शहीदों के नाम पर अंबाला कैंट में चौक भी बनाए गए हैं। 

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