अनु बोलीं मैं जाट हूं, रितु रोड़, खुशी है दोनों को मिला सम्मान
पानीपत में अखिल भारतीय रोड़ महासभा की ओर से जीटी रोड स्थित रोड़ धर्मशाला में सम्मान समारोह का आयोजन।
जागरण संवाददाता, पानीपत : अखिल भारतीय रोड़ महासभा की ओर से जीटी रोड स्थित रोड़ धर्मशाला में यूपीएससी की परीक्षा में दूसरा स्थान प्राप्त करने वाली अनु और 141वा रैंक प्राप्त करने वाली रितु का शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया गया। महासभा ने दोनों के परिजनों, ननिहाल के सदस्यों सहित 21वें राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान स्वर्ण पदक जीतने वाले नीरज चोपड़ा के चाचा भीम ¨सह का भी सम्मान किया। तीनों होनहारों को देश का गौरव बताया।
अनु ने कहा कि मैं जाट हूं और रितु रोड़ जाति से है। खुशी इस बात की है कि रोड़ महासभा ने सम्मान करने के लिए दोनों को एक मंच पर बुलाया है। पिछले दिनों जाट महासभा ने भी ऐसा ही किया था। समाज से जात-पात की भावना मिटनी चाहिए, जो भी काबिल है उसे सम्मान मिलना चाहिए। उन्होंने अपनी कामयाबी का पूरा श्रेय माता-पिता व मौसी को दिया। अनु ने कहा कि मां मेरे चार साल के बेटे को नहीं संभालती तो मैं परीक्षा की तैयारी नहीं कर पाती। उन्होंने समाज को संदेश देने हुए कहा कि लड़कियों को पढ़ने और बढ़ने का पूरा अवसर दें, खासकर लड़के ऐसा प्रयास करें कि लड़की उनके सामने से गुजरते हुए डरे नहीं। लड़कियों के भाई बनें ताकि कोई दूसरा लड़का भी लड़की ओर गलत नजरों से देख सके। उन्होंने स्कूल के बच्चों के साथ कुछ समय बिताकर, उनके प्रश्नों के उत्तर दिए।
रितु ने कहा कि मेरी कामयाबी के पीछे जितना रोल माता-पिता का है उतना ही ननिहाल का है। सिविल सर्विस की पूरी तैयारी दिल्ली में मामा के घर रहकर ही कर सकी। क्या अच्छा है और क्या बुरा, यह सामाजिक शिक्षा मुझे ननिहाल से ही मिली है। रितु ने कहा कि मैंने सोचा था के यूपीएससी की परीक्षा पास करने के बाद अच्छी नौकरी और खुशहाल ¨जदगी होगी। सम्मान समारोह में जाने के बाद मुझे लगा कि समाज के प्रति मेरी बड़ी जिम्मेदारी है। सम्मान समारोह में जाट-रोड़ एकता और 46 बिरादरी के भाईचारे का नारा भी गूंजा।
घरौंडा के विधायक एवं हैफेड के चेयरमैन हर¨वद्र कल्याण ने कहा कि बेटियां, बेटों से किसी भी क्षेत्र में कम नहीं हैं। हरियाणा की बेटियों ने इसे साबित कर दिखाया है। रोड़ महासभा के प्रशासक मेवा ¨सह ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। इस मौके पर धर्मवीर, रतिराम, एडवोकेट शेर ¨सह खर्ब, कर्मवीर खोखर, राजेंद्र ¨सह जागलान, ताराचंद, दलजीत, सगुन चंद, जीत ¨सह, ज्ञानीराम और अभयकरण आदि मौजूद रहे।