जनता को आरटीआइ का शस्त्र मिला, सरकार उसे कमजोर कर रही: अन्ना हजारे Panipat News
जींद के गांव बूढ़ा खेड़ा लाठर में एक समारोह में समाजसेवी अन्ना हजारे पहुंचे। यहां उन्होंने कहा कि जनता को आरटीआइ का शस्त्र मिला था। अब उसे कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।
पानीपत/जींद, [कर्मपाल गिल]। देश में लोकपाल बिल लागू करवाने के लिए लंबी लड़ाई लडऩे वाले समाजसेवी अन्ना हजारे का कहना है कि भ्रष्टाचार पर ब्रेक लगाने के लिए देश की जनता को पहली बार आरटीआइ का शस्त्र मिला था। अब उसे कमजोर करने की कोशिशें हो रही हैं। देशहित में यह ठीक नहीं है। भ्रष्टाचार मिटाने के लिए आरटीआइ और लोकपाल का मजबूत होना बहुत जरूरी है।
मंगलवार को जींद के जुलाना खंड के 38 गांवों में चंदा इकट्ठा करके खोले गए पुस्तकालयों का शुभारंभ करने गांव बूढ़ा खेड़ा लाठर में पहुंचे अन्ना हजारे ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि भ्रष्टाचार देश के विकास की राह में बड़ी बाधा है। पूरे समाज को भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम में शामिल होना चाहिए। इसलिए लोग सक्रिय होंगे तो सरकार में भी हिम्मत नहीं है कि वह आरटीआइ को कमजोर कर दे। अन्ना ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि लोकपाल अगले दिनों में मजबूत स्थिति में आ जाएगा। राजनीति में धन के बढ़ते प्रभाव पर अन्ना हजारे ने कहा कि चुनाव में जिस तरह करोड़ों रुपया खर्च किया जा रहा है, यह भी लोकतंत्र की हत्या के समान है। वोटरों को खरीदने की कोशिशें होती हैं। ऐसे में लेने वाला और देने वाला दोनों दोषी हैं। जनता को समझना होगा कि एक-एक वोट ही काफी कुछ बदल सकता है। लोकतंत्र लाने के लिए लाखों लोगों ने कुर्बानी दी थी, तब अंग्रेज यहां से भागे थे। अब धन-बल के सहारे उसी लोकतंत्र को खत्म किया जा रहा है।
पहले पागल कहते थे, कुर्सी छोडऩी तो पता चला आंदोलन की ताकत
अन्ना से जब यह पूछा गया कि लोकपाल आंदोलन में उनके मंच पर रहे जनरल वीके सिंह, अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी जैसे नेता अब सियासत में आकर कुर्सी का मजा ले रहे हैं, इस पर अन्ना ने जवाब को घुमाते हुए कुछ नहीं कहा। सिर्फ इतना ही कहा कि सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आंदोलन करना जरूरी है। सही नीयत से आंदोलन करेंगे तो लोग खुद पीछे आ जाएंगे। समाज को हमेशा सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ते रहना चाहिए। जब वह लोकपाल के लिए लड़ाई लड़ रहे थे, तब नेता उन्हें पागल कहते थे। उन्हें लेकिन जब महाराष्ट्र के छह मंत्रियों को भ्रष्टाचार में कुर्सी छोडऩी पड़ी, तब उन्हें आंदोलन की ताकत का पता चला।
देशभक्तों की प्रेरणा की वजह से शादी नहीं की
अन्ना ने कहा कि 25 साल की उम्र में उनके मन में विचार आया कि इंसान खाली हाथ आता है और खाली हाथ चला जाता है। फिर भी सारे लोग पैसे के पीछे भाग रहे हैं। फिर किस लिए जीना। तब उनके मन में खुदकुशी करने का विचार आया। उसी दिन दिल्ली रेलवे स्टेशन पर स्वामी विवेकानंद की किताब खरीद ली और पढ़ा तो उससे प्रभावित होकर देश, समाज व गांव की सेवा करने का फैसला लिया और शादी करने का विचार त्याग दिया था। पिछले 45 साल से अपने गांव के मंदिर में रह रहा हूं। लेकिन कभी अपने घर नहीं गया। भतीजों का नाम नहीं पता। बहन का घर कहां है, नहीं पता। पैसों के पीछे नहीं भागा। उन्हें करोड़ों रुपये इनाम में मिल चुके हैं, उन्हें ट्रस्ट को दे दिया। आज उनके गांव में शराब व बीड़ी नहीं बिकती है, जबकि पहले 45 शराब की भट्ठियां चलती थी। गांवों का विकास करना ही समाजसेवा है। गांवों को मजबूत करना जरूरी है। जनता सावधान है। जागरूक है। अन्ना ने कहा कि युवाओं को पांच बातों की गांठ बांध लेनी चाहिए। अपने आचार-विचार शुद्ध रखें। जीवन को निष्कलंक रखें। किसी बुराई का दाग न लगने दें। जीवन में प्यार रखें और समाजसेवा करते हैं। ऐसा करने वालों का विरोध व निंदा होगी। लेकिन अपमान का घूंट पीने की ताकत रखनी होगी। कुछ भी बोलने के बजाय अपना काम करते रहो।
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