अमरनाथ यात्रा बनी यादगार, सेना के साथ मनाया जन्मदिन
दस साल बाद मुझे अमरनाथ यात्रा पर जाने का दोबारा मौका मिला।
जागरण संवाददाता, पानीपत :
दस साल बाद मुझे अमरनाथ यात्रा पर जाने का दोबारा मौका मिला। आंतकवाद की घटनाओं को देखते हुए परिवार वाले यात्रा पर जाने नहीं दे रहे थे। उनकी नाराजगी के बाद भी अमरनाथ यात्रा पर निकला। यात्रा यादगार रही। इस यात्रा में अपना 43 वां जन्मदिन सेना के साथ मनाने का मौका मिला। यह कहना है कि बाबा बर्फानी की यात्रा से लौट कर आए प्रवीण रेवड़ी का। प्रवीण रेवड़ी, यार्न व्यापारी मनोहर रेवड़ी की पुत्र हैं।
प्रवीण ने बताया कि वह चंडीगढ़ से हवाई जहाज से अमरनाथ के लिए रवाना हुए। 25 जून को चंडीगढ़ से चले थे। 28 जून को दर्शन नहीं हो सके। बारिश अधिक होने तथा लैंड स्लाइ¨डग होने से सेना के जवानों ने उन्हें जाने नहीं दिया। रास्ते में रेलपथरी पर मुरादाबाद वालों का भंडारा लगा हुआ था। वहीं पर रुक गए। इसी दिन मेरा जन्म दिन था। सेना के जवानों के साथ जन्मदिन मनाया। जीवन में यह एक अनूठा अनुभव था। बारिश में यात्रा और ज्यादा खतरनाक हो जाती है लेकिन मन में विश्वास और भोले के आशीर्वाद से यात्रा की। मेरे साथ मेरे साथी अमित ¨सगला थे। यात्रा काफी रोमांचक रही। बार-बार यात्रा करने का मन करता है।
इस बार सेना ने जो प्रबंध किया गया, वह अकल्पनीय था। बिना सेना के जवानों के सहयोग के यात्रा नहीं हो सकती। इस यात्रा में एक नया अनुभव हुआ। बारिश के समय बालटाल के रास्ते यात्रा करना अधिक खतरनाक होती है। बारिश से कच्चे पहाड़ अधिक गिरते हैं। लैंड स्लाइ¨डग का खतरा बना रहता है। एक बार तो बिल्कुल नजदीक से पहाड़ी गिरी। सांस ऊपर का ऊपर और नीचे का नीचे रहा। 29 जून को सुबह बाबा बर्फानी के दर्शन हुए। 30 जून को वाया दिल्ली वापसी हुई । यात्रा में रोमांच है। बाबा की शक्ति भी काम करती है। एक विश्वास मिलता है कि भगवान के दर्शन किए हैं। रास्ते में कई प्रदेश के यात्री मिले, जो दर्शन के लिए जा रहे थे। उनसे अच्छी मित्रता बन गई। कुछ के नाम पते लिए। उन्हें मिलने के लिए घर बुलाया। इस यात्रा में एक अलग ही अनुभव हुआ। हर किसी को जीवन में एक बार बाबा के दर्शन करने जरूर जाना चाहिए।